https://www.xxzza1.com
Tuesday, April 30, 2024
Home पॉलिटिक्स राइट-टू-हेल्थ क़ानून बनाने वाला देश का पहला राज्य बना राजस्थान

राइट-टू-हेल्थ क़ानून बनाने वाला देश का पहला राज्य बना राजस्थान

रहीम ख़ान

जयपुर | राजस्थान, 21 मार्च 2023 को देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां के नागरिकों के लिए स्वास्थ्य का अधिकार कानून लागू किया गया है. राजस्थान की विधानसभा में यह विधेयक पास होने के बाद अब राजस्थान राज्य के प्रत्येक निवासी को यह अधिकार प्राप्त होगा कि आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं बिना किसी पूर्व भुगतान के प्राप्त होगी साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं में पारदर्शिता आएगी.

इससे राज्य सरकार की प्रदेशवासियों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता करवाने की प्रतिबद्धता सुनिश्चित होगी. राजस्थान, न केवल सम्पूर्ण भारत में बल्कि एशिया और अफ्रीका महाद्वीप में इस प्रकार का स्वास्थ्य का अधिकार अपने नागरिकों को देने वाला पहला राज्य बना है.

यह एक प्रकार का प्रगतिशील कानून है जो संविधान के अनुच्छेद 47 में नीति निर्देशक तत्व के अधीन स्वास्थ्य और कल्याण के अधिकार और उनकी पूर्ति और अनुच्छेद 21 के तहत स्वतंत्रता के अधिकार की विस्तारित परिभाषा के अनुरूप स्वास्थ्य के अधिकार को सुनिश्चित करता है.

ज्ञात हो की 22 सितंबर 2022 को विधान सभा में राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक, 2022 पेश किया गया था जिसे अगले ही दिन संक्षिप्त चर्चा के बाद प्रवर समिति को भेजने का निर्णय लिया गया था. इस विधेयक का निजी स्वास्थ्य सेवा प्रदाता पुरज़ोर विरोध कर रहे थे जिसके चलते विधेयक में कई संशोधन किये गए थे.

जन स्वास्थ्य अभियान राजस्थान से जुड़ी सामाजिक कार्यकर्ता छाया पचोली ने इंडिया टुमारो को बताया कि राजस्थान विधान सभा में पारित स्वास्थ्य का अधिकार कानून का जन स्वास्थ्य अभियान राजस्थान स्वागत करता है और इस हेतु मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व उनकी सरकार को इस अहम कदम को उठाने के लिए बधाई व धन्यवाद ज्ञापित करता है.

क्या क्या प्रावधान हैं इस विधेयक में ?

• सभी राजकीय चिकित्सा संस्थानों में उनमें उपलब्ध हैल्थ केयर लेवल के अनुरूप राज्य के प्रत्येक निवासी को सभी प्रकार की ओपीडी, आईपीडी सेवाएं, सलाह, दवाइयां, जांच, आपातकालीन परिवहन, प्रक्रिया और सेवाएं आपातकालीन केयर, निःशुल्क प्राप्त करने का अधिकार होगा।

•राज्य के निवासियों को चिकित्सा संस्थान एवं डेजिग्नेटेड हैल्थ केयर सेन्टर में निर्धारित नियमानुसार निःशुल्क चिकित्सा सुविधा प्राप्त करने का अधिकार होगा।

• सड़क दुर्घटना के घायल व्यक्तियों को निर्धारित नियमानुसार निःशुल्क ट्रांसपोर्ट, इलाज एवं बीमा प्राप्त करने का अधिकार होगा।

• प्रत्येक निवासी को रोग की प्रकृति, कारण, उसके लिए प्रस्तावित जांच और केयर, उसके उपचार के संभावित परिणामों, उसमें होने वाली संभावित जटिलताओं और उस पर आने वाले संभावित खर्चे के बारे में सुसंगत जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होगा।

• अपेक्षित फीस या चार्जेज का पूर्व भुगतान किए बिना राज्य के निवासियों को किसी दुघर्टनाजनित आपात स्थिति में राजकीय और डेजिग्नेटेड निजी अस्पताल में आपातकालीन उपचार एवं केयर प्राप्त करने का अधिकार होगा।

आपात स्थिति में एक्सीडेंटल ईमरजेंसी, सर्प दंश / जानवर के काटने के कारण ईमरजेंसी और स्टेट हैल्थ ऑथिरिटी द्वारा निर्धारित आपात स्थिति को शामिल किया गया है।

एक्सीडेंटल ईमरजेंसी से तात्पर्य अनजाने या अप्रत्याशित तरीके से कोई घटना घटित होने के परिणामस्वरूप किसी व्यक्ति की मौत होने या चोट लगने के जोखिम से है। इसमें सड़क, रेल, जल या वायु दुर्घटना शामिल है।

ईमरजेंसी केयर से तात्पर्य किसी दुर्घटना या आपराधिक घटना या किसी प्रकार की अन्य आपात स्थिति में घायल व्यक्ति को प्राथमिक उपचार सलाह और सहायता देना शामिल है।

ईमरजेंसी प्रसूति केयर भी इसमें शामिल है जिसके अनुसार गर्भावस्था व प्रेगनेंसी की जटिलता से ग्रसित महिला का उपचार करना शामिल है।

प्राथमिक उपचार में किसी दुर्घटना / क्रेश / आपराधिक घटना या किसी अन्य आपात स्थिति में घायल व्यक्ति को दिए जाने वाले निर्धारित उपचार से पूर्व उसकी स्थिति को स्टेबल बनाये रखने के लिए मेडिकल प्रोफेशन से जुड़े किसी व्यक्ति द्वारा दिए जाने वाले उपचार को शामिल किया गया है।

स्टेबलाइजेशन से तात्पर्य है किसी घायल व्यक्ति को निर्धारित उपचार स्थल तक उसके लिए निर्धारित उपचार के लिए भेजने से पूर्व दिए जाने वाले ऐसे चिकित्सकीय उपचार से है जिससे उसकी स्थिति को स्थिर किया जा सके और उसके लिए निर्धारित इलाज से पूर्व उसको होने वाले किसी नुकसान को रोका जा सके।

किसी घायल व्यक्ति के उपचार के लिए आवश्यक स्थानांतरण और परिवहन भी इसमें शामिल है।

•यदि कोई चिकित्सा विधिक (मेडिको लीगल) मामला है तो कोई हैल्थ केयर प्रोवाइडर या संस्थान पुलिस अनापत्ति या पुलिस रिपोर्ट प्राप्ति के आधार पर राज्य के निवासी के उपचार में विलम्ब नहीं कर सकता है।

•आपात स्थिति में उपचार के पश्चात यदि उपचार करवाने वाला व्यक्ति चिकित्सा संस्थान को निर्धारित शुल्क या चार्जेज का भुगतान नहीं करता है तो सरकार द्वारा इसका पुर्नभरण किया जाएगा।

• रोगी के रिकॉर्ड जांच रिपोर्टों तथा विस्तृत मदवार बिलों की जानकारी प्राप्त करने का अधिकार दिया गया है।

• हैल्थ केयर देने वाले व्यक्ति का नाम, उसकी प्रोफेशनल स्टेटस और जॉब चार्ट के बारे में जानने का अधिकार होगा।

•किसी पुरूष प्रेक्टिशनर द्वारा किसी महिला रोगी के शारीरिक परीक्षण के दौरान अन्य महिला की उपस्थिति का अधिकार होगा।

•किसी उपचार या निर्धारित जांचों के लिए पूर्व सूचित सहमति देने का अधिकार होगा।

•किसी अन्य चिकित्सा संस्थान में वैकल्पिक उपचार चयन करने का अधिकार होगा।

• धर्म, लिंग, मूलवंश, जाति, आयु, जन्म स्थान के भेदभाव के बिना तथा किसी बीमारी या अवस्था की दशा में राज्य के निवासी को बिना किसी भेदभाव के उपचार प्राप्त करने का अधिकार होगा।

•राज्य के निवासी को चिकित्सा संस्थान में उपलब्ध प्रत्येक प्रकार की सेवाओं और सुविधाओं के रेट और चार्जेज जानने का अधिकार होगा।

•दवा प्राप्त करने या जांच करवाने का स्थान चयन करने का अधिकार होगा।

•किसी अन्य चिकित्सक या संस्थान से सेकेण्ड ओपिनियन लेने के लिए जिस चिकित्सा संस्थान में उपचार चल रहा है उससे उपचार रिकॉर्ड और सूचना प्राप्त करने का अधिकार होगा।

•चिकित्सक की सलाह के विरूद्ध यदि रोगी अस्पताल छोड़ता है तो उससे ट्रीटमेंट समरी प्राप्त करने का अधिकार होगा।

• इसके अतिरिक्त राज्य के निवासियों के डॉक्टर एवं चिकित्सा संस्थानों के प्रति उत्तरदायित्व एवं कर्तव्य निर्धारित किए गए हैं। इसके साथ ही हैल्थ केयर प्रोवाइडर एवं संस्थानों के अधिकार एवं दायित्व भी निर्धारित किए गए हैं।

•राज्य स्तर पर दो तरह के प्राधिकरण गठित किए गए हैं जिसमें स्टेट हैल्थ ऑथिरिटी फॉर लॉजिस्टिक ग्रिवान्सेज, आमजन की समस्या निस्तारण का कार्य करेगी। इसके साथ ही उपचार एवं इस कानून के तहत तकनीकी सलाह हेतु दूसरी ऑथिरिटी स्टेट हैल्थ ऑथिरिटी फॉर ट्रीटमेंट प्रोटोकाल का गठन किया गया है। इस दूसरी ऑथिरिटी में केवल एक सदस्य को छोड़कर विशेषज्ञ चिकित्सक ही शामिल हैं।

• डिस्ट्रिक्ट हैल्थ ऑथिरिटी का गठन किया गया है जिसमें जिला कलक्टर सहित चिकित्सक सम्मिलित है।

•शिकायत के निवारण हेतु शिकायत निवारण तंत्र विकसित किया गया है। किसी व्यक्ति को इलाज नहीं मिलने पर या इलाज से संबंधित अन्य शिकायत के लिए उसे 15 दिवस के भीतर उसी चिकित्सा संस्थान के प्रभारी को शिकायत करनी होगी।

•यदि संस्था प्रभारी द्वारा 3 दिवस में शिकायत का समाधान नहीं किया जाता है तो वह शिकायत जिला स्वास्थ्य प्राधिकरण के पास अग्रेषित हो जाएगी जिसे उसको 30 दिवस में निस्तारित करना होगा। यदि यहां शिकायत का समाधान नहीं होता है तो यह प्रकरण स्टेट हैल्थ ऑथिरिटी फॉर लॉजिस्टिक ग्रिवान्सेज के पास अग्रेषित हो जाएगा।

जन स्वास्थ्य अभियान राजस्थान से जुड़ी सामाजिक कार्यकर्ता छाया पचोली ने इंडिया टुमारो को बताया कि स्वास्थ्य का अधिकार कानून का जन स्वास्थ्य अभियान राजस्थान स्वागत करता है. साथ ही राजस्थान देश का अब पहला ऐसा राज्य बन गया है जिसने स्वास्थ्य के अधिकार को एक कानूनी जामा पहनाया है, यह प्रदेशवासियों के लिए निश्चित ही गर्व की बात है.

उन्होंने बताया कि हमें इस बात की निराशा भी है की इस कानून में कई प्रभावी धाराएँ होने के बावजूद भी यह एक मजबूत कानून की श्रेणी में नहीं गिना जा सकता है क्योंकि इसमें कुछ ऐसी कमियां हैं जो की इसको कई मायनों में कमज़ोर बनाती है.

क़ानून के कुछ बिन्दुओं पर उठते सवाल

इनमें से कुछ संशोधन अत्यंत चिंता का विषय हैं जो की इस कानून के तहत जवाबदेही और शिकायत निवारण प्रणाली को काफ़ी हद तक ध्वस्त करते हैं, जैसे :

-कानून में राज्य एवं ज़िला स्तरीय प्राधिकरणों में केवल सरकारी अधिकारी व IMA के चिकित्सकों का प्रतिनिधित्व है. अन्य कोई भी प्रतिनिधि जैसे जन स्वास्थ्य विशेषज्ञ, जन प्रतिनिधि, सिविल सोसाइटी इत्यादि की इन प्राधिकरणों में कोई सदस्यता नहीं रखी गयी है. इस प्रकार यह प्राधिकरण बेहद गेर समावेशी व अलोकतांत्रिक सरकारी ढांचे की तरह ही प्रतीत होते हैं. यह प्राधिकरण जिनकी रोगी शिकायत निवारण प्रक्रिया में अहम भूमिका है ऐसे में किस प्रकार अपनी भूमिका निष्पक्ष तरीके से निभा पाएंगे ये एक बड़ा प्रश्न है.

साथ ही जबकि पूर्व में विधेयक में रोगी द्वारा किसी स्वास्थ्य सेवा केंद्र/चिकित्सालय से सम्बंधित शिकायत दर्ज करने हेतु वेब पोर्टल व हेल्पलाइन के प्रावधानों की बात कही गयी थी, वहीँ अब इन दोनों प्रावधानों को हटा दिया गया है और कानून में शिकायत दर्ज करने हेतु मात्र लिखित में शिकायत के प्रावधान की बात कही गयी है. यह शिकायत रोगी द्वारा सम्बंधित चिकित्सालय के प्रभारी को दी जानी होगी. इसके चलते रोगियों हेतु शिकायत दर्ज कराने के रास्तों को पूरी तरह सिमित कर दिया गया है और जिस तरह की प्रणाली की यहाँ बात की गयी है उससे निश्चित ही कई रोगी शिकायत दर्ज करने में सहज नहीं होंगे.

साथ ही यह कानून सिर्फ राजस्थान के निवासियों पर लागू होगा. यह अत्यंत भेदभावपूर्ण है. इसके चलते राज्य की जनसँख्या का एक बड़ा ज़रूरतमंद तबका जिसमें की प्रवासी मजदूर, शरणार्थी, घुमंतू, बेघर जनसँख्या इत्यादि इस कानून के लाभों से वंचित रह जायेंगे. हमारा मानना है की यह कानून पूर्ण रूप से उन सभी रोगियों पर लागू होना चाहिए जो की राजस्थान के किसी भी चिकित्सालय से उपचार लेते हों, भले ही वो राज्य के स्थाई निवासी हों या अस्थायी. इस महत्वपूर्ण कानून को किसी निश्चित जनसँख्या वर्ग तक सीमित कर देने से तय है की एक बड़ी जनसँख्या के स्वास्थ्य अधिकारों का हनन होता रहेगा और उनकी कोई सुनवाई नहीं होगी. यह अत्यंत ही दुर्भाग्यपूर्ण होगा.

छाया पचोली ने बताया कि, हमारा राज्य सरकार से अनुरोध है की उपर्युक्त बिन्दुओं पर वे विशेष ध्यान दें और जहाँ तक संभव हो कानून में इन विसंगतियों को दूर करने हेतु ठोस कदम उठायें. हमें आशा है की कानून के नियम तैयार करने की प्रक्रिया सरकार जल्द से जल्द प्रारंभ करेगी और इस दौरान इन कमियों को दूर करने का पूर्ण प्रयास किया जायेगा.

हम मानते हैं की इस कानून के आने से सरकारी स्वास्थ्य तंत्र और मजबूत होगा जिस से की आम जन और ख़ासकर के निर्धन एवं वंचित वर्ग को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ बिना किसी आर्थिक भार के प्रभावी रूप से मिल पायेगी, स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के भीतर अधिक पारदर्शिता आएगी और रोगी अधिकारों का संरंक्षण होगा. जन स्वास्थ्य अभियान राजस्थान लम्बे समय से इस कानून की मांग उठाता रहा था और एक मजबूत कानून हेतु पैरवी में अग्रणी भूमिका में रहा था.

राजस्थान में स्वास्थ्य का अधिकार कानून का इतिहास

जन स्वास्थ्य अभियान राजस्थान ने राजस्थान विधानसभा चुनाव 2018 से पूर्व सभी राजनैतिक दलों के एक जनमंच में इस कानून को लाये जाने हेतु सभी दलों से अपील की थी. जिस पर कांग्रेस के प्रतिनिधि ने इस मांग को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने का आश्वासन दिया और सम्मिलित भी किया।

दिसंबर 2018 में कांग्रेस सरकार बनने के तुरंत बाद से ही जन स्वास्थ्य अभियान ने क़ानून बनाने के लिए पैरवी प्रारंभ की और क़ानून का एक प्रारूप बना कर तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री और अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा को प्रस्तुत किया। इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश से गठित समिति में भी सदस्य के रूप में जन स्वास्थ्य अभियान के सदस्यों ने कुछ संशोधनो के साथ नया प्रारूप बना कर प्रस्तुत किया।

सरकार ने मार्च 2022 में अतिरिक्त संशोधनों के साथ एक नया प्रारूप बनाया, जो की जन स्वास्थ्य अभियान द्वारा दिए गए प्रारूप की तुलना में कहीं ज़्यादा कमज़ोर था, उस प्रारूप को ही चिकित्सा विभाग कि वेबसाइट पर सुझावों के लिए डाला गया। जन स्वास्थ्य अभियान ने इस पर 29 पेज में अपने सुझाव सरकार को प्रेषित किए।

उक्त ड्राफ्ट में अनेकों संशोधनों के बाद 22 सितम्बर 2022 को सरकार ने इस बिल का एक नया प्रारूप राजस्थान विधान सभा में प्रस्तुत किया जो की मार्च 2022 वाले प्रारूप से भिन्न और कमजोर था। 23 सितम्बर 2022 को विधान सभा में लगभग 28 विधायकों ने इस विधेयक से सम्बंधित चर्चा में भाग लिया और अपने विचार प्रकट किए। 23 सितम्बर 2022 को जब सदन में चर्चा हो रही थी तब चिकित्सकों के एक दल ने विधानसभा के बाहर कई घंटो तक विधेयक के विरोध में प्रदर्शन किया।

23 सितंबर को ही सदन में चर्चा के पश्चात इस विधेयक को विधायकों कि प्रवर समिति को प्रेषित करने का निर्णय पारित किया गया। चर्चा के बाद विधानसभा के बाहर राजस्थान के स्वास्थ्य एवं चिकत्सा मंत्री परसादी लाल मीणा ने पत्रकारों के समक्ष घोषणा कि की इस विधेयक के लिए प्रवर समिति गठित कर एक सप्ताह में उनके सुझाव प्राप्त कर विधान सभा का विशेष सत्र बुला कर इस विधेयक को पारित करवा लिया जाएगा।

आखिरकार 21मार्च 2023 को राजस्थान विधानसभा में प्रवर समिति द्वारा प्रतिवेदित ”राजस्थान स्वास्थ्य का अधिकार विधेयक, 2022” ध्वनिमत से पारित हो गया. हालांकि प्राइवेट अस्पतालों का स्टाफ और डॉक्टर्स अब भी इस बिल का विरोध कर रहे हैं.

- Advertisement -
- Advertisement -

Stay Connected

16,985FansLike
2,458FollowersFollow
61,453SubscribersSubscribe

Must Read

ईरानी नेता अयातुल्लाह ख़ुमैनी को सिलेबस में ‘दुनिया के बुरे लोगों’ में शामिल करने पर विवाद

इंडिया टुमारो नई दिल्ली | जम्मू कश्मीर में ईरानी नेता अयातुल्लाह ख़ुमैनी को एक पाठयपुस्तक में दुनिया के सबसे...
- Advertisement -

राजस्थान: कांग्रेस ने भाजपा के ख़िलाफ चुनाव आयोग में की 21 शिकायतें, नहीं हुई कोई कार्रवाई

-रहीम ख़ान जयपुर | राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते...

एक बार फिर भाजपा का सांप्रदायिक और विघटनकारी एजेंडा

-राम पुनियानी बहुसंख्यकवादी राष्ट्रवाद हमेशा से चुनावों में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए सांप्रदायिक विघटनकारी एजेंडा और नफरत...

सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा आचार संहिता का उल्लंघन, चुनाव आयोग ने दिया जाँच का निर्देश

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो लखनऊ | उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आचार संहिता उल्लंघन करने के...

Related News

ईरानी नेता अयातुल्लाह ख़ुमैनी को सिलेबस में ‘दुनिया के बुरे लोगों’ में शामिल करने पर विवाद

इंडिया टुमारो नई दिल्ली | जम्मू कश्मीर में ईरानी नेता अयातुल्लाह ख़ुमैनी को एक पाठयपुस्तक में दुनिया के सबसे...

राजस्थान: कांग्रेस ने भाजपा के ख़िलाफ चुनाव आयोग में की 21 शिकायतें, नहीं हुई कोई कार्रवाई

-रहीम ख़ान जयपुर | राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते...

एक बार फिर भाजपा का सांप्रदायिक और विघटनकारी एजेंडा

-राम पुनियानी बहुसंख्यकवादी राष्ट्रवाद हमेशा से चुनावों में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए सांप्रदायिक विघटनकारी एजेंडा और नफरत...

सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा आचार संहिता का उल्लंघन, चुनाव आयोग ने दिया जाँच का निर्देश

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो लखनऊ | उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आचार संहिता उल्लंघन करने के...

“अबकी बार, 400 पार” का नारा क्या बीजेपी द्वारा भारत का संविधान बदलने का छिपा एजेंडा है?

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो नई दिल्ली | देश का संविधान बदलने का छिपा एजेंडा उजागर होने पर भाजपा...
- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here