इंडिया टुमारो
नई दिल्ली -जमात-ए-इस्लामी हिंद (जेआईएच) के अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा है कि “फिलिस्तीन का समर्थन करना भारत के सर्वोत्तम राष्ट्रीय हितों में से है.”
उन्होंने 21 अक्टूबर को यहां जेआईएच मुख्यालय में साप्ताहिक कार्यक्रम में बोलते हुए यह टिप्पणी की. कार्यक्रम में फिलिस्तीन के मुद्दे पर विचार रखने के लिए एक अन्य वक्ता पूर्व सांसद सदस्य के सी त्यागी भी थे. के सी त्यागी दशकों से फिलिस्तीन मुद्दे का शांतिपूर्ण समाधान चाहने वालों से जुड़े रहे हैं.
जमात प्रमुख स्वयं एक विद्वान है और उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर कई पुस्तकें भी लिखी हैं, उन्होंने बताया कि सबसे महत्वपूर्ण काम जो लोग कर सकते हैं, वह आम जनता में फिलिस्तीनी मुद्दे के बारे में जागरूकता पैदा करना है.
इज़राइल और अमेरिका के दबाव में सरकारों द्वारा फिलिस्तीन समर्थक प्रदर्शनों और रैलियों में बाधा डालने के संबंध में, जमात के अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि “वे (सरकार) ऐसी सभी सामाजिक गतिविधियों को रोकने की कोशिश कर रहे हैं.” सरकारों ने दिल्ली में हालात ऐसे बना दिए हैं कि वे फिलिस्तीन के संबंध में कोई सार्वजनिक जुलूस या गतिविधि होते नहीं देखना चाहते हैं. वे इन गतिविधियों को रोक सकते हैं लेकिन आप मीडिया, सोशल मीडिया और लोगों से व्यक्तिगत रूप से जुड़कर फिलिस्तीनी समस्या के बारे में बता सकते हैं.”
“चूंकि मीडिया बड़े पैमाने पर झूठ और गलत सूचना फैलाने की कोशिश कर रहा है और पूरे देश में फिलिस्तीन के मुद्दे के बारे में एक विशेष गलत धारणा बनाने की कोशिश कर रहा है, तो ऐसी स्थिति में, हम सभी की ज़िम्मेदारी है कि हम यह सुनिश्चित करें कि हम सच लोगों को बताएं.”
फिलिस्तीन और इज़राइल विवाद को “मानवीय मूल्यों का उल्लंघन” बताते हुए, जेआईएच अध्यक्ष ने कहा कि, “लोगों को बताया जाना चाहिए कि फ़िलिस्तीन वर्तमान में दुनिया का सबसे उत्पीड़ित राष्ट्र है और इज़राइल वर्तमान में आधुनिक इतिहास का सबसे क्रूर और सबसे बर्बर देश है. वह फ़िलिस्तीनियों पर जो अत्याचार कर रहा है उसका दूसरा कोई उदाहरण दुनिया में नहीं मिलेगा. इज़राइल में वो सभी बुराईयां हैं जिनसे सभ्य दुनिया नफरत करती है. जिन बुनियादी सिद्धांतों और मूल्यों पर आधुनिक दुनिया स्थापित हुई है, उन सभी को आज फिलिस्तीन में इज़राइल द्वारा तिरस्कारपूर्वक कुचला जा रहा है. चाहे वह लोकतंत्र हो, स्वतंत्रता हो, मानवाधिकार हो या नस्लीय समानता के मूल्य हों, इन सभी मूल्यों का फ़िलिस्तीन में इज़राइल द्वारा उल्लंघन किया जा रहा है. तो फ़िलिस्तीन की समस्या सिर्फ़ एक देश की समस्या नहीं है, ये पूरी मानवता की समस्या है. अगर हमारे मानवीय मूल्यों को इस तरह से कुचलने दिया जाता रहा तो हमने पिछले दो सौ वर्षों में इंसानियत के रुप में जो हासिल किया है उसे भी गाज़ा के साथ-साथ दफना देंगे और नष्ट कर देंगे.
फ़िलिस्तीनियों की दुर्दशा के बारे में बताते हुए सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि, “हमें लोगों को यह बताने की ज़रूरत है कि फ़िलिस्तीन की वर्तमान भौगोलिक सीमाओं के भीतर 60 लाख लोग रह रहे हैं और लगभग इतनी ही संख्या में फ़िलिस्तीनी विभिन्न देशों में शरणार्थी के रूप में पिछले 75 सालों से मुश्किल ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं. इस दुनिया में हुए किसी भी युद्ध में इतनी बड़ी संख्या में शरणार्थी पैदा नहीं हुए. फ़िलिस्तीन में रहने वाले छह-सात मिलियन फ़िलिस्तीनियों के पास उचित घर नहीं हैं और वे छोटी-छोटी ‘घेटो’ बस्तियों में रहते हैं, जैसे कि वे खुली जेलें हों. और इन खुली जेलों में भी वे सुरक्षित नहीं हैं. हर साल फ़िलिस्तीनियों के घरों पर बमबारी की जाती है. हर साल बच्चे मरते हैं. हर साल स्कूलों और अस्पतालों पर बमबारी की जाती है. हर साल हज़ारों महिलाओं और बच्चों को बंद कर दिया जाता है और उन पर अत्याचार किया जाता है. यह कई सालों से लगातार चल रहा है और वह भी सभ्य दुनिया की आंखों के सामने.”
उन्होंने टिप्पणी की, “इस ज़ुल्म पर चुप रहना और मूक दर्शक बने रहना हमारी पूरी दुनिया की सभ्यता की मृत्यु की घंटी के समान है.”
भारत के राष्ट्रीय हित के बारे में बात करते हुए जमात प्रमुख ने आगे कहा कि, ”हमें अपने देश के लोगों को यह भी बताना चाहिए कि फिलिस्तीन का समर्थन करना हमारे राष्ट्रीय हित में है. मुद्दा केवल मानवाधिकार का नहीं बल्कि हमारे राष्ट्रीय हित का भी है. जिन मूल्यों पर हमने अपने राष्ट्र की स्थापना की है, और जिन मूल्यों पर हमने स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी, ये वही मूल्य हैं जिनके आधार पर फिलिस्तीनियों का समर्थन किया जाना चाहिए. यदि हम फिलिस्तीनी मुद्दे का समर्थन नहीं करते हैं, यदि हम फिलिस्तीन के उत्पीड़ित लोगों का समर्थन नहीं करते हैं तो इसका मतलब होगा कि हम अपने देश और उसके मूल्यों के खिलाफ हैं. हम अपने इतिहास के ख़िलाफ़ हैं. हम अपने राष्ट्र की उल्लेखनीय विरासत के विरुद्ध विद्रोह कर रहे हैं. इन सबके बारे में देश की जनता को बहुत ही ठोस तरीके से जानकारी दी जानी चाहिए.”
हमारे देश के लिए ग्लोबल साउथ का लीडर बनने का सुनहरा अवसर बताते हुए जेआईएच अध्यक्ष ने कहा, “विकसित देश हमारे देश को अपना लीडर नहीं बनने देंगे. अमेरिका हमें ग्लोबल साउथ का लीडर नहीं बनाएगा. हमने कई वर्षों तक विकासशील देशों के इस समूह का नेतृत्व किया है. फिलिस्तीन के मुद्दे ने एक सुनहरा अवसर प्रदान किया था और हमारा देश ग्लोबल साउथ का नेतृत्व कर सकता था और साम्राज्यवाद और उत्पीड़न के खिलाफ सबसे शक्तिशाली आवाज़ बन सकता था. यह आज भी किया जा सकता है. जो नेतृत्व इस अवसर को खो रहा है, वे देश के हितों के खिलाफ काम कर रहा है. ये सब बातें हमें बहुत ठोस तरीके से देश की जनता को बताना चाहिए. तभी हमारे देश में फ़िलिस्तीनी समस्या के प्रति जागरूकता आयेगी. हमारे देश ने फ़िलिस्तीनी हित में हमेशा ऐतिहासिक भूमिका निभाई है. अगर हम एक बार फिर भूमिका निभाने के लिए आगे बढ़ते हैं तो मुझे लगता है कि यह इस देश में फिलिस्तीन के भाइयों के लिए सबसे बड़ी सेवा होगी.
इससे पहले, सआदतुल्लाह हुसैनी ने फिलिस्तीन के संबंध में केसी त्यागी को उनके बहुमूल्य विचारों के लिए धन्यवाद दिया. उन्होंने भूतपूर्व सांसद त्यागी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा, “हम आपके भी आभारी हैं क्योंकि आप हमारे देश में फिलिस्तीन के मुद्दे पर सबसे शक्तिशाली आवाज़ हैं. हम देखते हैं कि आप सांसदों और मीडिया के बीच फ़िलिस्तीनी मुद्दे के बारे में लगातार जागरूकता बढ़ाने का प्रयास करते हैं. ये हमारी ज़िम्मेदारी है और आप हमारी जिम्मेदारी निभा रहे हैं. आप (केसी त्यागी साहब) हम सभी के धन्यवाद के पात्र हैं.