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Monday, May 6, 2024
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UP: कानपुर में अतिक्रमण हटाने के दौरान मां-बेटी की ज़िन्दा जलने से मौत, लेखपाल व SDM निलंबित


अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ | यूपी के कानपूर देहात में अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के दौरान झोपड़ी में आग लगने से माँ और बेटी के ज़िन्दा जल जाने का मामला सामने आया है. योगी सरकार में अतिक्रमण हटाने के नाम पर 2 महिलाओं की ज़िन्दा जल कर मौत की घटना से लोगों में काफी रोष है.

न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, मृतक महिला के बेटे शिवम दीक्षित ने कहा है, “एसडीएम, लेखपाल, पुलिस और कुछ बदमाशों ने मेरे घर में आग लगा दी, जिससे मेरी मां और बहन की मृत्यु हो गई। मैंने उन्हें बचाने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुआ। मेरी अपील है कि सीएम हमारे पास आएं और न्याय दें।”

इस मामले में आयुक्त कानपुर डॉ राज शेखर ने कहा, “घटना में एफआईआर दर्ज कर लिया गया है. हम आरोपी को पकड़ने का प्रयास कर रहे हैं। लेखपाल व एसडीएम निलंबित किए गए हैं।”

कानपुर देहात की घटना में एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद को निलंबित कर दिया गया है। जिलाधिकारी के अनुसार मामले में लेखपाल अशोक सिंह को सस्पेंड किया गया है। मंडलायुक्त ने लेखपाल की गिरफ्तारी की पुष्टि की है।

क्या है पूरा मामला?

मामला कानपुर देहात जिले के मैथा तहसील के मड़ौली गांव का है। यहां के निवासी कृष्ण गोपाल दीक्षित, अंश दीक्षित और शिवम आदि के खिलाफ सरकारी ज़मीन पर कब्ज़ा कर मकान बनाने की शिकायत इसी गांव के रहने वाले गेंदन लाल ने प्रशासन से की थी। इस शिकायत पर 13 जनवरी 2023 को एसडीएम मैथा के निर्देश पर राजस्व निरीक्षक नंद किशोर और लेखपाल अशोक चौहान ने मड़ौली जाकर कृष्ण गोपाल दीक्षित के मकान को ढहा दिया था।

मकान का कुछ हिस्सा बच गया था। अधिकारियों ने इसको भी ध्वस्त करने की चेतावनी दी थी। बताया जाता है कि अपना मकान ढहा दिए जाने के बाद कृष्ण गोपाल दीक्षित ने इसी स्थान पर एक झोपड़ी डाल ली थी और उसमें अपने परिवार के साथ रहने लगा था।

14 जनवरी को अकबरपुर तहसील के तहसीलदार रणविजय सिंह ने कृष्ण गोपाल दीक्षित और उसके परिवार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इसीके बाद कृष्ण गोपाल दीक्षित की जमीन पर 13 फरवरी सोमवार को एक बार फिर बुलडोज़र चलाने का प्लान तैयार किया गया। इसके बाद मैथा तहसील के एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद तहसील कर्मियों, लेखपाल अशोक सिंह और पुलिस फोर्स को लेकर सोमवार को कृष्ण गोपाल दीक्षित की झोपड़ी पर बुलडोज़र चलवाने के लिए मड़ौली गांव पहुंचे।

मड़ौली गांव पहुंच कर एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद ने कृष्ण गोपाल दीक्षित की झोपड़ी पर बुलडोज़र चलाने का आदेश दिया। उनका आदेश मिलते ही झोपड़ी पर बुलडोज़र चला दिया गया। जिस समय झोपड़ी पर बुलडोज़र चलाया गया, उस वक्त झोपड़ी में कृष्ण गोपाल दीक्षित की पत्नी प्रमिला दीक्षित (54वर्ष) और बेटी शिवा (22वर्ष) झोपड़ी में थीं और दोपहर में खाना बना रही थीं। खाना बनाने वाली जल रही आग से झोपड़ी में आग लग गई और मां एवं बेटी उसी में फंसकर ज़िन्दा जल गए। बचाने के प्रयास में परिवार के मुखिया कृष्ण गोपाल दीक्षित भी झुलस गए।

जलती हुई झोपड़ी से मां एवं बेटी को किसी ने नहीं निकाला और वह उसी में जलकर मर गईं। मां एवं बेटी के आग में जलकर मर जाने से एसडीएम, लेखपाल और पुलिस फोर्स के हाथ-पांव फूल गए। उन्होंने अपने बचाव के लिए नई कहानी गढ़ी और यह कहा कि मां एवं बेटी उनको देखकर झोपड़ी में घुस गईं और स्वयं आग लगा ली।

विपक्षी दलों ने आरोपियों पर कार्रवाई की मांग की

कांग्रेस, सपा, आम आदमी पार्टी, सुभासपा व अन्य पार्टियों ने पीड़ित परिवार के गाँव पहुंचने का प्रयास किया, मगर प्रशासन ने कुछ को नज़रबंद भी किया ताकि मौके पर स्थिति अनियंत्रित न हो. सपा विधायक अमिताभ बाजपेई को नजरबंद किया गया और घर के बाहर पुलिस तैनात कर दिया गया। सपा विधायक के कानपुर देहात को भी मौके पर जाने से पुलिस ने रोक दिया।

कांग्रेस नेता नकुल दुबे और नसीमुद्दीन सिद्दीकी को टोल प्लाजा पर रोक दिया गया, पीड़ितों के प्रति संवेदना प्रकट करने जा रहे कांग्रेस नेता व पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और पूर्व मंत्री नकुल दुबे सहित कई कांग्रेसी नेताओं को पुलिस ने टोल प्लाजा पर हिरासत में लिया।

इसी प्रकार अयोध्या से महंत महेंद्रदास जी कानपुर देहात पहुंचे। लेखपाल और एसडीएम की गिरफ्तारी न होने पर वह घटना स्थल पर ही आमरण अनशन पर बैठ गए। यूपी के डिप्टी सीएम बृजेश पाठक ने मामले में पीड़ित के बेटे से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बात की।

राजनीतिक पार्टियों की प्रतिक्रिया

समाजवादी पार्टी ने घटना को लेकर ट्विट किया है, “योगी जी आपके जल्लाद और बेरहम तथा अमानवीय प्रशासन द्वारा की गई ये हत्या है, योगी सरकार में लगातार ब्राह्मण परिवार निशाना बनाए जा रहे, लगातार चुन चुन कर ब्राह्मणों के साथ घटनाएं घटित हो रहीं, दलित पिछड़ा के साथ साथ ब्राह्मण भी भाजपा शासित योगी सरकार के अत्याचार का निशाना बन रहे.”

https://twitter.com/MediaCellSP/status/1625106276568141826?s=20&t=s-XVRhdN-6pQMlq8y5R4uA

पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे नेताओं को रोकने पर सपा ने कहा, “कानपुर में योगी सरकार के प्रशासन द्वारा उत्पीड़न का शिकार होकर अपनी जान गवाने वाली प्रमिला दीक्षित और उनकी बेटी नेहा दीक्षित के परिजनों से मिलने जा रहे समाजवादी पार्टी के प्रतिनिधिमंडल को रोका जाना सरकार की मंशा जाहिर करता है।समाजवादी पार्टी पीड़ित परिवार के साथ है!”

कांग्रेस नेता और सांसद राहुल गाँधी ने ट्वीट कर कहा है, “जब सत्ता का घमंड लोगों के जीने का अधिकार छीन ले, उसे तानाशाही कहते हैं। कानपुर की घटना से मन विचलित है। ये ‘बुलडोज़र नीति’ इस सरकार की क्रूरता का चेहरा बन गई है। भारत को ये स्वीकार नहीं।”

सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने कहा है, “कुछ अधिकारी हैं जो भू-माफिया के नाम पर भूमिहीनों के खिलाफ कार्रवाई करते हैं।” उन्होंने कहा, जिनके खिलाफ FIR हुई, उन्हें जेल भेजा जाना चाहिए।

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने कहा, “भाजपा सरकार के बुलडोजर पर लगा अमानवीयता का चश्मा इंसानियत व संवेदनशीलता के लिए खतरा बन चुका है। कानपुर की हृदयविदारक घटना की जितनी निंदा की जाए उतनी कम है।”

उन्होंने कहा, “हम सबको इस अमानवीयता के खिलाफ आवाज उठानी होगी। कानपुर के पीड़ित परिवार को न्याय मिले एवं दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो।”

योगी सरकार बैकफुट पर

कानपुर देहात की घटना से योगी आदित्यनाथ की सरकार बैकफुट पर आ गई है। योगी सरकार अपनी फजीहत से इस कदर परेशान हो गई है कि वह अब सारे मामले को खत्म करने के लिए तेजी के साथ कार्यवाही कर रही है।

योगी आदित्यनाथ और भाजपा को अब लग रहा है कि राज्य में इस घटना से ब्राम्हण नाराज हो गया है और इसका खामियाजा 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को भुगतना पड़ सकता है। इसीलिए जल्दी-जल्दी तेजी के साथ सरकार कार्यवाही कर रही है, जिससे यह मामला शान्त हो जाए।

प्रशासन पर “हत्या” का आरोप

आरोप है कि एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद, लेखपाल अशोक सिंह और पुलिस फोर्स मूक दर्शक होकर तमाशा देखता रहा और मां एवं बेटी जल गईं। इन जिम्मेदार सरकारी अधिकारी और कर्मचारियों के सामने मां एवं बेटी की जलकर मौत हो गई और यह सभी खड़े होकर तमाशा देखते रहे। लोगों का कहना है कि यह सभी मां एवं बेटी की मौत के सीधे तौर पर ज़िम्मेदार एवं दोषी हैं, इनके विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जानी चाहिए।

कृष्ण गोपाल दीक्षित ने एसडीएम ज्ञानेश्वर प्रसाद, लेखपाल अशोक सिंह और पुलिस पर अपनी पत्नी एवं बेटी की हत्या करने का आरोप लगाया है।

उसने कहा है कि, “प्रशासन और गांव के मेरे विरोधियों ने मिलकर मेरे घर (झोपड़ी में) में आग लगाई है। आग लगने से मेरी पत्नी और बेटी जलकर मर गई हैं। मेरी पत्नी और बेटी की मौत के लिए यह सभी जिम्मेदार हैं। इनके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाए और कार्यवाही की जाए। हमारे साथ अन्याय हुआ है। हम डीएम के यहां अपनी बात कहने गए थे, लेकिन हमारी कोई सुनवाई ही नहीं हुई है।”

मड़ौली गांव की इस घटना के बाद यह पता चला है कि जिस ज़मीन को सरकारी ज़मीन बताकर उस पर बुलडोज़र चलाया गया है और झोपड़ी में जलकर मां एवं बेटी की मौत हुई है, वह ज़मीन कृष्ण गोपाल दीक्षित की ही है। लेकिन लेखपाल अशोक सिंह के कारनामों के कारण यह ज़मीन अब सरकारी बताई जा रही है।

गाँव के कुछ लोगों पर भी आरोप

चर्चा है कि लेखपाल अशोक सिंह कृष्ण गोपाल दीक्षित के विरोधियों से मिले हुए हैं और उनके कहने पर ही इस ज़मीन को सरकारी बता रहे हैं, क्योंकि कृष्ण गोपाल दीक्षित की इस ज़मीन पर उनके विरोधियों की नजर लगी हुई है। लेखपाल अशोक सिंह के झूठे होने और कृष्ण गोपाल दीक्षित की ज़मीन को सरकारी बताने के झूठ का पर्दाफाश मड़ौली गांव के प्रधान की बातों से होता है।

मड़ौली गांव के प्रधान मानसिंह राजावत का इस संबंध में कहना है कि, “कृष्ण गोपाल दीक्षित की जिस जमीन को सरकारी बताया जा रहा है, वह जमीन कृष्ण गोपाल दीक्षित की ही है। अब उस ज़मीन को सरकारी बताकर विवादित बताया जा रहा है। कृष्ण गोपाल दीक्षित पैसे के अभाव के कारण इस जगह पर छत नहीं डलवा पाए थे। छप्पर रखकर वह रह रहे थे।”

उन्होंने बताया कि, “दूसरा पक्ष (विरोधी) सम्पन्न है, उसके कहने पर लेखपाल अशोक सिंह ने उसके इशारे पर कृष्ण गोपाल दीक्षित के मकान को ध्वस्त करने की योजना तैयार की है। मुझसे लेखपाल ने फोन कर कृष्ण गोपाल दीक्षित के मकान को गिराने की बात कही थी। लेकिन मैं उस समय माती (कानपुर देहात के मुख्यालय में) में था।”

मड़ौली के ग्राम प्रधान का यह बयान बड़ा महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्रत्येक गांव का ग्राम प्रधान अपने गांव के लोगों और ग्राम सभा की सारी ज़मीन की जानकारी रखता है।

प्रशासन कर रहा “गलतबयानी”

कानपुर देहात की डीएम नेहा जैन अपने मातहत अधिकारियों और कर्मचारियों द्वारा बताई गई कहानी को बड़ी बेशर्मी के साथ दोहरा रही हैं और वह रटी-रटाई भाषा में आग में जलकर मर गई महिलाओं को ही दोषी करार दे रही हैं। उनका कहना है कि, “कृष्ण गोपाल दीक्षित ने पहले अतिक्रमण कर घर बनाया था। उसकी शिकायत पर उसको हटाया गया। लेकिन उसने फिर वहीं झोपड़ी बना ली। इसकी शिकायत सोमवार को जनसुनवाई में आई थी, शिकायत एसडीएम मैथा को कार्यवाही के लिए दी थी। एसडीएम अतिक्रमण हटाने गए थे। सामान हटाने के लिए कहने से नाराज़ महिला ने खुद को घर के अंदर बंद कर आग लगा ली।”

अब डीएम नेहा जैन से सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर महिला ने घर के अंदर खुद को बंद कर आग लिया,तो वहां पर मौजूद एसडीएम, लेखपाल और पुलिस फोर्स ने उसको बचाया क्यों नहीं और क्यों जल जाने दिया?

डीएम नेहा जैन यहां पर सरेआम झूठ बोल रही हैं। डीएम नेहा जैन का एक और झूठ सामने आया है, वह कहती हैं कि महिला ने खुद को घर के अंदर बंद कर लिया और आग लगा ली। जबकि कृष्ण गोपाल दीक्षित का अब घर है ही नहीं, केवल झोपड़ी थी, तो कैसे महिला ने घर में खुद को बंद कर लिया और आग लगा ली? झोपड़ी में दरवाजा नहीं होता है, तो महिला ने कैसे खुद को बंद कर लिया और आग लगा ली?

कानपुर देहात के पुलिस अधीक्षक बीबी जीटीएस मूर्ति का कहना है कि, “महिलाओं की चीख पुकार के बीच जेसीबी से छप्पर हटाने की कोशिश की गई, पर वह महिलाओं पर ही गिर गया। जिससे दुःखद घटना हो गई।”

मड़ौली गांव में डीएम नेहा जैन अभी तक नहीं गई हैं। एडीजी कानपुर जोन आलोक सिंह गांव पहुंचे हैं। उन्होंने कहा है कि, “अतिक्रमण हटाने के दौरान मां-बेटी की जलकर मौत हुई है।”

इस मामले में डीएम नेहा जैन की भूमिका ठीक नहीं है। अगर वह इस मामले की गहराई से जांच करवातीं और कृष्ण गोपाल दीक्षित को भी सुनने का मौका देतीं, तो शायद यह घटना न घटित होती। लेकिन उन्होंने अपनी जिम्मेदारी का सही तरीके से निर्वाह नहीं किया, उनके कारण ही निर्दोष मां-बेटी की मौत हो गई है।

योगी आदित्यनाथ सरकार के अतिक्रमण हटाने के अभियान में सरकारी मशीनरी द्वारा निर्दोषों का उत्पीड़न किया जा रहा है और गलत तरीके से निर्दोषों के मकान गिराए जा रहे हैं। कानपुर देहात की यह घटना इसी तरह की घटनाओं का बड़ा प्रमाण है। योगी आदित्यनाथ द्वारा सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए अतिक्रमण हटाने का जो राज्य में खेल खेला जा रहा है, उसका खामियाजा आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को भुगतना पड़ेगा।

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