–मसीहुज़्ज़मा अंसारी
हल्द्वानी | उत्तराखंड के हल्द्वानी में बीते 8 फरवरी को मलिक का बगीचा में स्थित एक मदरसे और मस्जिद को अवैध बताकर गिराए जाने के बाद हुए प्रदर्शन में पुलिस द्वारा बलप्रयोग के बाद भड़की हिंसा में 5 लोगों की मौत हो गई थी.
इंडिया टुमारो से बात करते हुए कई पीड़ित परिवारों ने बताया कि पुलिस की बर्बरता और प्रताड़ना से परेशान होकर लोग अपने घरों को छोड़ कर रिश्तेदारों या दूसरे शहरों में जा रहे हैं.
एक महिला ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि, “पुलिस मुस्लिम घरों पर रात 2-3 बजे दबिश दे रही और लोगों को परेशान कर रही, ऐसे में भला कौन रहना चाहेगा.”
एक वृद्ध महिला ने बताया कि, “हम सभी लोग पुलिस की बर्बरता से परेशान हैं, वो गालियाँ देते हुए घरों में घुसते हैं और तोड़फोड़ के साथ मार पीट करते हैं, इसी डर से सभी ये इलाका छोड़ कर जा रहे.”
मुस्लिम बहुल इलाकों की गलियां शांत हैं, सड़कें सूनी हैं और घरों पर ताले लगे हैं. गलियों के अन्दर भी पुलिस गश्त कर रही इसलिए जो परिवार मौजूद हैं वे घरों में क़ैद हैं. जब भी उन्हें मौका मिल रहा, परिवार पलायन कर रहे.
घटना के दो दिन बाद शहर में कर्फ्यू में कुछ ढील तो दी गई है लेकिन प्रभावित इलाके के साथ -साथ मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में सख्ती बरती जा रही है.
मुस्लिम इलाकों में जाने वाली सड़कों पर बैरिकेड लगा दिया गया है और अन्दर जाने पर पाबन्दी है. रविवार को मीडिया को भी प्रभावित इलाके में जाने पर पाबन्दी थी.
इंडिया टुमारो की टीम जब मलिक का बगीचा पहुंची तो वहां स्थानीय लोग पुलिस के डर से अपना घर छोड़ कर जा चुके थे या जा रहे थे.
रविवार को भी कुछ ढील के साथ कर्फ्यू जारी है, और मलिक का बगीचा और मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में अब भी सख्ती से कर्फ्यू नियमों का पालन किया जा रहा है.
मलिक का बगीचा के आसपास के लगभग सभी परिवार अपना घर छोड़ कर जा चुके हैं, बचे हुए लोगों के जाने का सिलसिला अब भी जारी है.
कुछ परिवार जिनमें छोटे बच्चे हैं, बूढ़े हैं या विकलांग हैं वे अपने घरों में ही रहते को मजबूर हैं.
8 फरवरी को हुई इस हिंसा में कई लोग घायल हुए थे. घायलों में आम लोगों के साथ पुलिसकर्मी भी शामिल थे. पीड़ित परिवारों का कहना है कि हम पर चौतरफा ज़ुल्म हुआ है और अब भी हो रहा है.
अपने आंसू पोछती हुई एक वृद्ध महिला ने कहा, “हम अपना मदरसा और मस्जिद बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे थे, हम पर लाठियां बरसाई गई, हमें पत्थर मारा गया, हमें गोलियां मारी गई और 5 की मौत हो गई और अब हमें ही घर छोड़ कर जाना पड़ रहा.”
एक और महिला ने कहा, “ये कैसा न्याय है, मुख्यमंत्री से लेकर प्रशासन और मीडिया सभी हमें दंगाई कह और लिख रहे हैं जबकि हम तो अपने मदरसे को बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहे थे.”
महिला ने कहा, “आग किसने लगाई ये तो जांच का विषय है और गोली किसने चालाई इसकी भी जांच होनी चाहिए. लेकिन ऐसे कोई किसी को दंगाई कैसे कह सकता है.”
एसडीएम नैनीताल, प्रमोद कुमार ने इंडिया टुमारो को बताया कि कुछ समय के लिए कर्फ्यू में ढील दी गई थी, कुछ संवेदनशील इलाकों में कर्फ्यू जारी है, माहौल सामान्य है.
हालांकि इंडिया टुमारो की टीम ने पाया कि माहौल में डर है और लोग अपने घरों में क़ैद हैं. पुलिस ने अब तक 100 ज़्यादा लोगों को हिरासत में लिया है.