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Sunday, April 28, 2024
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जयपुर: सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान राजस्थान ने ‘जवाब दो धरना’ आयोजित किया

-रहीम ख़ान

जयपुर | राजस्थान की राजधानी जयपुर में 25 जनवरी बुधवार को शहीद स्मारक पर सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान राजस्थान की ओर से जवाब दो धरना आयोजित किया गया. धरने में हजारों लोगों ने भाग लिया और जवाबदेही कानून सहित अन्य मांगों को रखा.

धरने में राज्य के सभी 33 जिलों से विभिन्न सामाजिक संगठनों के कार्यकर्ता और आमजन ने हिस्सा लिया. कार्यक्रम की शुरुआत “उठ जाग प्रशासन भोर हुई अब रैन कहाँ जो सोबत है” से हुई.

23 जनवरी से राजस्थान विधानसभा का बजट सत्र भी शुरू हो गया है जिसमें 8 फरवरी को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राज्य का बजट पेश करेंगे.

सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान राज्य में जवाबदेही की व्यवस्था बने और उसके लिए जवाबदेही कानून बनाये जाने को लेकर लम्बे समय से आन्दोलन कर रहा है. अभियान से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार की ओर से जो कानून का मसौदा जनता के बीच आया है वह बहुत ही कमजोर है.

अभियान से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश निर्वासित ने इंडिया टुमारो को बताया कि हमें विभिन्न लोगों से जो शिकायतें प्राप्त होती हैं हमनें उनको राजस्थान संपर्क पोर्टल पर दर्ज करवाकर उनका निपटारा कैसे किया जाता है यह भी देखा, जिससे पता चलता है कि जवाबदेही कानून की सख्त आवश्यकता है. बिना कानूनी ढांचे के शिकायत निवारण की व्यवस्था का कोई खास मतलब नहीं है, हमारे पास इसके कई उदाहरण भी मौजूद है.

धरने को ऑनलाइन माध्यम से संबोधित करते हुए रेमन मैग्सेसे पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने कहा कि केंद्र या राज्य सरकारें कितनी ही अच्छी योजनायें और कार्यक्रम बना लें यदि जवाबदेही की व्यवस्था नहीं होगी तो उन्हें लागू नहीं किया जा सकता है, इसलिए राज्य में तुरंत सशक्त जवाबदेही कानून पास कर लागू किया जाये.

धरने में प्रसिद्ध मानवाधिकार कार्यकर्त्ता पीयूसीएल की राष्ट्रीय अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री जवाबदेही कानून के लिए विधानसभा में दो बार घोषणा कर चुके हैं लेकिन अभी तक कानून सदन में नहीं लाये हैं. उन्होंने कहा कि यदि विधानसभा में की गई घोषणाएं ही पूरी नहीं होंगी तो इस प्रकार तो जन प्रतिनिधियों से जनता का विश्वास ही उठ जायेगा. इसलिए जवाबदेही कानून सहित जो घोषणाएं मुख्यमंत्री ने विधानसभा में की हैं उन्हें विधानसभा के इसी सत्र में पूरा किया जाये.

जवाबदेही कानून के लिए लम्बे समय से संघर्षरत सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने धरने में अपनी बात रखते हुए कहा कि प्रभावी जवाबदेही कानून पास करो, कल नहीं आज करो. उन्होंने कहा कि राजस्थान की जनता को इंतजार करते हुए बहुत समय हो गया अब और इंतजार नहीं किया जा सकता है इसलिए आज ही जवाबदेही कानून पास किया जाये.

धरने में जवाबदेही कानून में निम्न प्रावधान जोड़े जाने के मांग की गई

शिकायत निवारण की समय सीमा : इस कानून में शिकायत निवारण अधिकारी द्वारा शिकायत निवारण एवं ATR (कार्यवाही रिपोर्ट) जमा कराने की अधिकतम समय सीमा 30 दिन हो. शिकायत निवारण के तीनों स्तरों पर शिकायत निवारण का समय निर्धारित किया जाए.

शिकायत की परिभाषा: राजस्थान सुनवाई का अधिकार कानून, 2012 में शामिल शिकायत की परिभाषा को इस कानून में भी लिया जाना चाहिए. जिसमें क़ानूनों के उल्लंघन की शिकायत भी सम्मिलित हो.

सूचना एवं सहायता केंद्र: हर ग्राम पंचायत और शहरी वार्ड में सूचना एवं सहायता केंद्र बनाया जाए.

पेनल्टी : दोषी पाए गए अधिकारी के खिलाफ पेनल्टी निर्धारित की जाए. पेनल्टी के साथ अनुशासनात्मक कार्यवाही के आधार को और अधिक विस्तृत किया जाए और आपराधिक मामलों में FIR दर्ज करवाने के आदेश की व्यवस्था हो.

स्वतंत्र अपीलिए प्राधिकरण : जिला स्तर पर स्वतंत्र प्राधिकरण / प्रथम अपील अधिकारी हो. जिसके पास प्रथम अपील में अनुशासनात्मक कार्यवाही, पेनल्टी लगाने और आवश्यकतानुसार मुआवज़ा प्रदान करने की शक्ति भी हो.

राज्य शिकायत निवारण आयोग: राज्य शिकायत निवारण आयोग में सदस्यों की संख्या, योग्यता, नियुक्ति, मानदेय, कार्यकाल तथा हटाने की प्रक्रिया को स्पष्ट किया जाए एवं आयोग में सदस्यों की योग्यता, स्तर, चयन प्रक्रिया, तथा स्वतंत्र व्यवस्था आदि सूचना आयोग से कम ना हो.

शिकायतकर्ता सुरक्षा: कानून का प्रयोग करने की वजह से मिलने वाली प्रताड़ना, धमकियों, शोषण, हिंसा आदि से सुरक्षा के साथ मुआवज़े तथा सम्बंधित मामले की उच्च स्तरीय जांच का प्रावधान किया जाए.

जानकारी का प्रसारण, सामाजिक अंकेक्षण प्रकरणों का निवारण, सुनवाई का अधिकार आदि प्रावधान भी जोड़े जाएँ.

इसी सत्र में सशक्त स्वास्थ्य का अधिकार कानून पास हो –धरने में स्वास्थ्य के अधिकार पर जन स्वास्थ्य अधिकार अभियान से जुड़े डा. नरेन्द्र गुप्ता ने कहा कि राज्य में स्वास्थ्य का अधिकार बिल जो पिछले विधानसभा सत्र में लाया गया वह बहुत ही कमजोर है, जबकि प्राइवेट अस्पतालों और डॉक्टर्स के द्वारा इसका ऐसे ही विरोध किया जा रहा है. इसमें उनके खिलाफ कुछ है ही नहीं.

उन्होंने कहा कि, बिल को प्रवर समिति को भेजा था लेकिन प्रवर समिति का गठन बहुत देरी से किया गया है और प्रवर समिति ने जो बैठक की है वह भी आनन- फानन में बुलाई गई है. उन्होंने कहा कि अभियान के द्वारा जो सुझाव पूर्व में भी दिए गए हैं उन्हें कानून में शामिल कर राज्य विधानसभा एक सशक्त स्वास्थ्य का अधिकार कानून पास करे.

अनुसूचित जाति/ जनजाति विकास निधि (आवंटन, क्रियान्वयन एवं योजना) अधिनियम 2022 का क्रियान्वयन

इस कानून के बारे में धरने में बोलते हुए अधिवक्ता सतीश कुमार ने कहा कि सरकार ने अनुसूचित जाति/ जनजाति विकास निधि कानून तो बना दिया लेकिन इसके क्रियान्वयन के लिए नियम संवाद और चर्चा करके बनाये जाएँ. साथ ही इस कानून के अनुसार SC/ST की जनसँख्या के अनुपात में बजट का आवंटन हो. उस बजट से SC/ST के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार की योजनायें बनाई जाएँ जिससे इस कानून का कोई मतलब भी रहे.

NMSS (National Mobile Monitoring System) एप्प को हटाया जाये

धरने में बड़ी संख्या में राज्य के विभिन्न जिलों से महात्मा गाँधी नरेगा में काम करने वाले मजदूर शामिल हुए. धरने में राजस्थान असंगठित मजदूर यूनियन के सचिव बालूलाल ने कहा कि भारत सरकार के ग्रामीण विकास विभाग द्वारा महात्मा गाँधी नरेगा के क्रियान्वयन के लिए NMMS एप्प लाया गया है, जिससे भ्रष्टाचार रोकने का दावा किया जा रहा है लेकिन यह एप्प भ्रष्टाचार तो बिलकुल भी रोक नहीं पा रहा है बल्कि यह मजदूरों को मजदूरी से वंचित कर रहा है.

उन्होंने कहा कि राजस्थान में बहुत जगहों पर आज भी इन्टरनेट की कनेक्टिविटी नहीं है. इसी के साथ मोबाइल भी एक विशेष स्पेसिफिकेशन का होना चाहिए होता है जो गरीब परिवारों के पास नहीं होता है.

राजस्थान में कई स्थानों पर यह देखने में आया है कि मजदूरों की हाजिरी नहीं होने पर उन्हें कार्यस्थल से वापस लौटा दिया जाता है जिससे उनके कई घंटे ख़राब हो रहे हैं. उन्होंने कहा कि राज्य के मुख्यमंत्री देश के प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इसे हटाने की मांग करें जिससे वास्तविक काम करने वाले मजदूरों को राहत मिले.

कई मजदूरों ने यह भी बताया कि वास्तव में उन्होंने नरेगा में 13 दिन काम किया लेकिन NMMS एप्प में हाजिरी नहीं होने के कारण उन्हें 6 दिन का कहीं पर 8 दिन का और कहीं केवल 4 दिन का ही भुगतान मिला है.

बजट घोषणा अनुसार सामुदायिक वन अधिकार के तहत हर गाँव में पट्टा जारी हो

धरने में आदिवासी अधिकारों से जुड़े धर्मचंद खैर ने कहा कि पिछले बजट में घोषणा हुई थी प्रत्येक गांव में सामुदायिक वन अधिकार के तहत पट्टे दिए जायेंगे जिससे उस गांव में निवास करने वाले लोग अपने जंगल का प्रबंधन करें. लेकिन पूरे प्रदेश में सामुदायिक वन अधिकार 100 से भी कम दिए गये हैं जो सरकार के बिलकुल भी गंभीर नहीं होने को दर्शाता है. उन्होंने मांग की कि सामुदायिक वन अधिकार के तहत हर गाँव में पट्टे जारी हों.

गिग एवं प्लेटफार्म वर्कर्स के लिए बने कानून

राजस्थान एप्प आधारित श्रमिक यूनियन से जुड़े धर्मेन्द्र वैष्णव और आशीष सिंह ने धरने में कहा कि ओला, उबेर, स्विगी, ज़ोमाटो, रैपिड़ो, अमेज़न, अर्बन कंपनी आदि एप्प आधारित श्रमिकों की कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं है इसलिए राजस्थान सरकार इनकी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कानून बनाये जिसमें सभी एप्प आधारित श्रमिकों का पंजीकरण हो. एक त्रिपक्षीय बोर्ड बनाया जाये. सभी ट्रांजेक्शन पर एक निश्चित लेवी लगाईं जाये. इन कंपनियों पर निगरानी रखी जाये.

घरेलू कामगार महिलाओं के लिए हो सामाजिक सुरक्षा एवं पंजीकरण का प्रावधान

राजस्थान घरेलू महिला कामगार यूनियन से जुडी वासना चक्रवर्ती ने कहा कि जो महिलाएं घरों में कम करती हैं उनकी ना तो कोई सामाजिक सुरक्षा है और ना ही कहीं पर उनका पंजीकरण होता है इसलिए राजस्थान सरकार घरेलू कामगार महिलाओं के लिए सामाजिक सुरक्षा के लिए बोर्ड बनाये और उसमें पंजीकरण करे.

शामलात संसाधनों की हो सुरक्षा

धरने में शामलात संसाधन अभियान से जुड़े ईश्वर भील और मेघराज ने कहा कि चारागाह की नापचौक किये जाने और सभी शामलात संसाधनों को रिकॉर्ड पर लाया जाये साथ ही उनकी सुरक्षा सुनिश्चित किये जाने की मांग की.

उन्होंने कई उदाहरण देकर लोगों को समझाया कि किस तरह शामलात संसाधनों के ऊपर अतिक्रमण होने से और पानी की कमी होने से आज लोग परेशान हो रहे हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि यदि हम आज शामलात संसाधनों को नहीं बचायेंगे तो हमारी आने वाली पीढियां बहुत दुःख पाएंगी.

बेघर नीति क्रियान्वित हो

लम्बे समय से बेघरों के साथ काम कर रही कोमल श्रीवास्तव ने कहा कि राज्य सरकार बेघर नीति लेकर आई वह अच्छा कदम है लेकिन उन्होंने कहा कि सरकार इस नीति का क्रियान्वयन तुरंत शुरू करे.

घुमंतू नीति लागू हो

लम्बे समय से घुमंतुओं के मुद्दों पर काम कर रहे पारस बंजारा ने धरने में कहा कि पिछले विधानसभा के बजट सत्र में बेघर नीति की घोषणा की थी वह स्वागत योग्य कदम है लेकिन उन्होंने कहा कि यह नीति तुरंत लाई जाये और उसका क्रियान्वयन शुरू किया जाये.

धरने में कोटपुतली के पास बुचारा बांध को लेकर राधेश्याम शुक्लावास, सिलिकोसिस को लेकर सोहन लाल, हरिकेश बुगालिया, राजेंद्र शर्मा , नरेगा व अन्य मुद्दों पर सफराज शैख़, सवाई सिंह आदि ने भी अपनी बात रखी.

राजस्थान जवाबदेही आन्दोलन को मिला आगामी पुरस्कार

राजस्थान में लम्बे समय से जवाबदेही कानून के लिए चल रहे आन्दोलन को आगामी पुरष्कार मिला है जिसे आज धरने में आन्दोलन के सभी साथियों को निखिल डे ने समर्पित किया.

धरने का संचालन मुकेश निर्वासित, कमल कुमार और पारस बंजारा ने किया.

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