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Sunday, April 28, 2024
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चार साल के स्व-निर्वासन के बाद पूर्व पीएम नवाज़ शरीफ की वापसी से पाक की अस्थिर राजनीति में आएगा एक नया मोड़

संवाददाता, इंडिया टुमारो

नई दिल्ली – जनवरी 2024 में होने वाले संसदीय चुनावों से पहले, चार साल के आत्म-निर्वासन के बाद पाकिस्तान के पूर्व प्रधान मंत्री नवाज शरीफ की वापसी, देश में अस्थिर राजनीति में एक नया मोड़ लाने के लिए तैयार है. शरीफ की वापसी से संकेत मिल रहे हैं कि शक्तिशाली मिलिट्री उन्हें समर्थन देने को तैयार है, क्योंकि वह अपने प्रतिद्वंद्वी इमरान खान को चुनौती देंगे और उनकी पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) को सत्ता में वापस आने से रोकने का प्रयास करेंगे.

दुबई से चार्टर्ड विमान से इस्लामाबाद उतरने के तुरंत बाद, शरीफ चुनाव के लिए अपनी पार्टी, पाकिस्तान मुस्लिम लीग- नवाज़ (पीएमएल-एन) के लिए कैंपेन शुरू करने के लिए अपने गृहनगर लाहौर चले गए. वह भ्रष्टाचार के आरोप में 14 साल की जेल की सज़ा काटते हुए इलाज कराने के लिए 2019 में लंदन चले गए थे.

लाहौर के मीनार-ए-पाकिस्तान में एक विशाल रैली को संबोधित करते हुए शरीफ ने कहा कि उन्होंने कभी भी अपने समर्थकों को धोखा नहीं दिया है और न ही किसी तरह की कुर्बानी से परहेज़ किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि उनके और उनकी पार्टी के नेताओं के खिलाफ झूठे और मनगढ़ंत मामले बनाए गए हैं. “वे कौन हैं जिन्होंने नवाज़ शरीफ़ को उनके देश से अलग कर दिया? हमने पाकिस्तान को परमाणु शक्ति बनाया. मैं पाकिस्तान को एशियाई शेर बना रहा था, लेकिन मुझे बाहर कर दिया गया.’ उन्होंने कहा कि अपने विरोधियों द्वारा पैदा की गई मुश्किलों के बावजूद वह लोगों के कल्याण के लिए काम करते रहे.

शरीफ की वापसी को उनके और मिलिट्री के बीच शरीफ के चौथी बार प्रधान मंत्री बनने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए एक समझौते के रूप में देखा जा रहा है. दोषी ठहराए जाने के बाद अदालत ने उन्हें जीवन भर सार्वजनिक पद के लिए घोषित कर दिया था, लेकिन वह ऊपरी अदालतों में अपील के माध्यम से इस फैसले को चुनौती देंगे.

रैली में अपने हज़ारों समर्थकों को संबोधित करते हुए 73 वर्षीय अनुभवी नवाज़ शरीफ ने कहा, “मुझे बदला लेने की कोई इच्छा नहीं है, लेकिन मैं पाकिस्तान की खराब आर्थिक स्थितियों को समाप्त करना चाहता हूं और इसे विकास के रास्ते पर वापस लाना चाहता हूं.” उन्होंने कहा, “मेरी एकमात्र इच्छा इस देश को समृद्ध होते देखना है.” शरीफ ने दावा किया कि तत्कालीन यू.एस. राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने उन्हें परमाणु परीक्षण न करने के लिए 1998 में 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की पेशकश की थी लेकिन फिर भी उन्होंने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाया.

हालांकि शरीफ की दो सज़ाऐं अभी भी बरकरार हैं, 24 अक्टूबर को उन्हें अदालत में पेश होना है तब तक के लिए इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने उन्हें सुरक्षात्मक ज़मानत दे दी है. उनकी सबसे बड़ी चुनौती जनता के बीच इमरान खान का समर्थन आधार खत्म करना और उसे वापस अपने लिए हासिल करना है. इमरान खान अप्रैल 2022 में प्रधान मंत्री कार्यालय से बाहर होने के बाद जेल में होने के बावजूद लोकप्रिय बने हुए हैं. खान को भ्रष्टाचार के आरोप के कारण चुनाव से भी अयोग्य घोषित कर दिया गया है. खान ने अदालत के फैसले के खिलाफ अपील की.

पीटीआई ने शरीफ को “राष्ट्रीय अपराधी” कहा है और कहा है कि पाकिस्तान सरकार ने भगोड़े को न्यायिक शरण के तहत घर लौटने का मार्ग प्रशस्त करके शर्म, विनम्रता, कानून और न्याय को अपने हाथों से दफन कर दिया है.

24.1 करोड़ की आबादी वाला पाकिस्तान आर्थिक संकट का सामना कर रहा है, नवाज़ शरीफ के छोटे भाई शहबाज़ शरीफ के 16 महीने के शासन के दौरान ये स्थिति और भी बिगड़ चुकी है, शहबाज़ शरीफ़ ने खान को हटाने के बाद गठबंधन सरकार का नेतृत्व किया था. बड़े शरीफ़ के पास आर्थिक वृद्धि और विकास को आगे बढ़ाने का रिकॉर्ड है. 2017 में जब उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटाया गया था, तब पाकिस्तान की विकास दर 5.8% थी और मुद्रास्फीति लगभग 4% थी. इस साल सितंबर में महंगाई दर साल-दर-साल 31% से ज्यादा थी और चालू वित्त वर्ष में ग्रोथ 2% से कम रहने का अनुमान है.

शहबाज़ शरीफ की सरकार अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से फंडिंग फिर से शुरू करने के लिए कठोर वित्तीय समायोजन के लिए सहमत हुई थी ऐसा होने के बाद बढ़ी जीवनयापन की लागतों ने पाकिस्तान के लोगों पर गंभीर दबाव डाला, खान द्वारा अपने अंतिम दिनों में एक सौदे को रद्द करने के बाद आईएमएफ ने भुगतान निलंबित कर दिया था. नवाज़ शरीफ़ ने दावा किया है कि शीर्ष जनरलों से अनबन के बाद सेना के आदेश पर उन्हें हटा दिया गया था. पूर्व प्रधान मंत्री के अनुसार, इसके बाद सेना ने 2018 के आम चुनावों में इमरान खान का समर्थन किया था.

शरीफ ने 2013 में प्रधान मंत्री के रूप में अपना तीसरा कार्यकाल शुरू किया और उनके शासन ने देश में सापेक्ष आर्थिक स्थिरता लाने में मदद की. वह कुछ बड़ी बुनियादी परियोजनाओं को पूरा करने में सक्षम थे और पाकिस्तान के औद्योगिक क्षेत्र को प्रभावित करने वाली बिजली कटौती को कम किया था. उनकी परेशानियां 2016 में पनामा पेपर्स के लीक होने से शुरू हुईं, पनामा पेपर्स से पता चला था कि उन्होंने और उनके परिवार ने लंदन में आवासीय संपत्तियों सहित विशाल संपत्ति अर्जित की थी.

हालाँकि शरीफ ने किसी भी तरह के भ्रष्टाचार से इनकार किया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जून 2017 में उन्हें बेईमान घोषित करते हुए प्रधान मंत्री पद के अयोग्य घोषित कर दिया. परिणामस्वरूप, उन्हें पद छोड़ना पड़ा. लगभग एक साल बाद, सुप्रीम कोर्ट ने अपनी तरह के पहले फैसले में उन पर राजनीति में भाग लेने या कोई सार्वजनिक पद संभालने पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया.

दिसंबर 2018 में, एक अन्य अदालत ने शरीफ को भ्रष्टाचार के मामले में दोषी ठहराया और जेल की सज़ा सुनाई, और उन पर 25 मिलियन अमेरिकी डॉलर का जुर्माना लगाया. आम चुनावों में उनकी पार्टी के पीटीआई से हारने के कुछ महीने बाद यह फैसला आया. उन्हें नवंबर 2019 में स्वास्थ्य के आधार पर जेल छोड़ने की अनुमति दी गई और वह लंदन चले गए, और लगभग चार साल बाद वापस लौटे.

पाकिस्तान में राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, आगामी आम चुनावों में पीटीआई को हराने के लिए शरीफ की वापसी का मार्ग सेना ने प्रशस्त किया है, क्योंकि पीटीआई प्रमुख इमरान खान देश में सबसे लोकप्रिय नेता बने हुए हैं. पाकिस्तानी सेना पीएमएल-एन से हालात बदलने और पीटीआई की हार सुनिश्चित करने के लिए शरीफ के अनुभव और करिश्मे पर उम्मीद लगाए बैठी है.

हालाँकि, शरीफ को प्रधानमन्त्री पद की दौड़ में शामिल होने के लिए भ्रष्टाचार से संबंधित आरोप को बेबुनियाद साबित करना होगा. भारत के साथ संबंधों सहित विदेश नीतियों को लेकर शरीफ और सेना के बीच संबंधों में खटास आ गई थी. जहां एक ओर उन्होंने भारत के साथ संबंधों में सुधार की वकालत की, वहीं पठानकोट और उरी में जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा द्वारा किए गए आतंकी हमलों जैसे मुद्दों पर सेना और शरीफ में मतभेद थे.

चूंकि शरीफ ने पाकिस्तान के डे टू डे गवर्नेंस को लेकर सेना के जनरलों के साथ भी टकराव किया था, इसलिए सेना ने उन्हें हटाने का फैसला किया और कथित तौर पर उन्हें हटाने की साज़िश रची. विश्लेषकों का मानना है कि यह सेना ही थी जिसने इमरान खान को शरीफ के मुख्य प्रतिद्वंद्वी के रूप में खड़ा किया था और उन्हें 2018 के आम चुनाव जीतने में मदद की थी. बाद में, सुरक्षा नियुक्तियों को लेकर खान और सेना के बीच गंभीर मतभेद पैदा हो गए और पीटीआई प्रमुख को पिछले साल संसदीय अविश्वास मत में प्रधान मंत्री पद से हटा दिया गया

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