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Sunday, May 5, 2024
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क्या राजनीतिक फायदे के लिए मोदी सरकार उत्तर प्रदेश का बंटवारा करना चाहती है ?

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ | राजनीतिक फायदे के लिए मोदी सरकार ने उत्तर प्रदेश का बंटवारा करने का लगभग फैसला कर लिया है। यूपी का बंटवारा कर केंद्र सरकार जहां एक ओर योगी आदित्यनाथ का कद घटाना चाहती है, वहीं दूसरी ओर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लोगों को अपने साथ लाने के लिए उन्हें नए राज्य का तोहफा दे सकती है।

राजनीति में नफा-नुकसान की संभावना को देखकर राजनीतिक दलों और सरकार द्वारा फैसले लिए जाते हैं। आज के मौजूदा समय में भाजपा आलाकमान यानि पीएम मोदी ने इसी को ध्यान में रख कर उत्तर प्रदेश के बंटवारे का ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है यानि उत्तर प्रदेश के बंटवारे का लगभग फैसला कर लिया है। पीएम नरेंद्र मोदी ने यूपी के बंटवारे का फैसला मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों के कारण लिया है। क्योंकि उत्तर प्रदेश से ही होकर केंद्र की सत्ता में बैठने का रास्ता जाता है।

मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश में उत्तर प्रदेश की राजनीतिक परिस्थितियों में हवा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ चल रही है। इस हवा को थामने के लिए यानि हवा के रुख को अपने मनमाफिक करने के लिए पीएम मोदी ने एक ब्लूप्रिंट तैयार किया है, जिसके जरिए वे अपने खिलाफ चल रही हवा को रोक सकते हैं। ऐसी उनकी सोच है, शायद इसीलिए वह इस तरह का कदम उठाने वाले हैं। कोरोना के चलते देश और विदेश में अपनी खराब हुई छवि से पीएम नरेंद्र मोदी अभी उबर भी नहीं पाए थे कि उनके अपने ही लोगों ने उनको चुनौती देना शुरू कर दिया।

मोदी के अपने खास लोगों में शुमार किए जाने वाले लोगों में से एक योगी आदित्यनाथ ने उन्हें उस समय तगड़ा झटका दिया,जब योगी ने पीएम नरेंद्र मोदी के खासमखास पूर्व आईएएस अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा को अपने मंत्रिमंडल में नहीं शामिल किया। मोदी चाहते थे कि योगी आदित्यनाथ अपनी सरकार में अरविंद कुमार शर्मा को उपमुख्यमंत्री बनाएं और होम एवं कार्मिक विभाग का चार्ज दें। लेकिन योगी आदित्यनाथ ने ऐसा करने से इंकार कर दिया। योगी आदित्यनाथ यह जानते थे कि यदि वह ऐसा कोई काम करते हैं तो वह फिर नाममात्र के मुख्यमंत्री रह जायेंगे। इसीलिए योगी आदित्यनाथ ने पीएम नरेंद्र मोदी की बात को अनसुना कर दिया।

मोदी ने अरविंद कुमार शर्मा को वीआरएस दिलवाया था और उनको उत्तर प्रदेश विधान परिषद का सदस्य भी बनवाया था।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दरअसल अरविंद कुमार शर्मा को योगी आदित्यनाथ की सरकार में शामिल करवा कर योगी को अपने कंट्रोल में करना चाहते थे। क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अब अपनी कुर्सी पर खतरा मंडराता नजर आ रहा है। वह किसी प्रकार का कोई रिस्क नहीं लेना चाहते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी खराब हो गई छवि को लेकर काफी चिंतित हैं। वे यह मानकर चल रहे हैं कि उनके बाद यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भाजपा के पास अकेले हिंदुत्ववादी फायर ब्रांड नेता हैं, जो भाजपा की नाव पार लगा सकते हैं। वे यह मानकर चल रहे हैं कि अगला चुनाव भाजपा योगी आदित्यनाथ को आगे रखकर स्टार प्रचारक के रुप में चुनाव लड़ेगी।आर एस एस ने मोदी को इस तरह का संकेत दे दिया है।

नरेंद्र मोदी को योगी आदित्यनाथ के बदले हुए रुख से बड़ा तगड़ा झटका लगा है और वे डर गए हैं। इसीलिए मोदी यह मानकर चल रहे हैं कि आगे चलकर उन्हें योगी आदित्यनाथ से चुनौती मिल सकती है। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक नफा-नुकसान का आंकलन कर उत्तर प्रदेश के बंटवारे का ब्लूप्रिंट तैयार किया है. यानि यूपी के बंटवारे का लगभग फैसला कर लिया है। अब केवल इस पर अमल किया जाना बाकी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योगी आदित्यनाथ को समझाने-बुझाने का काफी प्रयास किया, लेकिन योगी नहीं माने। योगी आदित्यनाथ को मनाने के लिए आरएसएस के नेता दत्तात्रय होसबाले और भाजपा के महामंत्री बी एल सन्तोष ने भी लखनऊ का दौरा किया और योगी आदित्यनाथ को समझाने का काम किया, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने उनकी भी नहीं सुनी। इसके बाद मोदी ने भाजपा के यूपी प्रभारी राधा मोहन सिंह को गवर्नर आनन्दी बेन पटेल और यूपी विधानसभा के स्पीकर ह्रदय नारायण दीक्षित के पास भेजा। राधा मोहन सिंह ने इनसे मुलाकात की और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का संदेश दिया। राधा मोहन सिंह पीएम नरेंद्र मोदी का कौन सा संदेश लेकर आए थे, इसको लेकर कयास लगाए जा रहे हैं। लेकिन बदले हुए हालातों में यानि बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यूपी के बंटवारे के लिए जो ब्लूप्रिंट तैयार किया है, उसी के लिए राधा मोहन सिंह राजनीति की शतरंज की बिसात बिछाने आए थे। क्योंकि नए राज्यों के निर्माण में गवर्नर और विधानसभा स्पीकर की बड़ी भूमिका होती है।

सूत्र बताते हैं कि यूपी के बंटवारे का फैसला यानि नए राज्यों का निर्माण मानसून सत्र में हो सकता है। अगला विधानसभा चुनाव अलग- अलग राज्यों का होगा। योगी आदित्यनाथ नए राज्य पूर्वांचल या पूर्वी उत्तर प्रदेश नाम के नए राज्य के मुख्यमंत्री होंगे।

इस प्रकार योगी आदित्यनाथ एक छोटे से राज्य के मुख्यमंत्री बन कर रह जाएंगे और उनका कद छोटा हो जाएगा। अभी योगी आदित्यनाथ 403 विधानसभा सदस्य वाली राज्य सरकार के मुख्यमंत्री हैं, फिर आगे चलकर छोटे से राज्य के मुख्यमंत्री बनकर रह जाएंगे। चूंकि योगी आदित्यनाथ के दम पर हिंदुत्व की लहर पैदा कर केंद्र की सत्ता में पुनः स्थापित होने का भाजपा सपना देख रही है, नहीं तो भाजपा योगी आदित्यनाथ को पार्टी से बाहर निकल जाने का रास्ता दिखा देती। यह वही भाजपा है, जिसने कल्याण सिंह को पार्टी से बाहर निकाल दिया था। अगर नए राज्य पूर्वांचल का गठन किया जाता है तो इसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश के कितने और कौन से जिले जाएंगे,यह तो राज्य के गठन के बाद ही पता चलेगा।

केंद्र सरकार यूपी के बंटवारे में पश्चिमी उत्तर प्रदेश को एक नया राज्य बना कर वहां के लोगों को एक बड़ा तोहफा दे सकती है।केंद्र सरकार इस पर गम्भीर है, क्योंकि बदले हुए राजनीतिक परिस्थितियों व समीकरण में भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बहुत ही खराब दौर से गुजर रही है। यही नहीं, भाजपा यहां पर अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव के पूर्व मुजफ्फरनगर में हुए दंगों के कारण हुए धुर्वीकरण के कारण भाजपा को पश्चिमी उत्तर प्रदेश भारी सफलता प्राप्त हुई थी और यहां से उसके सबसे अधिक विधायक चुने गए थे। इसी कारण आसानी से उत्तर प्रदेश की सत्ता में बैठने में भाजपा कामयाब हो गई थी।लेकिन बदली हुई परिस्थितियों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में लोग भाजपा से बहुत ही ज्यादा नाराज हैं।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लगभग 125 विधायक चुने जाते हैं और मौजूदा हालात में यहां से भाजपा का सूपड़ा साफ होना तय है। इसका सबसे बड़ा कारण दिल्ली में चल रहा किसान आंदोलन है। किसान आंदोलन से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बीच पहले पैदा हुई दरार खत्म हो गई है और हिंदू-मुस्लिम समुदाय के लोग अब एक- दूसरे के साथ खड़े हुए हैं। इन्होंने अपने गिले- शिकवे भुला दिये हैं और एक साथ चलने का फैसला किया है। यही कारण है कि दिल्ली में चल रहा किसान आंदोलन अपनी मजबूती के साथ खड़ा है।

इस बदली हुई परिस्थितियों ने भाजपा की नींद उड़ा दी है। अगर यही स्थिति रही तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा का तम्बू-कनात उखड़ जाएगा। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा की दशा से पार्टी के दिल्ली की सत्ता की ओर जाने वाले रास्ते में रोड़े खड़े हो जाएंगे। इसलिए भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश को नया राज्य बनाकर यहां के लोगों को एक बड़ा तोहफा देने की तैयारी कर रही है। भाजपा यह मानकर चल रही है कि अगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश को नया राज्य बना देंगे तो यहां के लोग यानि मतदाता उसके साथ आ सकते हैं और फिर वह एक बार नए सिरे से अलग- अलग ही सही, लेकिन बड़े राजनीतिक भाग पर कब्जा कर केंद्र की सत्ता तक पहुंच सकती है।

इससे नए राज्यों में भाजपा की सरकार बनने से समूचे देश में भाजपा के पक्ष में सकारात्मक संदेश जा सकता है, जिसके बाद होने वाले 2024 के लोकसभा चुनाव में उसे फायदा मिल सकता है और वह एक बार फिर से केंद्र सरकार की सत्ता में बैठने में कामयाब हो सकती है। चूंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश को नया राज्य बनाने की मांग बहुत ही पुरानी है। भाजपा की सोंच है कि नए राज्य के बन जाने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उसकी पुनर्स्थापना हो जाएगी और वह राज्य से लेकर केंद्र सरकार तक काबिज हो जाएगी। भाजपा इस तरह नया राज्य बना सकती है।

भाजपा बहुत ही बड़ा गेम खेल रही है। उत्तर प्रदेश के बंटवारे के जरिए भाजपा समाजवादी पार्टी को खत्म करने की योजना पर काम कर रही है। उत्तर प्रदेश में चारों ओर यह चर्चा है कि अगले विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार बनेगी। योगी आदित्यनाथ की सरकार से लोगों की नाराजगी भी है, इसमें कोई दो राय नहीं है। अगर यूपी से भाजपा उखड़ गई तो केंद्र सरकार की ओर जाने वाले रास्ते का रुक जाना निश्चित है। इस स्थिति में भाजपा के मंसूबों पर पानी फिर जाएगा। इसलिए केंद्र सरकार में बैठने के लिए भाजपा यूपी का बंटवारा हर हाल में करेगी, क्योंकि भाजपा को केंद्र सरकार की सत्ता चाहिए। राजनीति में सब कुछ जायज है। राजनीति के लिए कब किस की कुर्बानी देनी पड़ जाए तो वह भी दी जाती है। इसलिए राजनीति में सब कुछ संभव है।

यूपी के बंटवारे से सबसे अधिक अगर किसी को नुकसान होगा तो वह समाजवादी पार्टी होगी। बंटवारे से नए समीकरण उत्पन्न होंगे। नए समीकरण में अखिलेश यादव पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कभी मुख्यमंत्री नहीं बन सकेंगे। क्योंकि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में यादव मतदाताओं की संख्या बहुत ही कम है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में आज के हालात में राष्ट्रीय लोक दल सबसे बड़े दल के रूप में खड़ा होगा। क्योंकि उसका परम्परागत वोटर जाट, मुस्लिम और गूजर पुनः उसके साथ आ गया है। 2017 के विधानसभा चुनाव में मतों के धुर्वीकरण के कारण जाट और गूजर भाजपा के साथ चला गया था और मुस्लिम वोटर बंट गया था, इसलिए भाजपा इस क्षेत्र में अधिक विधानसभा सीटें पा गई थी। किसान आंदोलन से जाट, मुस्लिम और गूजर मतदाता फिर राष्ट्रीय लोक दल के साथ आ गया है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल की भारी संख्या में उम्मीदवारों की जीत है।

इसके बाद नई बनी पार्टी आजाद समाज पार्टी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तेजी के साथ उभर रही है। इसके अध्यक्ष चंद्रशेखर उर्फ रावण हैं। यह दलित नेता हैं। मायावती के भाजपा के साथ अंदरखाने मिल जाने से दलित समाज के मतदाता रावण के साथ चले गए हैं।पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इसलिए बसपा खत्म होने की कगार पर है। अगर कुछ प्रतिशत ही मुस्लिम समुदाय के मतदाता रावण के साथ चले गए तो यह नया इतिहास रच सकते हैं। इस पार्टी के उभरने से पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बसपा चूक गई है।

आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के साथ केवल राजपूत मतदाता बचे हुए हैं। ऐसे में भाजपा को अब सिर्फ नए राज्य का सहारा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल जयंत चौधरी को स्थापित कर सकता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश को नया राज्य बनाया जाना चाहिए, इसकी हिमायत राष्ट्रीय लोक दल करता रहा है।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश में नए राज्य के बनने से सपा को सबसे ज्यादा नुकसान होगा। सपा यहां से खत्म हो जाएगी। बसपा अपने भाजपा प्रेम के कारण खत्म हो गई है। भाजपा संक्रमण के दौर से गुजर रही है। ऐसे में आजाद समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में परचम लहराने की स्थिति में होंगे। कांग्रेस की स्थिति यहां ठीक नहीं है। भाजपा को केवल नए राज्य का सहारा है।

पूर्वांचल में भाजपा को टक्कर सपा देगी। सपा पूर्वांचल में मजबूत स्थिति में है। अगर यहां भाजपा सत्ता में नहीं बैठेगी तो सपा की सरकार बनेगी। इस तरह पूर्वांचल जैसे बनने वाले नए राज्य के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी बन सकते हैं। अखिलेश यादव पूर्वांचल में ही आने वाले आजमगढ़ से लोकसभा सदस्य हैं। राजनीति में अपने विरोधी को राजनीतिक रूप से खत्म करने के लिए अपनी ही पार्टी के राजनेता उसे खत्म करने में कोई संकोच नहीं करते हैं। राजनीति में वे सब कुछ जायज मानते हैं।

इस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यानी भाजपा आलाकमान एक तीर से कई शिकार करने का तानाबाना बुने हुए हैं। यूपी के बंटवारे के ब्लूप्रिंट के अमल में लाने से योगी आदित्यनाथ ही नहीं बल्कि समाजवादी पार्टी का अस्तित्व भी खतरे में पड़ जाएगा और बड़े राज्य यूपी के दोबारा मुख्यमंत्री बनने का अखिलेश यादव का सपना, सपना ही रह जायेगा।

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