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Saturday, April 27, 2024
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फैसल की गिरफ़्तारी पर लोगों ने कहा, अगर इनका बस चले तो ये रसखान और जायसी को भी जेल भेज दें

इंडिया टुमारो से बात करते हुए शाहनवाज़ कहते हैं, “सरकार या पुलिस ने किसी एक व्यक्ति को जेल भेजने का काम नहीं किया है बल्कि हमारी मिली जुली परम्परा जो साहित्य और संस्कृति में प्रदर्शित होती रही है उसे भी नकारने की हिमाकत की है.”

मसीहुज़्ज़मा अंसारी | इंडिया टुमारो

नई दिल्ली, 6 नवम्बर  | सामजिक कार्यकर्ता, गांधीवादी विधारक और ‘खुदाई खिदमतगार’ के प्रमुख फैसल खान को उत्तर प्रदेश के मथुरा में एक मंदिर में नमाज़ पढ़ने के आरोप में पिछले हफ्ते गिरफ्तार किया गया है. फैसल की गिरफ्तारी के बाद देशभर के सामाजिक कार्यकर्ता उनके समर्थन में आए हैं और उनकी रिहाई की मांग कर रहे हैं.

फ़ैसल खान द्वारा मथुरा के नन्द बाबा मंदिर में नमाज़ पढ़ने के कारण उन पर धार्मिक भावना को ठेस पहुंचाने और साम्प्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश का आरोप लगाया गया है. इस मामले में उनपर आईपीसी की धारा 153A, 295, 505 के तहत एफआईआर दर्ज कराई गई थी.

फैसल ख़ान को यूपी पुलिस ने दिल्ली के ओखला स्थित उनके घर से गिरफ्तार किया है. मथुरा के छाता तहसील स्थित एडिशनल ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश करने के बाद फैसल को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

फैसल खान ब्रज भूमि की 24 से 29 अक्टूबर तक अपनी पांच दिवसीय यात्रा पर थे. वह चौरासी कोसी यात्रा में भाग ले रहे थे. इस यात्रा में उन्होंने कई मंदिरों और उनके पुजारियों से मुलाकात की. यात्रा के अंतिम दिन फैसल खान मथुरा के ‘नंद बाबा’ मंदिर का दौरा कर रहे थे.

फैसल खान का कहना है कि उन्होंने पुजारी से नमाज़ पढ़ने की इजाज़त ली थी. वहीं मंदिर के पुजारी ने नमाज़ की इजाज़त देने की बात से इनकार किया है. पुजारी की शिकायत पर यह मामला दर्ज किया गया है.

फ़ैसल ने मंदिर कम्पाउंड में नमाज़ पढ़ने की फोटो फ़ेसबुक पर साझा करते हुए लिखा था कि, “हम नंद बाबा मंदिर में ही थे तभी ज़ुहर की नमाज़ का वक़्त हो गया. हमने सोचा जल्दी निकलके नमाज़ पढ़ लें तभी मुख्य पुजारी जी ने कहा कि अरे भाई यह जगह तो भजन के लिए ही है. उनकी इजाज़त के बाद हमने वहीं ज़ुहार की नमाज़ अदा की.”

फ़ैसल ख़ान को मुरारी बापू अपने आश्रम में बुलाकर सांप्रदायिक सद्भाव के लिए सम्मानित कर चुके हैं.

मीडिया से बात करते हुए, अयोध्या के सरयू कुंज मंदिर के महंत युगल किशोर शास्त्री ने फ़ैसल ख़ान की सराहना की है. उन्होंने कहा है कि फैसल ख़ान हमारे यहां कई बार आ चुके हैं और यहां नमाज़ भी पढ़ चुके हैं. वह सामाजिक सद्भाव के लिए कार्य करते हैं.

युगल किशोर शास्त्री ने कहा कि, फैसल मंदिर में पूजा और आरती में भी खड़े होते थे. भारत में जो सामाजिक कार्यकर्ता हैं उनमें वे खास हैं. पूरे गांधीवादी तरीक़े से वे रहते हैं.

सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जताया विरोध :

उत्तर प्रदेश माइनॉरिटी कांग्रेस के अध्यक्ष शाहनवाज़, फैसल की गिरफ्तारी को भारतीय संस्कृति पर संघ के वैचारिक प्रहार के रूप में देखते हैं.

इंडिया टुमारो से बात करते हुए शाहनवाज़ कहते हैं, “सरकार या पुलिस ने किसी एक व्यक्ति को जेल भेजने का काम नहीं किया है बल्कि हमारी मिली जुली परम्परा जो साहित्य और संस्कृति में प्रदर्शित होती रही है उसे भी नकारने की हिमाकत की है.”

शाहनवाज़ ने कहा, “अगर इनका बस चलता तो ये रसखान और जाएसी को भी जेल भेज देते. इनको मोहम्मद रफ़ी जैसे लोग भी पसंद नहीं आते जिन्होंने देवी देवताओं की प्रशंसा में भजन गाया है.”

वह आगे कहते हैं, “यह भाजपा आरएसएस का असली चेहरा है और आरएसएस के पास भारत को अलग तरह से गढ़ने का नज़रिया है. वह जिस तरह के भारत को गढ़ना चाहता है उसमें सबसे बड़ी बाधा इस तरह के लोग हैं जो मेल मिलाप की बात करते हैं. इसलिए भाजपा जो भी कर रही है वो आश्चर्यजनक नहीं है. वो संघ के विचार को आगे बढ़ा रही है और इसे मालूम है कि संघ यही चाहता है. कबीर रहीम और रसखान आरएसएस के भारत के विज़न में बाधक हैं. भाजपा के इस व्यवहार पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए.”

शाहनवाज़ ने कहा कि हम सरकार से ये मांग करते हैं कि उन्हें फैसल ख़ान को जल्द से जल्द रिहा किया जाए.

युवा सामाजिक कार्यकर्ता और जामिया मिल्लिया इस्लामिया से रिसर्च के छात्र राहुल कपूर इंडिया टुमारो से अपनी बात साझा करते हुए फैसल ख़ान की गिरफ़्तारी पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हैं. राहुल कहते हैं कि देश को फैसल ख़ान जैसे व्यक्ति की वर्तमान में सबसे ज़्यादा ज़रूरत है मगर अफ़सोस की ऐसे व्यक्तियों को गिरफ्तार किया जा रहा है. फैसल सौहार्द के प्रतीक हैं और सभी धर्मों का सम्मान करते हैं.

राहुल कपूर ने अपने फेसबुक पर फैसल ख़ान के समर्थन में उनकी रिहाई की मांग करते हुए पोस्ट साझा किया है. उन्होंने लिखा है, “फैसल ख़ान धार्मिक सद्भावना बढ़ाने और समाज में भाई चारा और शांति कायम करने के लिए मथुरा और ब्रज की यात्रा करने गए थे. रास्ते में राम और रहीम के दोहे पढ़ते हुए अनेक मंदिरों में गए और वहाँ के पुजारियों से बातचीत भी की. वह बस एक ही संदेश देना चाहते थे जो मैं भी देना चाहता हूँ कि सभी धर्म हमें इंसानियत ही सिखाते हैं.” #ReleaseFaisalKhan #StandWithFaisalKhan

सदफ जाफ़र, जो लखनऊ की चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता हैं और CAA विरोधी आन्दोलन में सक्रीय रहने और योगी सरकार द्वारा प्रदर्शन करने के आरोप में लम्बे समय तक जेल भी रहीं हैं ने इंडिया टुमारो से बात करते हुए कहा कि, “फैसल ख़ान की गिरफ्तारी से ये साफ़ ज़ाहिर होता है कि उत्तर प्रदेश सरकार सौहार्द के लिए काम कर रहे लोगों को पसंद नहीं करती है.”

सदफ कहती हैं, “योगी सरकार ये चाहती है कि लोग नफरत और साम्प्रदायिकता में उलझे रहें और भाजपा सरकार नफरत से राजनीति लाभ लेती रहे. फैसल ख़ान बहुत ही नेक इंसान हैं, सामाजिक सद्भाव के प्रतीक हैं, वह प्रेम और शांति की बात करते हैं और लोगों को मिलकर रहने की सीख देते हैं.”

उन्होंने कहा, “फैसल ख़ान जैसे व्यक्ति की गिरफ्तारी बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है. हम योगी सरकार से फैसल ख़ान की तत्काल रिहाई की मांग करते हैं.”

रिहाई मंच ने साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए प्रतिबद्ध फैसल खान की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए तत्काल रिहाई की मांग की है

रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव ने सर्वधर्म सम्भाव के लिए काम करने वाले फैसल खान की गिरफ्तारी पर विरोध दर्ज कराते हुए कहा है कि दिल्ली स्‍थित गफ्फार मंजिल में भेदभाव के कारण अपनी जान गंवाने वाले लोगों को समर्पित ‘सबका घर’ की स्थापना करने वाले फैसल खान को साम्प्रदायिक द्वेष फैलाने के आरोप में गिरफ्तार करना हास्यास्पद है.

उन्होंने कहा कि फैसल खान केवल कुरान ही नहीं बल्कि रामचरित्र मानस की चौपाइयां भी पढ़ते हैं. ‘सबका घर’ में विभिन्न धर्मों को मानने वालों के साथ रहते हैं और होली, दीवाली, ईद, क्रिस्मस सभी त्योहार मनाते हैं. मंदिर परिसर में पुजारी की अनुमति से नमाज़ अदा करने से पहले उन्होंने बृज की 84 कोसी परिक्रमा भी की थी.

राजीव यादव ने कहा कि फैसल खान जैसे व्यक्ति पर साम्प्रदायिक दुर्भावना फैलाने का आरोप संविधान की मूल भावनाओं के खिलाफ ही नहीं अपितु मानवता विरोधी और विभाजनकारी राजनीति का हिस्सा है.

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