इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश विधान सभा सदस्य (एमएलए) अब्बास अंसारी को हथियार लाइसेंस मामले में जमानत दे दी है. अक्टूबर 2019 में उनके खिलाफ यह मामला दर्ज किया गया था और वह नवंबर 2022 से जेल में हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने मुख़्तार अंसारी के पुत्र अब्बास अंसारी की ज़मानत याचिका मंजूर करते हुए कहा कि, “कैद की अवधि और आरोपों की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए, हम पाते हैं कि याचिकाकर्ता ज़मानत पाने का हकदार है.”
ज्ञात हो कि अब्बास अंसारी पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने शूटिंग प्रतियोगिताओं के बहाने विदेशी बंदूकें खरीदने का मामला दर्ज किया था. अंसारी पर कई हथियार रखने का आरोप है. इस मामले में अक्टूबर 2019 में उनके खिलाफ एक मामला दर्ज किया गया था.
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा कि अब्बास अंसारी जेल में रहने की अवधि और कथित अपराधों को ध्यान में रखते हुए छूट पाने के हकदार हैं.
बार एंड बेंच के अनुसार, पीठ ने निर्देश दिया कि, “हम गुण-दोष के आधार पर कुछ भी देखने का प्रस्ताव नहीं रखते क्योंकि इससे मामले पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. कारावास की अवधि और कथित अपराधों को ध्यान में रखते हुए, याचिकाकर्ता को ट्रायल कोर्ट द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों के अधीन ज़मानत दी जानी चाहिए.”
अब्बास अंसारी पर पुलिस ने शूटिंग प्रतियोगिताओं के बहाने विदेशी बंदूकें खरीदने का मामला दर्ज किया था. आरोप है कि उसने संबंधित थाने को सूचित किए बिना लाइसेंस लखनऊ से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया.
अब्बास अंसारी पर यह भी आरोप था कि उन्होंने अलग-अलग पहचान पत्रों के तहत दो अलग-अलग राज्यों के लाइसेंसों का उपयोग जारी रखा.
रिपोर्ट के अनुसार, अब्बास अंसारी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि याचिकाकर्ता को मौजूदा मामले में झूठा फँसाया गया है. उन्होंने कहा, “दुर्भाग्य से, वह अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि के कारण पीड़ित है.”
दूसरी ओर, अतिरिक्त महाधिवक्ता (एएजी) गरिमा प्रसाद ने आवेदन का विरोध करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता विभिन्न आपराधिक गतिविधियों में शामिल रहा है.
इस मामले में अदालत ने जनवरी में जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया था और चार सप्ताह की अवधि के भीतर उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब माँगा था.
गौरतलब है कि नवंबर 2023 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब्बास अंसारी की नियमित ज़मानत याचिका को खारिज कर दिया था. अंसारी पर भारतीय राष्ट्रीय राइफल एसोसिएशन द्वारा जारी आयात परमिट का उल्लंघन करते हुए एक पिस्तौल, एक राइफल और छह बैरल के आयात का आरोप है.
रिपोर्ट के अनुसार, हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की पीठ ने कहा था कि सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले मौजूदा विधायक होने के नाते अब्बास से किसी अन्य व्यक्ति की तुलना में देश के कानूनों का अधिक सम्मान करने की उम्मीद की जाती है.
अब्बास के खिलाफ 2019 में लखनऊ के महानगर थाने में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 419, 420, 467, 468 और 471 के साथ शस्त्र अधिनियम की धारा 30 के तहत एक एफआईआर दर्ज की गई थी.
हाईकोर्ट ने कहा था कि अंसारी का आपराधिक इतिहास रहा है और वह आठ मामलों में शामिल रहा है. इसके बाद अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जनवरी में उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था.
सोमवार को जब यह मामला सुनवाई के लिए आया, तो अंसारी के वकील ने कोर्ट को बताया कि वह नवंबर 2022 से जेल में हैं. यह प्रस्तुत किया गया था कि मामले में किसी मौखिक साक्ष्य की आवश्यकता नहीं है और आरोप पत्र दायर किया गया है.
उन्होंने तर्क दिया कि अब्बास अंसारी को मामले में झूठा फंसाया गया है.