मसीहुज़्ज़मा अंसारी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | लखनऊ में CAA विरोधी प्रदर्शन में सक्रीय रहने वाली महिला सामाजिक कार्यकर्ता ज़ैनब सिद्दीक़ी और उनके पूरे परिवार ने पिछले माह पुलिस बर्बरता को उस समय क़रीब से देखा था जब उनके पिता को ‘प्रदर्शन’ करने को लेकर एक मेसेज फॉरवर्ड करने के आरोप में पुलिस ने घर से उठाया था. पुलिस ने घर में घुसकर कथित रूप से महिलाओं के साथ धक्का मुक्की किया था, गालियां दीं और पिता को थाने ले गई. घटना के डेढ़ महीने बाद भी उनकी ज़मानत नहीं हो सकी है.
इस मामले में पुलिस पर पीड़ित के घर में घुसकर गालियाँ देने, महिलाओं से अभद्रता करने और धक्का मुक्की करने का आरोप लगा था. पुलिस, पीड़ित के घर से ज़ैनब के पिता और भाई को थाने ले गई थी बाद में भाई को नाबालिग़ होने के कारण छोड़ दिया गया था. हालंकि, पिता अब तक जेल में हैं.
इंडिया टुमारो को ज़ैनब ने शनिवार को बताया कि, “मेरे पिता मोहम्मद नईम को पुलिस ने 5 नवंबर को घर से उठाया था. मगर डेढ़ महीना बीत जाने पर भी उन्हें ज़मानत नहीं मिल सकी है.”
उन्होंने कहा कि, “हमें जान बूझ कर प्रशासन द्वारा परेशान किया जा रहा है और ऐसे आरोप लगाए गए हैं जो बिलकुल बेबुनियाद है.”
ज़ैनब ने बताया कि उन्हें अभी तक ज़मानत नहीं मिल सकी है, सुनवाई के अगली तारीख़ 20 जनवरी है.
पीड़ित परिवार के मोहम्मद नईम को लखनऊ पुलिस ने एक व्हाट्सएप्प मैसेज फॉरवर्ड करने को लेकर उनके घर से गिरफ्तार किया था. उनपर आरोप लगाया गया था कि वह जुमे के दिन फ़्रांस के राष्ट्रपति के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए लोगों को उकसा रहे हैं.
हालांकि, पीड़ित परिवार की ज़ैनब ने इंडिया टुमारो को मैसेज के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि उस मैसेज में कुछ भी ऐसा नहीं था जो शांति भंग करने के लिए उकसाता हो. मैसेज में जुमे की नमाज़ के बाद दुआ करने, काली पट्टी बांध कर मस्जिद जाने और रोज़ा रखने की अपील की गई थी.
इस मामले में ज़ैनब सिद्दीक़ी के घर में घुसकर पुलिस द्वारा परिवार के साथ की गई झड़प और धक्का-मुक्की की काफी आलोचना हुई थी. इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.
वीडियो में पुरुष पुलिसकर्मियों द्वारा घर की महिलाओं से धक्का-मुक्की करते हुए देखा गया था.
पीड़ित परिवार ने यह आरोप लगाया था कि, “जब हमने पुलिस के बर्ताव का विरोध किया तो उन्होंने हमसे धक्का-मुक्की की, गलियां दीं और मेरी बहनों को सड़क पर बुरी तरह मारा.”
ज़ैनब सिद्दीक़ी महिला संगठन से जुड़ी हैं और महिला अधिकारों के लिए काम करती हैं. ज़ैनब नागरिकता संशोधन क़ानून, CAA के विरोध में लखनऊ में चलने वाले प्रदर्शन में भी सक्रीय रहीं थी.
इंडिया टुमारो को ज़ैनब ने घटनाक्रम को साझा करते हुए बताया कि, “जब मेरे पिता के साथ मेरे भाई मोहम्मद शाद (16 वर्ष) को भी पुलिस घर से थाने ले गई थी. पुलिस ने उसे बुरी तरह मारा था. वह 10वीं का छात्र है और पुलिस उसे रात भर थाने में बैठाए रही और सुबह 9 बजे छोड़ा.”
ज़ैनब और उनका परिवार अपने पिता की रिहाई को लेकर चिंतित हैं. उनके पिता मोहम्मद नईम के मामले में सुनवाई की अगली तारीख़ 20 जनवरी है.