–मसीहुज़्ज़मा अंसारी
नई दिल्ली | उत्तराखंड के हल्द्वानी में बीते गुरुवार को हुई कथित पुलिस फायरिंग में घायल मोहम्मद इसरार की आज मंगलवार को मौत हो गई. 53 वर्षीय मोहम्मद इसरार का अस्पताल में इलाज चल रहा था. मृतक बनभूलपुरा थाना क्षेत्र के गफूर बस्ती का रहने वाला था.
रिपोर्ट के अनुसार फायरिंग के दौरान इसरार के सिर में गोली लगी थी. गोली सर के आर-पार हो गई थी और इलाज के दौरान आज उनकी मौत हो गई.
8 फरवरी को फायरिंग में घायल बनभूलपुरा निवासी अलबशर, इसरार और शहनवाज़ को हास्पिटल में भर्ती किया गया था, उस समय तीनों की हालत गंभीर थी.
हल्द्वानी हिंसा में मरने वालों की संख्या सरकारी आंकड़ों के अनुसार 6 हो गई. 2 अन्य घायलों की हालत भी गंभीर बताई जा रही है, उनका सुशीला तिवारी अस्पताल में इलाज चल चल रहा. अन्य घायलों का भी अलग-अलग अस्पतालों में इलाज जारी है.
इसरार के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. इसरार की मौत पर प्रतिक्रिया देते हुए पुलिस ने कहा है कि, इस मामले में पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतज़ार है. इस बात की जांच होनी है कि मौत किसकी गोली लगने से हुई है.
अपने बयान में पुलिस ने कहा है कि हिंसा में हुई अन्य मौतों के कारणों का पता लगाने के लिए फॉरेंसिक जांच जारी है.
उत्तराखंड के हल्द्वानी में बीते 8 फरवरी को बनभूलपुरा के मलिक का बगीचा में स्थित एक मदरसे और मस्जिद को अवैध बताकर गिराए जाने के बाद हुए प्रदर्शन में पुलिस द्वारा बलप्रयोग के बाद भड़की हिंसा में 5 लोगों की मौत हो गई थी.
इंडिया टुमारो से बात करते हुए स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि पुलिस द्वारा बल प्रयोग करने के बाद हिंसा भड़की, हालांकि प्रशासन इस बात से लगातार इनकार कर रहा है.
हिंसा को लेकर डीएम ने 9 फरवरी को मीडिया से कहा था कि, “पुलिस और प्रशासन ने न तो किसी को भड़काया, न किसी को मारा और न ही किसी को किसी भी प्रकार से कोई नुक़सान पहुँचाने की कोशिश की.”
अपने बयान में डीएम ने यह भी कहा, “आगज़नी के बाद भीड़ में शामिल अराजक तत्वों ने बनभूलपुरा पुलिस स्टेशन का घेराव किया.”
उन्होंने कहा, “भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पहले भीड़ से वहाँ से हटने की अपील की गई. आग बुझाने के लिए पानी की बौछार का इस्तेमाल किया गया, इसी बीच भीड़ के भीतर से गोलियां चलाने की ख़बर आई. जवाब में पुलिस ने हवा में लोगी चलाई.”
उन्होंने पुलिस द्वारा फायरिंग से किसी की मौत होने के दावे से इंकार करते हुए कहा था कि, “इसकी जांच की जाएगी कि लोगों की मौत जिस गोली से हुई है, गोली भीड़ ने चलाई थी या फिर पुलिस ने.”
हालांकि, इंडिया टुमारो से बात करते हुए स्थानीय लोगों ने पुलिस द्वारा फायरिंग किए जाने का आरोप लगाया है.
उत्तराखंड के डीजीपी अभिनव कुमार ने कहा है कि, “लोगों को इस घटना को सांप्रदायिक एंगल नहीं देना चाहिए. पुलिस और प्रशासन की टीम पर हमला किया गया, उसे देखते हुए हम घटना को बहुत गंभीरता से ले रहे हैं. हमने तीन एफआईआर दर्ज की हैं.”
उन्होंने कहा कि, “पुलिस निर्दोष लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं करेगी, मामले में कानूनी कार्रवाई की जा रही है.”
इस हिंसा में कई लोग घायल हुए थे. घायलों में आम लोगों के साथ पुलिसकर्मी भी शामिल थे.
हिंसा के बाद पुलिस पर मुस्लिम परिवारों को प्रताड़ित करने का आरोप लग रहा है.
इंडिया टुमारो से बात करते हुए कई पीड़ित परिवारों ने बताया कि पुलिस की बर्बरता और प्रताड़ना से परेशान होकर लोग अपने घरों को छोड़ कर रिश्तेदारों या दूसरे शहरों में जा रहे हैं.
एक महिला ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, “पुलिस मुस्लिम घरों पर रात 2-3 बजे दबिश दे रही और लोगों को परेशान कर रही, ऐसे में भला कौन रहना चाहेगा.”