इश्फाकुल हसन | इंडिया टुमारो
श्रीनगर | जम्मू-कश्मीर में अफवाह तंत्र अपनी पूरी ताकत के साथ सक्रिय हो चुका है. केंद्र शासित प्रदेश से पूर्ण राज्य के रूप में बदलना और जम्मू को राज्य का दर्जा देना, दक्षिण कश्मीर के जिलों को अलग करने से लेकर कश्मीर को लद्दाख में विलय करना इत्यादि अफवाहों के कारण कश्मीर के लोगों की नींद उड़ी हुई है.
अगस्त 2019 को जब केंद्र ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया था और जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया था उन्हीं यादों के डर के साए लोगों को फिर से सताने लगे हैं. कर्फ्यू और इंटरनेट बंद कर कर दिए जाने के कारण लोगों में घबराहट का माहौल है.
सोशल मीडिया की टाइमलाइन मीम्स से भर गई है. 2019 की तस्वीरें और वीडियो फेसबुक और व्हाट्सएप खूब शेयर किए जा रहे हैं. कम्युनिकेशन बैन की संभावना को देखते हुए लोग दोस्तों को अलविदा कहने लगे हैं. अधिकांशतः तकनीकी संसाधनों से दूर रहने वाली महिलाओं ने रिश्तेदारों से आखिरी बार बात करने के लिए बैचेन हो कर कॉल करना शुरू कर दिया है मानो कि जैसे प्रलय आने वाला हो.
नई दिल्ली में राजनीतिक नेताओं की अचानक बैठक होने से अफवाहों को ओर बल मिला है. शीर्ष नेतृत्व से मिलने के लिए कई राजनीतिक नेता अचानक राष्ट्रीय राजधानी के लिए रवाना हो गए हैं. सरकारी आदेशों की झड़ी ने इस मुद्दे को ओर जटिल बना दिया और अराजकता को बढ़ा दिया है.
जिला मजिस्ट्रेट श्रीनगर द्वारा जारी किए गए कर्फ्यू पास की एक फोटो ने लोगों को परेशान कर दिया है. जब कहीं कर्फ्यू नहीं तो कर्फ्यू पास क्यों जारी किया गया ? देर रात एक पत्रकार ने जिलाधिकारी का हवाला देते हुए ट्वीट किया कि 9 और 10 जून को स्मार्ट सिटी की नौकरियों के लिए साक्षात्कार में उपस्थित होने वाले कुछ उम्मीदवार अपने लिए पास चाहते थे. जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय ने पास जारी किए. आमतौर पर कर्फ्यू के दौरान परीक्षार्थियों के किसी भी एडमिट कार्ड या रोल नंबर स्लिप को ही पास माना जाता रहा है. आखिर इस बार सरकार ने अलग से पास जारी करना क्यों ज़रूरी समझा?
इसी तरह, सोशल मीडिया पर एक आदेश की भी चर्चा है, जिसमें पुलिस के शीर्ष अधिकारियों ने अधीनस्थ कर्मचारियों को इस राजनीतिक व्यक्तित्वों के बारे में विवरण देने के लिए खा है जिन्हें पिछले पांच वर्षों के दौरान 370 हटाए जाने के बाद और उसके पहले गिरफ्तार किया गया या जिन पर कार्रवाई की गई. अनुच्छेद 370 हटाए जाने से पहले और बाद में हिरासत में लिए गए पत्रकारों का विवरण भी मांगा गया है.
डिविजनल कमिश्नर कश्मीर द्वारा पांच जिला आयुक्तों को जारी एक और आदेश ने लोगों को दहशत में डाल दिया है. यह आदेश नए पटवार हलका और गिरदावर सर्कल के निर्माण और युक्तिकरण के बारे में है.
साथ ही अर्धसैनिक बलों के आने से तनाव और बढ़ गया है क्योंकि लोगों को डर है कि कुछ अनहोनी हो सकती है. हालांकि पुलिस ने कहा कि ये विशेष दस्ते चुनाव ड्यूटी पर गए थे और अब वापस लौट रहे हैं.
नेशनल कांफ्रेंस के वरिष्ठ नेता तनवीर सादिक ने ट्वीट किया है कि, “चूंकि अफवाहें तेज़ी से फैल रही हैं – क्या हमें दूसरे सेमेस्टर के लिए तैयार रहना चाहिए? एमएलए हॉस्टल 2.0 ?”
पीपुल्स कांफ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने ट्वीट करके कहा कि झूठ पर विश्वास करना एक कला है जिसमें भारत के लोगों ने महारत हासिल की है. उन्होंने कहा, ‘हम उन अफवाहों पर भी विश्वास करना चाहते हैं, जिन्हें अफवाह माना जाता है. हम अफवाहों से प्यार करते हैं, है ना. पिछले कुछ दिनों से अफवाहों और साज़िशों का दौर चल रहा है. वे (सरकार के लोग) कहते हैं कि जब तक सरकार वास्तव में इससे इनकार नहीं करती, तब तक किसी अफवाह पर विश्वास न करें.”
इस बीच पीपुल्स अलायंस फॉर गुप्कर डिक्लेरेशन (पीएजीडी) अपनी निष्क्रियता से बाहर आया है और बुधवार को महीनों बाद पहली बैठक की. बैठक घाटी में चल रही अफवाहों के कारण आयोजित की गई थी.
बैठक के बाद पीएजीडी प्रमुख और नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि, “केंद्र के साथ बातचीत के लिए दरवाजे बंद नहीं किए गए हैं. अगर वे हमें आमंत्रित करते हैं, तो हम उस समय पर फैसला करेंगे.”