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Wednesday, May 1, 2024
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राजस्थान: कांग्रेस सरकार में अब तक 5 बार हो चुकी है सांप्रदायिक हिंसा

रहीम ख़ान

जयपुर | राजस्थान के करौली में दो अप्रैल को हिंदू नववर्ष की रैली में आपत्तिजनक नारे और गाने के बाद हुई सांप्रदायिक हिंसा की आग भले ही अब बुझ चुकी है, लेकिन आगजनी का शिकार हुईं दुकानों और मकानों पर निशान अब भी बाकी हैं।

शहर में अब भी कर्फ्यू लगा हुआ है जिसमें धीरे धीरे कुछ घंटों की छूट दी जा रही है। बीजेपी, कांग्रेस और कई धार्मिक और सामाजिक जनसंगठनों के डेलिगेशन अब तक करौली का दौरा कर चुके हैं जिनमें जमाते इस्लामी हिंद, एपीसीआर, एफडीसीए, राजस्थान मुस्लिम फोरम आदि शामिल हैं।

दिसंबर 2018 में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद करौली में हुई सांप्रदायिक हिंसा कोई पहली घटना नहीं है इससे पहले भी राजस्थान के कई शहरों में ऐसी घटनाएं हो चुकी है जिन्हें काबू में करने के लिए कर्फ्यू लगाना पड़ा और इंटरनेट भी बंद करना पड़ा।

राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद से अब तक पांच बार प्रदेश में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हो चुकी है। यह हालात तब हैं जब कोरोना महामारी के कारण दो साल तक प्रदेश में सभी तरह के आयोजनों पर रोक थी।

प्रदेश का कौन सा जिला कब हिंसा की आग में जला

  1. टोंक: दशहरा के जुलूस पर पथराव, कर्फ्यू के बाद इंटरनेट सेवा करनी पड़ी थी बंद
    08 अक्टूबर 2019 को टोंक जिले के मालपुरा कस्बे में दशहरा का जुलूस निकाला जा रहा था। जुलूस में आपत्तिजनक नारेबाजी होने के बाद कुछ लोगों ने जुलूस पर पथराव कर दिया। देखते ही देखते दो समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए। हालात काबू करने के लिए प्रशासन को कर्फ्यू लगाना पड़ा और इंटरनेट सेवा भी बंद करनी पड़ी।
  2. डूंगरपुर: उदयपुर-अहमदाबाद हाईवे पर भड़की हिंसा, घरों और वाहनों में तोड़फोड़
    24 सितंबर 2020 डूंगरपुर में आदिवासी प्रदर्शनकारियों पर हुई पुलिस फायरिंग में दो लोगों की मौत हो गई जिसके बाद बिगड़े हालात को काबू में करने के लिए क्षेत्र में कर्फ्यू लगाना पड़ा। दरअसल राजस्थान शिक्षक भर्ती 2018 की अनारक्षित वर्ग की 1167 सीटों को जनजाति वर्ग से भरने की मांग को लेकर आदिवासियों का सात सितंबर को डूंगरपुर की कांकरी डूंगरी पर महापड़ाव शुरू हुआ। इस दौरान 200 से ज्यादा आदिवासी अभ्यर्थी पहाड़ी पर धरने पर बैठे गए। 24 सितंबर को हाईवे जाम कर देने के बाद आंदोलन उग्र हो गया और हालात बेकाबू हो गए। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर होने के बाद प्रदर्शनकारी शांत हुए। तीन दिन बाद 27 सितंबर को उदयपुर-अहमदाबाद हाईवे पर खुल सका।
  3. बारां: दो युवकों में हुई कहासुनी और चाकूबाजी की घटना के बाद भड़की सांप्रदायिक हिंसा : 11 अप्रैल 2021 को बारां जिले के छबड़ा कस्बे में हिंदू और मुस्लिम समुदाय के दो युवकों के बीच हुई मामूली कहासुनी और चाकूबाजी की घटना के बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई। इसके बाद इंटरनेट बंद कर जिले में कर्फ्यू लगा दिया गया। सांप्रदायिक हिंसा के दौरान दर्जनों वाहनों और दुकानों में आग लगा दी गई।
  4. झालावाड़: युवाओं के विवाद ने लिया सांप्रदायिक रंग, भड़की हिंसा: 19 जुलाई 2021 को झालावाड़ जिले के गंगधार कस्बे में एक युवक के साथ मारपीट की घटना ने साम्प्रदायिक हिंसा का रूप ले लिया। मारपीट की इस घटना के बाद दो समुदायों के लोग एक-दूसरे से भिड़ गए। इस बीच बेकाबू भीड़ ने जमकर तोड़-फोड़ और आगजनी की। लोगों को काबू करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा। वहीं अफवाहों को रोकने के लिए प्रशासन ने तीन दिन के लिए इंटरनेट सेवा बंद कर दी।
  1. करौली में 2 अप्रैल 2022 को हिंदू नववर्ष की रैली में मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में आपत्तिजनक नारे और भड़काऊ गाने बजाने के बाद पथराव होने के बाद सांप्रदायिक हिंसा भड़क गई। रैली पर पथराव होने के बाद गुस्साए लोगों ने समुदाय विशेष की दुकानों में आग लगा दी।

क्या है वजह ?

भाजपा भले ही 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद से ही किसी भी तरह के साम्प्रदायिक दंगे होने से इंकार करती रही है लेकिन राजस्थान में पहले छबड़ा दंगा और अब करौली में हुए दंगे को जोर शोर से उठा रही है। इसकी एक वजह यह भी है कि 2023 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं उसके लिए भाजपा ने अभी से ध्रुवीकरण की सांप्रदायिक राजनीति शुरू कर दी है।

करौली हिंसा को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने बयानों में भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि भाजपा अभी से इलेक्शन मोड में आ गई है। जिस दिन भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा प्रदेश दौरे पर आए उसी दिन करौली में दंगा हो गया और अमित शाह अब आने वाले हैं। इस दौरान दंगों का होना और जगह जगह तनाव पैदा करना, ये तमाम बातें राजस्थान में इलेक्शन मोड की शुरुआत है।

जेपी नड्डा के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि ये आग लगाने के लिए आते हैं। पूरे देश में आग लगा रहे हैं, आए और आग लग गई। ये लोग रैलियां कराते हैं और धर्म के नाम पर भड़काने वाले नारे लगाते हैं, डीजे बजाते हैं जबकि यह सब गैरकानूनी है।

राजस्थान के डीजीपी एमएल लाठर ने भी जयपुर प्रेस कांफ्रेंस में करौली हिंसा की वजह आपत्तिजनक नारे और डीजे पर बजाए गए भड़काऊ नारों को ही माना है।

राष्ट्रीय सेक्युलर मंच के संयोजक एल. एस. हरदेनिया और प्रगतिशील लेखक संघ के महामंत्री शैलेन्द्र शैली ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि देश में हुए अनेक साम्प्रदायिक दंगों की जड़ में तथाकथित धार्मिक जुलूस ही रहे हैं। अतः इन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।

हरदेनिया ने बताया कि उन्होंने दर्जनों साम्प्रदायिक दंगों के कारणों का विश्लेषण किया है। यह विश्लेषण उन शहरों या कस्बों में जाकर किया गया जहां हिंसक घटनाएं हुईं थीं। हरदेनिया ने बताया कि तथाकथित धार्मिक संस्थाओं द्वारा जुलूस निकाले जाते हैं। जुलूस की बकायदा अनुमति ली जाती है व पुलिस-प्रशासन से चर्चा करके जूलूस का मार्ग निर्धारित किया जाता है पर यकायक जुलूस का रास्ता बदल दिया जाता है और जुलूस संवेदनशील इलाकों में प्रवेश करता है।

उन्होंने कहा, एक विशेष समुदाय के विरूद्ध भड़काऊ नारे लगाए जाते हैं जिससे उस समाज के लोग भड़क जाते हैं और गुस्से में पथराव करने लगते हैं। मीडिया में रिपोर्ट दी जाती है कि धार्मिक जुलूस पर पत्थर फेंके गए। परंतु पत्थर क्यों फेंके गए यह नहीं बताया जाता। इसके बाद दुकानें व घर जलाए जाते हैं। कुछ जानें भी जाती हैं।

हरदेनिया ने बताया कि उन्होंने अपनी पुस्तक ‘साम्प्रदायिक दंगे आजादी के बाद’ में ऐसे अनेक दंगों का विस्तृत विवरण दिया है। अभी हाल में मध्यप्रदेश सहित अनेक राज्यों में साम्प्रदायिक संघर्ष धार्मिक जुलूसों के दौरान भी ऐसा ही हुआ है। इसलिए यह बिल्कुल उचित एवं तर्कसगंत होगा कि धार्मिक जुलूसों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया जाए।

जनसंगठनों की क्या है मांग

जमाते इस्लामी हिंद राजस्थान के प्रदेश सचिव नईम रब्बानी का कहना है कि हमारी सरकार से यही मांग है कि जिस तरह से बारां जिले के छबड़ा कस्बे में हुई सांप्रदायिक हिंसा के बाद पीड़ित दुकानदारों को मुआवजा दिया गया था उसी मॉडल पर करौली के पीड़ित दुकानदारों को भी मुआवजा दिया जाए।

गौरतलब है की छबड़ा में हुई सांप्रदायिक हिंसा में ज्यादातर नुकसान जैन समुदाय के व्यापारियों का हुआ था और सरकार ने कुल 3 करोड़ 50 लाख 27 हजार रुपए का मुआवजा दिया है।

इस मांग को लेकर राजस्थान मुस्लिम फोरम का एक डेलिगेशन ने राजस्थान राज्य अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन विधायक रफीक खान से भी मिल चुका है। विधायक रफीक खान ख़ुद भी करौली का दौरा कर चुके हैं और उन्होंने यह विश्वास दिलाया है कि जल्द से जल्द पीड़ितों को उचित मुआवजा दिया जाएगा।

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