अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टूमारो
लखनऊ | मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि – शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। यह नया विवाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने खड़ा किया है और ईदगाह की जमीन पर दावा किया है तथा इसके लिए अदालत में एक वाद भी दायर कर दिया है।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि -शाही ईदगाह मस्जिद विवाद में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने ईदगाह की जमीन पर अपना दावा किया है तथा शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने के लिए कहा है। इसके लिए श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने शुक्रवार 11 अगस्त 2023 को मथुरा में सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में बाकायदा एक वाद दायर कर दिया है।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने अपने दायर किए गए वाद में दावा किया है कि 1968 में शाही ईदगाह मस्जिद के साथ श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ने जो समझौता किया था, वह अधिकृत नहीं है और उसे खारिज किया जाए।
कोर्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के इस दावे को स्वीकार कर लिया है और इसे हाईकोर्ट भेजने के लिए कहा है, जिससे श्रीकृष्ण जन्मभूमि -शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर पहले से ही चल रहे 17 मुकदमों के साथ सुनवाई के लिए इसको भी उनके साथ जोड़ा जा सके।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि -शाही ईदगाह मस्जिद को लेकर पहले से ही 17 मामले दायर हो चुके हैं और यह सभी हाईकोर्ट में चल रहे हैं। लेकिन यह पहला मामला है, जिसमें श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से ठाकुर बालकृष्ण केशव देव खुद वादी हैं।
इस मामले के वकील महेश चतुर्वेदी का कहना है कि, ” श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान( पूर्व में सेवा संघ) और शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी को प्रतिवादी बनाया है।”
श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने दावा किया है कि 1968 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ ने शाही मस्जिद ईदगाह कमेटी के साथ जन्मभूमि को लेकर जो समझौता किया था,वह गैर आधिकारिक है और उसे खारिज किया जाए। जन्मभूमि पर ईदगाह अनाधिक्रत तौर पर बनी है और इसे हटवाया जाए।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के वकील महेश चतुर्वेदी का इस संबंध में कहना है कि, “भगवान श्रीकृष्ण का जन्म 5 हजार वर्ष पहले हुआ था, तब से यह भूमि कटरा केशव देव के नाम से जानी जाती है। लगभग 16 एकड़ इस भूमि को ब्रिटिश काल में नजूल की भूमि घोषित कर दिया गया वह, जिसको नीलामी में वाराणसी के राजा पटनीमल ने खरीद लिया था और इसका एक ट्रस्ट बनाया था।”
आगे कहा गया है कि, “इस ट्रस्ट द्वारा श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ बनाया गया था। भूमि संघ के नाम पर नहीं थी, लेकिन इसने 1968 में ईदगाह कमेटी से समझौता कर लिया। इस समझौते के तहत 13.37 एकड़ में से 2.5 एकड़ भूमि ईदगाह कमेटी को दे दी गई। इसलिए यह समझौता पूर्ण रूप से गलत है।”
मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि – शाही ईदगाह मस्जिद के विवाद को लेकर 17 मुकदमें अभी तक चल रहे थे, जिनको कि हाईकोर्ट ने अपने यहाँ सुनवाई के लिए मंगवा लिया है। यह सभी आज की स्थिति में हाईकोर्ट में चल रहे हैं। लेकिन इन सभी मुकदमों में से किसी भी मुकदमें में शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन पर दावा नहीं किया गया है और न ही शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की बात कही गई है।
हालांकि पहली बार श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन पर अपना दावा किया है और उसको हटाने के लिए मुकदमा दायर किया है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के इस कदम से एक नए विवाद को जन्म दिया है और इससे अनावश्यक विवाद की स्थिति पैदा हो गई है।
अब इस मामले में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के द्वारा 1968 के समझौते को गलत और अवैधानिक बताया जाना कहीं से भी उचित नहीं लगता है, क्योंकि जब दो पक्षों के बीच आपस में कोई समझौता हो जाता और तीसरे पक्ष को यह किसने अधिकार दे दिया है कि वह समझौते को गलत बताए। श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट के इस मुकदमें से केवल नए विवाद का जन्म होगा, इसके सिवा कुछ भी नहीं।