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Sunday, May 5, 2024
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अलीगढ़ : क्या टप्पल में सामान्य झड़प को साम्प्रदायिक बनाने का प्रयास किया गया?

नूरपुर गांव के मोहमद सुलेमान जो एक किसान हैं, इंडिया टुमारो से बात करते हुए कहते हैं कि, "इससे पहले भी मस्जिद के सामने से बरातें जाती रही हैं लेकिन कभी कोई विवाद नहीं हुआ लेकिन हाल के दिनों में नमाज़ के समय ही डीजे ले जाने की ज़िद ने कहासुनी का बढ़ाया है. गांव के लोग एक दूसरे की बारात में जाते हैं, कभी कोई हिन्दू मुस्लिम विवाद नहीं हुआ. पिछले कुछ महीनों से कुछ युवा भाजपा और अन्य संगठनों से जुड़े हैं जिसके बाद से यहां इस प्रकार के विवाद शुरू हुए हैं."

मसीहुज़्ज़मा अंसारी | इंडिया टुमारो

नई दिल्ली | उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में टप्पल थाना क्षेत्र के नूरपुर गांव में 26 मई को दलित समुदाय की एक बारात को कथित रूप से मस्जिद के सामने से निकलने को लेकर दो पक्षों में झड़प का मामला सामने आया था. दलित परिवारों ने मुस्लिम समुदाय के लोगों पर मारपीट का आरोप लगाया और घटना का विरोध करते हुए अपने घरों के बाहर ‘यह मकान बिकाऊ है’ लिख दिया जिसके बाद मामले ने अलग रूप ले लिया.

सोशल मीडिया पर इसके वायरल होने के बाद मामले को सांप्रदायिक रंग देने का प्रयास किया गया और आस-पास के शहरों व कस्बों से हिन्दुत्ववादी नेता गांव पहुँचने लगे. पुलिस प्रशासन सक्रीय हुआ और इस प्रकार के संगठन से जुड़े लोगों को गांव में प्रवेश करने नहीं दिया गया.

इस मामले में टप्पल थाना प्रभारी समय सिंह ने इंडिया टुमारो को बताया कि 11 लोगों पर मामला दर्ज है जिसमें 5 लोगों की गिरफ़्तारी हो चुकी है. अन्य की तलाश जारी है.

मामले में मुस्लिम पक्ष का आरोप है कि उनके द्वारा अन्य पक्ष के 18 लोगों के विरुद्ध शिकायत दर्ज कराई गई थी लेकिन पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया.

कुछ संगठनों ने किया माहौल ख़राब करने का प्रयास

नूरपुर गांव के कुछ बुजुर्गों ने बताया कि इससे पहले भी गांव में कहासुनी होती रहती है जिसे गांव के लोग आपस में बैठ कर सुलझा लेते हैं लेकिन बाहर से आने वालों ने इस मामले को काफी तूल दिया.

कुछ दक्षिणपंथी संगठन और मीडिया के एक समूह ने इस घटना को ‘हिंदू अस्मिता पर हमला’ का नाम देते हुए अपने ढंग से प्रसारित व प्रचारित किया.

हालांकि, नूरपुर गांव में पहुँचने पर ऐसा बिलकुल भी नहीं लगता कि यहां किसी की आस्था पर हमले जैसा कुछ भी हुआ है. गांव के लोग दो पक्षों की झड़प की बात तो स्वीकार करते हैं लेकिन सभी वर्ग और समुदाय के लोग अपने दैनिक कार्यों में लगे हुए हैं और गांव में शांति है.

मस्जिद के सामने से डीजे बजाते हुए बारात ले जाने पर हुआ विवाद

ओमप्रकाश, जिनकी दो बेटियों की शादी 26 मई को थी और पलवल से उनकी बेटियों की बारात नूरपुर गांव पहुंची थी. जब बारात मस्जिद के सामने से गुज़र रही थी तो बारात में शामिल गांव के कुछ लोग कथित रूप से मस्जिद के सामने से डीजे बजाते हुए ले जाने की ज़िद कर रहे थे. इसका मुस्लिम समुदाय ने विरोध किया जिसे लेकर दोनों पक्षों में कहासुनी और झड़प हुई.

इंडिया टुमारो से इस सम्बंध में बात करते हुए मस्जिद के इमाम, मोहम्मद इमरान (22वर्ष) ने कहा कि, “नमाज़ का समय था इसलिए हमने बारातियों से आगे ले जाकर डीजे बजाने की अपील की लेकिन वो अपनी ज़िद पर अड़े थे.”

जबकि इंडिया टुमारो से बात करते हुए ओमप्रकाश ने नमाज़ का समय होने की बात से इंकार किया. ओमप्रकाश ने कहा कि, “हम बारातियों को लेकर मस्जिद के सामने से निकल रहे थे तभी मुसलमानों ने मस्जिद के सामने से डीजे ले जाने से मना किया और बारात को जाने से रोका. जब हमने बारात ले जाने को कहा तो उन्होंने लाठी डंडों से हमला किया और गाड़ी के शीशे और डीजे को नुकसान पहुंचाया.”

मोहम्मद इमरान पास के गांव गज्जू गड़ी के रहने वाले हैं और एक साल से इस मस्जिद में नमाज़ पढ़ाते  हैं. उन्होंने बताया कि, “बारात सामने से निकल रही थी, तभी बारातियों की गाड़ी में बैठ कर गांव के कुछ युवक मस्जिद के सामने आए और डीजे बजाने लगे. नमाज़ का वक़्त था इसलिए उन्हें रोका गया मगर वो नहीं माने.”

माजिद के इमाम ने किसी भी मारपीट की बात से इंकार किया.

इससे पहले भी सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास किया गया

गांव के ही रफीक ने बताया कि, “इससे पहले भी माहौल बिगाड़ने का प्रयास किया गया था. रमज़ान में 9 मई को भी डीजे बजाकर मस्जिद के सामने से लेकर जाने का मामला सामने आया था.”

रफीक ने बताया कि, “बाद में टप्पल थाने में दोनों पक्षों को यह समझाते हुए मामला हल कराया गया था कि मस्जिद के सामने से डीजे नहीं बजाया जाए. लेकिन दोबारा इन्होने ऐसी हरकत की.”

गांव में मस्जिद की गली से पहले रोड पर ख़ुर्शीद (28 वर्ष), की सिलाई की दुकान है. उन्होंने इंडिया टुमारो को बताया कि, “मामला 26 का है और दीवार पर ‘यह मकान बिकाऊ है’ 30 तारीख को लिखा गया. इन चार दिनों में कुछ बाहरी लोगों ने गांव का माहौल ख़राब किया. भाजपा सांसद सतीश गौतम आए और एक पक्ष से ही मिलकर चले गए.”

ख़ुर्शीद ने आगे बताया कि, “टप्पल से लोग आकर गांव का माहौल ख़राब कर दिए. इससे पहले कभी इस तरह माहौल ख़राब नहीं रहा. लेकिन कुछ संगठनों ने सांप्रदायिक बयान देकर माहौल ख़राब किया और कुछ पत्रकारों ने एकतरफा रिपोर्टिंग कर के गांव का माहौल ख़राब करने में भूमिका निभाई.”

गांव में जाटव समाज के 125 घर हैं और मुसलमानों के घर 600 से अधिक हैं.

आरोप है कि सभी मकानों पर ‘यह मकान बिकाऊ है’ सज़िशन कुछ संगठनों ने लिखा है

नूरपुर गांव की मेन सड़क पर होरी लाल (25वर्ष) का मकान है. वह सटरिंग का काम करते हैं. मकान के सामने दीवार पर ‘यह मकान बिकाऊ है’ धुंदला सा लिखा दिखाई दे रहा है. उन्होंने इंडिया टुमारो को बताया कि, “पहले मस्जिद के सामने से बारात जाती थी, कभी कुछ नहीं हुआ लेकिन अब बारात पर हमला किया जा रहा है.”

इस सवाल पर कि क्या मकान पर आप ने ‘यह मकान बिकाऊ है’ लिखा है, होरी लाल कहते हैं कि, “हां, हमने लिखा है क्योंकि हम पर हमला हुआ था इसलिए हम यहां ख़तरा मह्सूस कर रहे थे.”

हालांकि, गांव के ही मोहम्मद सुलेमान (50 वर्ष) कहते हैं कि, “सभी घरों पर एक ही व्यक्ति ने लिखा है. उनकी लिखावट को देखकर आप यह पता लगा सकते हैं. यह मामले के 4 दिन बाद लिखा गया. स्पष्ट है कि कुछ लोग गांव का माहौल ख़राब करने पर लगे हैं.”

सुमित, जो उसी गांव के निवासी हैं, कहते हैं कि, “अब कार्रवाई हो रही है, हमला करने वालों की गिरफ़्तारी भी हुई है. प्रशासन अपना काम कर रहा है. गांव में अब शांति है.”

पहले भी जाती रही है मस्जिद के सामने से बरातें

नूरपुर गांव के मोहमद सुलेमान (50 वर्ष) जो एक किसान हैं, इंडिया टुमारो से बात करते हुए कहते हैं कि इससे पहले भी मस्जिद के सामने से बरातें जाती रही हैं लेकिन कभी कोई विवाद नहीं हुआ लेकिन हाल के दिनों में नमाज़ के समय ही डीजे ले जाने की ज़िद ने कहासुनी का बढ़ाया है.

उन्होंने बताया कि, “गांव के लोग एक दूसरे की बारात में जाते हैं, कभी कोई हिन्दू मुस्लिम विवाद नहीं हुआ. पिछले कुछ महीनों से कुछ युवा भाजपा और अन्य संगठनों से जुड़े हैं जिसके बाद से यहां इस प्रकार के विवाद शुरू हुए हैं.

प्रशासन ने बनाई पीस कमेटी

गांव के माहौल को शांतिपूर्ण बनाए रखने के लिए प्रशासन ने एक पीस कमेटी बनाई है. यह पीस कमेटी 7 जून की शाम को बनाई गई है. इस कमेटी में दोनों पक्षों के लोगों को शामिल किया गया है जिसमें 17 लोग शामिल हैं. पीस कमेटी में 9 सदस्य मुस्लिम हैं और 8 जाटव समाज से हैं.

मुस्लिम पक्ष के 11 पर मामला दर्ज, मुसलमानों की शिकायत दर्ज नहीं की गई

नूरपुर गांव के मुस्लिम पक्ष के 11 लोगों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है और 5 की गिरफ़्तारी भी हुई है. हालांकि मुसलमानों का आरोप है कि उनकी शिकायत दर्ज नहीं की गई जिसमें 18 लोगों के नाम दिए गए थे.

आरोप लगाया गया कि ऐसा अलीगढ़ के सांसद के प्रभाव में किया गया है. मुस्लिम पक्ष ने प्रशासन पर एकतरफा कार्रवाई का आरोप लगाया है.

गिरफ्तार हुए लोग हैं:

1. शरफू 25, पुत्र उमरु

2. लहरू 22,  पुत्र लीले

3. संहजोर 33, पुत्र सुब्हान

4. अमजद 26,  पुत्र शेरू

5. कलुआ 65, पुत्र काजी

सांसद ने नहीं की मुस्लिम पक्ष से मुलाक़ात

नूरपुर गांव के मुस्लिम समुदाय का आरोप है कि अलीगढ़ के सांसद सांसद सतीश गौतम मुसलमानों से मिलने नहीं आये. वह गांव में केवल एक पक्ष से मिलकर चले गए.

कुछ का यह भी आरोप था कि उन्होंने मुसलमानों को निशाना बनाते हे अमर्यादित टिप्पणी भी की और माहौल को ख़राब करने में भूमिका निभाई.

इस मामले में दलित समुदाय ने मुस्लिम पक्ष के 11 लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई है जिसमें 5 लोगों की गिरफ्तारी हुई है. हालांकि मुस्लिम पक्ष ने किसी भी लड़ाई की बात से इनकार करते हुए प्रशासन पर एकतरफा कार्यवाई का आरोप लगाया है.

मुस्लिम पक्ष का कहना है कि नमाज़ के वक़्त डीजे बजाए जाने को लेकर रोका गया था जिसको लेकर कुछ लोग झड़प करने लगे. फिलहाल गांव में शांति है और पुलिस बल भी तैनात है.

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