इंडिया टुमारो
लखनऊ | आज से लगभग 15 साल पहले जिस युवा को हैद्राबाद के एक अख़बार में रिपोर्टर के रूप में नौकरी मिली जो किसी भी उत्तर भारतीय युवा पत्रकार का ख़्वाब होता है, उस नौकरी को छोड़कर उसने अपने प्रदेश में सामाजिक जागरूकता के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया है. मैं बात कर रहा हूँ मोहम्मद असदुल्लाह आज़मी की जिस युवा को तस्वीर में कूड़े के ढ़ेर पर खड़ा होकर सफाई करते हुए आप देख सकते हैं.
एक प्रतिष्ठित व संभ्रांत परिवार का युवा जिसकी न तो कोई राजनीतिक महत्वकांक्षा हो और न ही किसी पद व उपाधि की लालसा, बहुत ही सहजता के साथ कूड़ों के ढ़ेर में खड़ा होकर सफाई करे तो हैरत होना स्वाभाविक है.
आजमगढ़ के मोहम्मद असदुल्लाह ने अपने करियर की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में हैद्राबाद से की. बाद में दिल्ली आकर एक पत्रिका में काम किया फिर अपने क्षेत्र उत्तर प्रदेश में छात्रों और युवाओं को सामाजिक और शैक्षिक रूप से जागरूक करने का बीड़ा उठाया. विभिन्न संगठनों के साथ मिलकर पिछले डेढ़ दशक में दर्जनों शिक्षा जागरूकता अभियान चलाया और ड्रॉपऑउट स्टूडेंट्स का स्कूल में पुनः दाखिले के लिए अभियान चलाने में भी प्रमुख भूमिका निभाई और लोगों को जागरूक किया.
मोहम्मद असदुल्लाह मूल रूप से आज़मगढ़ के रहने वाले हैं और आज़मगढ़ के शिबली कॉलेज से पोस्ट ग्रेजुएशन किया है. वह विभिन्न अख़बारों और पत्र पत्रिकाओं में पिछले 15 वर्षों से शैक्षिक, सामाजिक व राजनीतिक विषयों पर लिखते रहे हैं.
इंडिया टुमारो से बात करते हुए मोहम्मद असदुल्लाह आज़मी ने कहा कि समाज में सफाई के लिए हमें लोगों को जागरूक करना होगा और इसके लिए स्वयं आगे बढ़ना होगा. जहां आवश्यता होगी सरकार को भी कटघरे में खड़ा किया जाएगा लेकिन पहले ख़ुद को इन कार्यों के लिए समर्पित करना होगा.
असदुल्लाह एक उम्दा शायर भी हैं और बनारस व अन्य शहरों में होने वाले मुशायरों में आमंत्रित भी किए जाते हैं. सामाजिक जागरूकता और विभिन्न विषयों पर अपनी कविता के माध्यम से भी आवाज़ उठाते रहते हैं.
कूड़ों के ढ़ेर पर खड़े होकर अपने साथियों के साथ सफाई करते हुए वायरल हुई तस्वीर के बारे में उन्होंने कहा कि, समाज को साफ रखना हमारी ज़िम्मेदारी है. इसके लिए कूड़ों को भी साफ करेंगे और साथ ही तन, मन और मस्तिष्क को भी साफ रखना है तब जाकर सही अर्थों में स्वच्छ समाज का निर्माण संभव हो सकेगा.
असदुल्लाह आज़मी कहते हैं “इस्लामी शिक्षाओं के अनुसार सफाई आधा ईमान है.”
उन्होंने हमसे बात करते हुए कहा कि, “सफाई को इस्लाम में आधा ईमान कहा गया है. इसी बात को अमल में लाते हुए बनारस के पड़ाव चौराहट नई बस्ती में सफ़ाई अभियान चलाया गया और लोगों को जागरूक किया गया.”
आज़मी ने बताया कि, “कुरान हदीस हमें साफ़ सफाई के लिए प्रेरित करता है. अगर हमारे दिल में सफाई है तो यह हो ही नहीं सकता कि हमारे गली मोहल्ले गंदे रहें.”
असदुल्लाह, पिछले कुछ वर्षों से बनारस में रह रहे हैं और एक सामाजिक-धार्मिक संगठन जमाअत इस्लामी से जुड़कर समाज की सेवा में लगे हैं. वह इस से पहले छात्र संगठन SIO के प्रांतीय अध्यक्ष भी रह चुके हैं.
बनारस, जिसे क्योटो बनाने के वादा किया गया था उसे बनारस बनाए रखने में बहुत से लोगों की तपस्या और मेहनत शामिल है. इसमें मोहम्मद असदुल्लाह आज़मी जैसे युवाओं की मेहनत भी शामिल है जो निःस्वार्थ भाव से समाज की सेवा में लगे हैं.
इस सफाई अभियान में मुहम्मद असदुल्लाह आज़मी के साथ नकीब आलम, आदिल शरीफ़ युवा नेता शहनवाज़ खान के साथ साथ डॉक्टर सिराज ने भी सहयोग दिया.