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Friday, May 3, 2024
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नूह साम्प्रदायिक झड़प: मुस्लिम युवा पुलिस की इकतरफा कार्रवाई के डर से जंगलों में पनाह लेने को मजबूर

सैयद ख़लीक अहमद

नूंह (हरियाणा) | दक्षिण हरियाणा के पिछड़े इलाके मेवात क्षेत्र के एक प्रमुख शहर नूंह में विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित “ब्रज मंडल यात्रा” में शामिल रहे लोगों और मुसलमानों के बीच हिंसा के बाद से पिछले दो सप्ताह से यहां स्थानीय मुसलमान डर के साए में जी रहे हैं. 31 जुलाई को विश्व हिंदू परिषद और उसकी युवा शाखा बजरंग दल के सदस्यों द्वारा यह यात्रा आयोजित की गई थी, इसमें शामिल ज़्यादातर यात्री बाहरी थे और राज्य के अलग अलग हिस्सों से आए थे.

यदि इस वक्त कोई इस कस्बे का दौरा करे तो उसे वहां शायद ही कोई मुस्लिम युवक मिले. इस मुस्लिम बहुल शहर में केवल महिलाएं, बूढ़े और 12 या 10 साल से कम उम्र के बच्चे ही दिखाई देंगे.

मुस्लिम निवासी इतने भयभीत हैं कि वे पुलिस कार्रवाई के बारे में मीडियाकर्मियों से बात करते समय अपनी पहचान बताने को भी तैयार नहीं हैं.

निवासियों का कहना है कि मुस्लिम युवा शहर छोड़कर अरावली पर्वतमाला की तलहटी में पास के जंगलों और हरियाणा और पड़ोसी राजस्थान के गांवों में अपने रिश्तेदारों के पास शरण ले चुके हैं.

कई स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि पुलिस अचानक उनके घरों में घुस गई और पुरुष सदस्यों की तलाश करने लगी. जब उन्हें कोई पुरुष सदस्य नहीं मिला, तो उन्होंने परिवार के सदस्यों की संख्या, परिवार में बच्चों की संख्या और उनकी उम्र पूछी. आधी रात को अपने घर पर पुलिस छापे से डरी एक गर्भवती महिला ने समय से पहले अपने बच्चे को जन्म दे दिया.

एक मुस्लिम सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मालव गांव के एक खेत में पनाह लिए एक मुस्लिम युवक को सांप ने काट लिया और उसकी तुरंत मौत हो गई. इससे पता चलता है कि पुलिस द्वारा किसी भी वक्त छापे मारकर की जा रही गिरफ्तारी के कारण मुस्लिम आबादी के बीच भय किस कदर व्याप्त हो चुका है.

पुलिस इस रिपोर्ट को लिखे जाने तक पुलिस द्वारा 57 एफआईआर दर्ज की जा चुकी थी, जिनमें 11 उन लोगों के खिलाफ थीं जिन्होंने सोशल मीडिया पर सांप्रदायिक झड़पों के बारे में समाचार और वीडियो शेयर किए थे.

इंडिया टुमारो की टीम ने 9 अगस्त तक जब शहर और आस-पास के इलाकों का दौरा किया तो मालूम हुआ कि पुलिस ने 188 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें से लगभग सभी मुस्लिम थे. कई मुसलमानों ने कहा कि पुलिसकर्मियों ने लोगों के मोबाइल फोन की जांच की और हिंसा से संबंधित वीडियो डिलीट कर दिए.

हालांकि, इंटरनेट बैन से पहले हिंसा के कुछ वीडियो वायरल हुए थे. पूरे नूंह जिले में अभी भी इंटरनेट बैन जारी है.

ब्रज मंडल यात्रियों की अब तक गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?

खबर लिखे जाने तक पुलिस ने यात्रा में शामिल किसी भी व्यक्ति या यात्रा के आयोजकों को गिरफ्तार नहीं किया था. इससे पुलिस और अन्य एजेंसियों की निष्पक्षता पर सवालिया निशान लग रहा है.

कई प्रयासों के बावजूद नूंह के पुलिस अधीक्षक नरेंद्र बिरजानी से संपर्क नहीं हो सका तो नूंह पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी पीआरओ) कृष्ण कुमार से बात की गई, जब पुलिस द्वारा उन यात्रियों को गिरफ्तार नहीं किए जाने के बारे में सवाल किया गया जो हथियारों से लैस थे और मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ नारे लगा रहे थे, उन्होंने कहा कि, “पुलिस यह पहचानने की कोशिश कर रही है कि वास्तव में यात्रियों में से कौन लोग हिंसा में शामिल थे ताकि उन्हें गिरफ्तार किया जा सके.”

जब उनसे यह सवाल किया गया कि मुस्लिम युवाओं की गिरफ्तारी के संबंध में भी पहचान करने का यही मापदंड क्यों नहीं अपनाया गया तो वह उलझन में दिखाई दिए. बार-बार पूछने पर उन्होंने कहा, ”मैं समझ गया कि आप क्या कहना चाहते हैं. लेकिन मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि पुलिस अधिकारी पक्षपाती नहीं हैं. श्री नरेंद्र बिरजानिया एक बेहद ईमानदार और ज़िम्मेदार अधिकारी हैं.”

लेकिन उन्होंने इस अहम सवाल का जवाब देने से परहेज़ किया कि हिंसा में संलिप्तता का कोई आधार न होते हुए भी मुस्लिम लड़कों को बेतरतीब ढंग से क्यों गिरफ्तार किया जा रहा है. ऐसे कई सवालों पर पुलिस की चुप्पी बताती है कि पुलिस और जांच एजेंसियों को और अधिक पारदर्शी होने की ज़रूरत है ताकि मुसलमानों को इस बात पर यकीन दिलाया जा सके कि पुलिस एकतरफा कार्रवाई नहीं कर रही है.

पुलिस को यह पता लगाना चाहिए कि यात्रा में शामिल लोग कौन थे, वे सभी कहां से आये थे, उनकी पृष्ठभूमि क्या है और क्या उनका कोई आपराधिक इतिहास रहा है और वे एक धार्मिक यात्रा में हथियार क्यों ले जा रहे थे? और पुलिस ने एक धार्मिक कार्यक्रम में हथियार लेकर चलने की इजाज़त क्यों दी?

यात्रा आयोजकों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई

यह बेहद निराशाजनक है कि यात्रा के दौरान सुरक्षा ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों ने यात्रियों को हथियार ले जाने और मुस्लिम विरोधी नारे लगाने से रोकने के लिए कुछ नहीं किया. यात्रा के आयोजकों ने यात्रा में शामिल लोगों को हथियार लेकर चलने और दूसरे धर्म के खिलाफ नारे लगाने की अनुमति क्यों दी? क्या यह सुनिश्चित करना आयोजकों की ज़िम्मेदारी नहीं थी कि यात्रा में भाग लेने वाले लोग अन्य समुदायों के लिए अपमानजनक नारे न लगाएं? इन सवालों पर पुलिस और जांच एजेंसियां चुप क्यों हैं?

पुलिस ने यात्रा आयोजकों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया जिन्होंने यात्रा में शामिल लोगों को हथियार ले जाने और मुस्लिम विरोधी नारे लगाने की अनुमति दी थी? यदि कुछ अपराधी हथियारों के साथ यात्रा में घुस आये थे तो आयोजकों ने पुलिस को उनकी सूचना क्यों नहीं दी? राज्य सरकार, नूंह सांप्रदायिक हिंसा में शामिल यात्रियों के घरों पर बुलडोज़र क्यों नहीं चला रही है?

यात्रा के आयोजकों और उसमें शामिल यात्रियों के प्रति यह नरम रुख क्यो अपनाया जा रहा है जिनकी भड़काऊ यात्रा के परिणामस्वरूप नूंह में हिंसा हुई, वो नूंह जहां 1992 के बाद कभी सांप्रदायिक झड़प नहीं हुई. हिंसा सिर्फ नूंह तक ही सीमित नहीं रही बल्कि यह आसपास के शहरों जैसे सोहना, ताओरू और यहां तक कि गुरुग्राम (पूर्व में गुड़गांव) तक फैल गई. गुरुग्राम गूगल सहित कई बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का केंद्र है.

मुसलमानों ने धार्मिक यात्रा में शामिल हिंदू यात्रियों को भोजन और पानी दिया

यात्रा नूंह शहर से लगभग चार किलोमीटर दूर अरावली पर्वतमाला की तलहटी में स्थित नलहर मंदिर से शुरू हुई थी. यह मंदिर महज़ चार साल पहले से शुरू हुई यात्रा के आयोजन का मुख्य केंद्र है. मंदिर से नूंह शहर तक के रास्ते में कोई हिंदू घर नहीं है. चूंकि 31 जुलाई को जब यात्रा शुरू हुई तो बहुत गर्मी थी, यात्रियों ने नलहर मेडिकल कॉलेज के बाहर मुसलमानों की दुकानों पर कुछ देर आराम किया. मुसलमानों ने उन्हें पानी के पाउच और पानी की बोतलें मुफ्त में दीं.

मेडिकल कॉलेज के सामने स्थित मस्जिद के इमाम हाफ़िज़ खालिद ने कहा कि एक मुस्लिम परिवार ने कुछ यात्रियों को भोजन भी दिया. पाकीज़ा मेडिकल स्टोर (अब ध्वस्त कर दिए गए) के ज़ुबैर खान ने कहा कि यात्रियों ने नूंह शहर की ओर बढ़ने से पहले मुस्लिम दुकानों में थोड़ा आराम किया. उन्होंने बताया कि वे सभी धारदार हथियारों से लैस थे.

झंडा चौक पर हुई झड़प

नूंह से आगे पूरे ब्रज यात्रा मार्ग में राज्य राजमार्ग के दोनों ओर मुस्लिम गांव हैं, इसलिए जब मुस्लिम युवकों ने यात्रियों द्वारा मुस्लिमों के खिलाफ़ भड़काऊ नारेबाज़ी के बाद उन पर पथराव किया और उनका मंदिर तक पीछा किया तो यात्री वापस चले गए और मंदिर में शरण ली, लेकिन यात्रियों में से किसी को भी गंभीर चोट नहीं आई.

नलहर मंदिर को अब आईटीबीपी जवानों द्वारा चौबीसों घंटे की सुरक्षा प्रदान की गई है. आईटीबीपी के जवानों ने इंडिया टुमॉरो टीम को मंदिर के पुजारी और उसके प्रशासकों से मिलने की अनुमति नहीं दी, जो यह जानना चाहती थी कि धार्मिक यात्रा में भाग लेने वालों को हथियार ले जाने की अनुमति क्यों दी गई? यात्रियों को हथियारों के साथ मंदिर में इकट्ठा होने और रुकने की अनुमति क्यों दी गई? अगर उन्हें पता था कि यात्री अपने साथ हथियार ले जा रहे हैं तो उन्होंने पुलिस को इसकी सूचना क्यों नहीं दी? यह वास्तव में क्षेत्र के लोगों की खुशकिस्मती है कि मंदिर में कभी भी स्थानीय मुसलमानों की ओर से कोई हिंसा नहीं की गई, यहां तक कि 1992 में भी नहीं, जब बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद नूंह सांप्रदायिक झड़पों से दहल गया था. इससे पता चलता है कि यहां मुसलमान अमन पसन्द हैं.

मुस्लिमों के घरों और व्यावसायिक स्थानों पर चलाया जा रहा है बुलडोज़र

नूहं में अधिकारियों ने हिंसा शुरु करने वाले लोगों की पहचान किए बिना ही एक हज़ार से अधिक मुस्लिम संपत्तियों पर बुलडोज़र चला दिया, जिनमें सैकड़ों अस्थायी सड़क किनारे केबिन, गुमटी और अन्य दुकानें शामिल हैं, ये सभी गरीब मुसलमानों के लिए आजीविका का स्रोत थीं.

मुसलमानों को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के लिए इज़राइल की नकल की जा रही है

अधिकारियों का कहना है कि जहां बुलडोज़र चलाया गया है वे सभी सरकारी भूमि पर अतिक्रमण थे, लेकिन प्रशासन द्वारा अतिक्रमण हटाने के नाम पर की गई कार्रवाई का समय इंगित करता है कि इसका उद्देश्य यात्रा में घुसपैठ करने वाले और मुस्लिम विरोधी नारे लगाने वाले उपद्रवियों को चुनौती देने वाले मुसलमानों को सामूहिक दंड देना है. यह कार्रवाई इज़रायली सरकार की तर्ज़ पर की जा रही प्रतीत होती है जो उन फ़िलिस्तीनी मुसलमानों के घरों और संपत्तियों को गिरा देती है जो अवैध यहूदी निवासियों के आक्रमण या अवैध पुलिस कार्रवाई का विरोध करते हैं.

मुसलमानों को सामूहिक दंड देने की जल्दबाज़ी में, पुलिस सुरक्षा में स्थानीय नगर पालिका ने उन इमारतों को भी ध्वस्त कर दिया जो कानूनी रूप से बनाई गई थीं. इनमें चार मंज़िला सहारा होटल भी शामिल है, यह होटल पलवल जिले के अकील मेव का था. इस होटल को चलाने वाले जमशेद मेव होटल तोड़े जाने के बाद डिप्रेशन में चले गए और फिलहाल अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है. होटल मालिक का अनुमानित नुकसान 2 करोड़ रुपये बताया जा रहा है.

इसी तरह, झंडा रोड पर एक मुस्लिम के पक्के मैदान और एक घर पर बुलडोज़र चला दिया गया, जबकि उसी मुस्लिम घर के बगल में एक हिंदू की संगमरमर की दुकान को बिल्कुल भी नहीं छुआ गया.

नगर पालिका और पुलिस ने झंडा पार्क के पास कज़ारिया टाइल्स एंड होम डेकोर के ग्राउंड फ्लोर पर भी बुलडोज़र चला दिया. इसके मालिक लियाकत अली मेव ने बताया कि उन्होंने अपनी ज़मीन पर शोरूम बनाया था और पिछले तीन साल से कारोबार कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने विध्वंस के खिलाफ रोक का आदेश नहीं दिया होता तो उनकी पूरी चार मंज़िला इमारत को ध्वस्त कर दिया गया होता. लियाकत अली ने बताया कि उन्होंने 31 जुलाई को मुख्य सड़क पर झड़प के बाद भाग रहे चार बजरंग दल कार्यकर्ताओं को आश्रय दिया था. उनका अनुमानित नुकसान 30 लाख रुपये है.

कज़ारिया टाउन के बगल में अनीस ट्रांसपोर्टर्स के ऑफिस वाली इमारत का भूतल और बेसमेंट भी बुलडोज़र की कार्रवाई में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया. उनका अनुमानित नुकसान लगभग 5 लाख रुपये है.

पूरा नूंह शहर युद्ध से तबाह हुई जगह जैसा दिखाई दे रहा है. नलहर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल के सामने स्थित मेडिकल स्टोर और एक्स-रे और सोनोग्राफी सेंटर सहित 100 से अधिक दुकानें गिरा दी गईं, इन सभी व्यावसायिक संस्थानों के मालिक मुसलमान थे. जल्दबाज़ी में, अधिकारियों ने मेडिकल कॉलेज के सामने स्थित मस्जिद से संबंधित बाथरूम, शौचालय और अन्य संपत्तियों को भी नुकसान पहुंचाया, मस्जिद में बिजली की आपूर्ति भी काट दी गई. मस्जिद प्रबंधन ने बताया कि क्षति की मरम्मत और मस्जिद में बिजली आपूर्ति बहाल करने में कई दिन लगेंगे.

मस्जिद के इमाम हाफ़िज़ खालिद ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में आने वाले कई हिंदू मरीज़ मस्जिद के शौचालय और बाथरूम का इस्तेमाल करते थे क्योंकि मेडिकल कॉलेज में बाथरूमों की साफसफाई और रखरखाव ठीक से नहीं किया जाता है.

डॉ. लाल्स पैथोलॉजी लैब के लिए सैंपल कलेक्शन सेंटर चलाने वाले ज़िया उल मेव ने बताया कि उन्हें लगभग 50 लाख रुपये का नुकसान हुआ है उन्हें उपकरण हटाने का मौका दिए बिना ही उनकी पूरी लैब को ज़मींदोज कर दिया गया.

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