सैयद ख़लीक अहमद | इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | दक्षिणपंथी रुझान रखने वाले चैनल ज़ी न्यूज़ की वेबसाइट, भारत में मुस्लिम आबादी और उनकी जनसंख्या वृद्धि के बारे में गलत जानकारी फैलाने में संलग्न है.
वाशिंगटन स्थित प्यू रिसर्च सेंटर की हाल ही में जारी रिपोर्ट का इस्तेमाल करके ज़ी न्यूज़ की वेबसाइट द्वारा अपने मुस्लिम विरोधी प्रोपेगेंडा को सही ठहराने की कोशिश की जा रही है.
इस थिंक-टैंक की रिपोर्ट की गलत व्याख्या कर वह बातें भी कही गई हैं जो प्यू रिसर्च में नहीं कहा गया है. ऐसी झूठी ख़बरों को भी उस रिपोर्ट का हिस्सा बताकर ज़ी न्यूज़ वेबसाइट ने मुस्लिमों को ही नहीं बल्कि प्यू स्टडी को भी बदनाम करने का काम किया है. अपने प्रोपेगेंडा में ज़ी न्यूज़ अंत में कहता है कि “सभी तथ्य, आंकड़े और अनुमान प्यू स्टडी पर आधारित हैं.”
ज़ी न्यूज़ की हेडलाइन इस प्रकार हैं : “भारतीय बहुत सहिष्णु हैं, धार्मिक स्वतंत्रता के साथ जीते हैं, इस्लाम सबसे तेजी से बढ़ रहा है और ईसाई दुनिया में सबसे बड़ा धार्मिक समूह बना हुआ है: प्यू स्टडी.”
ज़ी न्यूज़ वेबसाइट “प्यू स्टडी के मेजर प्रोजेक्शन्स” की सब हैडिंग के साथ प्यू स्टडी का हवाला देते हुए कहती है कि “इस्लाम भारत में अन्य प्रमुख धर्मों की तुलना में तेज़ी से बढ़ेगा… ..”
लेकिन 29 जून को जारी प्यू स्टडी के रिसर्च को पढ़ने से भी मालूम होता है कि उसमें ऐसी कोई भी जानकारी नहीं है, जैसा कि ज़ी न्यूज़ की वेबसाइट ने दावा किया है.
“भारत में धर्मांतरण” पर प्यू स्टडी का रिसर्च कहता है कि मुस्लिम जनसंख्या धर्मांतरण से प्रभावित नहीं हो रही है. ऐसा इसलिए है क्योंकि अगर भारत में 0.3 फीसदी लोग दूसरे धर्मों से इस्लाम में शामिल होते हैं, तो इतने ही फीसदी लोग इस्लाम को छोड़कर दूसरे धर्मों में चले भी जाते हैं. प्यू स्टडी की रिपोर्ट में भारत में धर्मांतरण की बात स्वीकार करते हुए दावा किया गया है कि धर्मांतरण से हिंदुओं को भी लाभ होता है.
लेकिन ज़ी न्यूज़ ने प्यू स्टडी की उन बातों का हवाला दिया है जो उसमें है ही नहीं.
धर्मांतरण पर प्रोपेगेंडा फैलाने वाली इस खबर में अपने दावे को सही साबित करने की जल्दबाज़ी में Zee News ने एक बड़ी गलती भी की है. जिस जगह उसे अपनी बात सही साबित करने के लिए प्यू रिपोर्ट के यूआरएल को हाइपरलिंक करना था, वहां ज़ी न्यूज़ रिपोर्ट ने अपनी ही वेबसाइट की एक पुरानी खबर के यूआरएल को हाइपरलिंक कर दिया.
हाइपरलिंक किए गए डॉक्यूमेंट में संयुक्त राज्य अमेरिका के अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) की रिपोर्ट पर आधारित पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता के बारे में एक रिपोर्ट है. इसमें कहीं भी भारत में मुस्लिम आबादी की वृद्धि का उल्लेख नहीं है. ऐसा लगता है कि ज़ी न्यूज़ ने प्यू यूआरएल को हाइपरलिंक को जानबूझकर संलग्न नहीं किया है, क्योंकि ज़ी न्यूज़ द्वारा प्रकाशित की गई खबर प्यू स्टडी की रिपोर्ट से गलत सिद्ध हो जायेगी.
अगर ज़ी न्यूज़ ने प्यू रिपोर्ट को लिंक किया होता, तो इससे ज़ी न्यूज़ के झूठ का पर्दाफाश हो जाता. इससे पता चलता है कि कैसे Zee News बहुत ही चालाकी से मुसलमानों के बारे में अफवाह फैला रहा है.
ज़ी न्यूज़ अपने इस झूठे प्रोपेगेंडा में यही नहीं रुकता है. बल्कि ज़ी न्यूज़ ने प्यू स्टडी के हवाले से कहा है कि 2050 तक “मुसलमानों की संख्या दुनिया भर में ईसाइयों की संख्या के लगभग बराबर हो जाएगी”, जबकि प्यू स्टडी ने अपनी रिपोर्ट में इस जानकारी का उल्लेख नहीं किया है। और ज़ी न्यूज़ ने अप्रैल 2020 में प्रकाशित अपनी वेबसाइट के एक और पुराने डॉक्यूमेंट को हाइपरलिंक किया है,
ऐसा लगता है कि अपने झूठ को छिपाने के लिए ऐसा किया गया है.
मुसलमानों और इस्लाम के बारे में ज़ी न्यूज़ की रिपोर्ट में और भी कई झूठ हैं, और सभी में प्यू स्टडी की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है, हालांकि प्यू स्टडी की रिपोर्ट में इनमें से किसी भी चीज़ का उल्लेख नहीं है.
निम्न बेबुनियाद बातों को प्यू स्टडी से संबंधित बताया गया हैं:
- “यूरोप में मुसलमान कुल आबादी का 10% हिस्सा हो जाएंगे”
- 2050 तक “धर्म के आधार पर यहूदी के रूप में पहचान रखने वाले लोगों की तुलना में अमेरिका में मुसलमानों की संख्या अधिक होगी”.
- “प्यू के स्टडी में आगे कहा गया है कि यदि वर्तमान जनसांख्यिकीय रुझान जारी रहे, तो इस्लाम 21वीं सदी के मध्य तक सबसे आगे हो जाएगा”
- “प्यू स्टडी के अनुसार 2050 तक मुसलमानों (2.8 बिलियन, या 30% आबादी) और ईसाइयों (2.9 बिलियन, या 31%) के बीच लगभग समानता होगी, ऐसा इतिहास में पहली बार होगा.
प्यू स्टडी क्या है? (https://www.pewresearch.org)
प्यू रिसर्च 2019 के अंत और 2020 की शुरुआत में कोविड -19 महामारी से पहले किए गए 29,999 भारतीय वयस्कों के फेस टू फेस सर्वे पर आधारित है. यह भारतीय समाज में धार्मिक पहचान, राष्ट्रवाद और सहिष्णुता का बारीकी से अध्ययन करता है. सर्वेक्षण स्थानीय साक्षात्कारकर्ताओं द्वारा 17 भाषाओं में किया गया था और इसमें भारत के लगभग सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को शामिल किया गया था. रिपोर्ट के प्रमुख निष्कर्ष 29 जून, 2021 को जारी किए गए.
प्यू अध्ययन के प्रमुख निष्कर्ष इस प्रकार हैं:
1. भारतीय धार्मिक सहिष्णुता को महत्व देते हैं, हालांकि वे धार्मिक रूप से अलग-अलग जीवन जीते हैं,
2. कई हिंदुओं के लिए, राष्ट्रीय पहचान, धर्म और भाषा एक दूसरे से जुड़े हुए हैं,
3. कई हिंदु राष्ट्रीय पहचान संबंधी विचार को राजनीति के अनुसार लेकर चलते हैं
4. खान पान संबंधी कानून भारतीयों की धार्मिक पहचान के केंद्र में हैं.
5. मुसलमान अपने स्वयं के धार्मिक न्यायालय बनाए रखने के पक्ष में हैं.
6. हिंदुओं की तुलना में ज़्यादा मुसलमानों का यह मानना है कि 1947 के विभाजन से भारत और पाकिस्तान की अलग अलग स्थापना ने हिंदू-मुस्लिम संबंधों को नुकसान पहुंचाया.
7. भारत की जाति व्यवस्था जो कि हिंदू ग्रंथो के अनुसार जन्म से तय होने वाली वर्णव्यवस्था है, वो समाज को लगातार खंडित कर रही है.
8. भारत में धर्मांतरण कम ही है क्योंकि जिस हद तक यह घटित हो रहा है, हिंदुओं को उतने ही लोग मिलते हैं जितने हिंदू धर्म को छोड़कर चले जाते हैं.
9. अधिकांश भारतीय ईश्वर में विश्वास करते हैं और कहते हैं कि धर्म उनके जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है.
10. भारत के धार्मिक समूह कई धार्मिक प्रथाओं और विश्वासों को साझा करते हैं.