इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | धार्मिक जनमोर्चा के तत्वावधान में विभिन्न धर्मगुरुओं और धार्मिक संगठनों के 11 प्रतिनिधियों से प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को ऑनलाइन चर्चा की जिसका विषय ‘‘कोरोना महामारी की चुनौतियां: धार्मिक संगठन और सरकारों के संयुक्त प्रयास’’ था.
धार्मिक जनमोर्चा विभिन्न धर्मगुरुओं और धर्माचार्यों का एक संयुक्त मंच है जो प्रेम, सौहार्द, सहिष्णुता और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ावा देने तथा मानवता के आधार पर देश में आपसी सहयोग व भाईचारे को मज़बूत करने के उद्देश्य से कार्यरत है.
बुधवार को प्रधनमंत्री से हुई इस ऑनलाइन चर्चा में 11 धर्मगुरु शामिल हुए जिनमें शंकराचार्य श्री ओंकारानन्द सरस्वती (प्रयागपीठ), पीठाधीश गोस्वामी सुशील जी महाराज, गलतापीठाधीश अवधेशाचार्य, गुरुद्वारा बंगला साहब के मुख्य ग्रंथी ज्ञानी रंजीत सिंह, फादर डॉक्टर एम.डी. थॉमस, आचार्य विवेक मुनि, ब्रह्माकुमारी से बहन बी.के. आशा, रामकृष्ण मिशन के स्वामी शान्तआत्मानन्द, रविदासीया धर्म संगठन के स्वामी वीर सिंह हितकारी, बहाई धर्म के डॉक्टर ए.के. मर्चेंट और जमाअत इस्लामी हिन्द के प्रोफेसर सलीम इंजीनियर थे.
इस चर्चा में सभी धर्माचार्यों ने पहले अपने विचार रखे और सुझाव प्रस्तुत किए. बाद में प्रधानमंत्री मोदी ने धर्मगुरुओं के विचारों एवं सुझावों को सुनने के बाद अपनी बात साझा करते हुए कहा कि धर्मगुरू और धार्मिक संस्थाओं को आपसी सहयोग के साथ कार्य करना चाहिए और अपने अपने राज्य सरकारों से भी निरंतर संपर्क में रहना चाहिए.
प्रधानमंत्री ने धर्मगुरुओं को टीकाकरण के बारे में लोगों के भ्रम को दूर करने के लिए भी कार्य करने का सुझाव दिया. उन्होंने आज़ादी के 75 साला कार्यक्रमों का हिस्सा बनने व उसमें सहयोग करने का भी आह्वान किया.
उन्होंने धर्मगुरुओं से ‘‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के लिए मिलजुल कर कार्य करने का भी आह्वान किया.
केंद्रीय धार्मिक जनमोर्चा के संयोजक प्रोफेसर सलीम इन्जीनियर ने मीडिया को जारी बयान में कहा कि प्रधानमंत्री से हुई ऑनलाइन वार्ता में धर्माचार्यों द्वारा निम्नलिखित विचार एवं सुझाव प्रस्तुत किए गए.
- कोरोना की इस महाचुनौती का मुकाबला अकेले सरकार नहीं कर सकती. सभी धर्मगुरुओं, संस्थाओं, सामाजिक संगठनों एवं सरकारों को हर स्तर पर मिलजुल कर कार्य करना होगा.
- महामारी की इस चुनौती का मुकाबला तभी सफलता से किया जा सकता है जब देश में आपसी प्रेम, सदभाव, विश्वास मज़बूत हो और कोई अपने आपको असुरक्षित महसूस न करे। इस सम्बंध में धर्मगुरू और सरकार दोनों अपने-अपने क्षेत्रों में कोशिश करें. आपसी प्रेम और सद्भाव को कमज़ोर करने और आपस में नफ़रत फैलाने वालों को सामाजिक स्तर पर धर्मगुरू एवं संस्थाएं तथा सरकारी स्तर पर राज्य व केंद्र सरकारें रोकने का गंभीर प्रयास करे.
- टीकाकरण के कार्यक्रम में तेज़ी लाने की आवश्यकता है. धर्मगुरू टीकाकरण के लिए समाज में जागरूकता अभियान चलायें तथा सरकार टीकों की उपलब्धता को सुनिश्चित करे.
- इस आपदा के दौरान हुए नुकसान से सबक लेते हुए हमें चाहिए कि सरकारी स्वास्थ्य सुविधाओं को हमें कई गुना बढ़ाने की आवश्यकता है, राज्य एवं केंद्र सरकारों के बजट में स्वास्थ सेवाओं के लिए बजट में वृद्धि करने की आवश्यकता है.
- दूसरी लहर के दौरान दवाओं एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की कालाबाज़ारी और प्राइवेट हास्पिटल द्वारा मजबूरी का फ़ायदा उठाकर पैसे वसूल करने की घटनाएं बड़ी संख्या में सामने आई थीं. भविष्य में ऐसा न हो इसके लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा सख़्त कदम उठाए जाने चाहिये.
- दूसरी लहर के दौरान भी मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारे, आश्रम, दरगाहें व अन्य धर्मस्थल मानव सेवा के केंद्र बन गए थे. सरकारी संसाधनों की मदद से सेवा के ये कार्य और बड़े पैमाने पर किए जा सकते हैं, इसके लिए धर्मगुरू व सरकारें मिल कर कार्य करें.
- दूसरी लहर के दौरान बड़ी संख्या में जनहानि हुई और अव्यवस्थायें सामने आयीं. जनता की ओर से कोविड निर्देशों के पालन में लापरवाही हुई और हम बड़ी भीड़ वाले धार्मिक व राजनीतिक आयोजनों को रोकने में असफल रहे. इन सब पहलुओं की ईमानदारी से समीक्षा कर के भविष्य में सुव्यवस्थित और अनुशासित रूप से कार्य करने के लिए आवश्यक कदम उठाये जाएं.
- धर्माचार्यों ने आपदा के नैतिक पहलू की ओर भी इशारा करते हुए कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के आने का एक कारण तो मानवजाति द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के दुरुपयोग से पैदा होने वाला असंतुलन है, तो दूसरी ओर समाज में व्याप्त अनैतिकता, अन्याय, अत्याचार, शोषण, हिंसा एवं पक्षपात भी है. इसलिए हमें चाहिए कि हम व्यक्तिगत रूप से, सामुहिक रूप से एवं सरकारी स्तर पर ईमानदारी से अपनी अपनी ग़लतियों का आत्मावलोकन करें और उनपर पश्चाताप करें. साथ ही ईश्वर से क्षमा मांगे और अपने अन्दर सुधार लाने का गंभीर प्रयास करें. आशा है ईश्वर हमें क्षमा करके हम पर कृपा करेंगे और कोरोना महामारी की आपदा से हमें मुक्ति देंगे.
- सरकार, जनता, धार्मिक व सामाजिक संगठनों के साथ निरंतर आवश्यकता अनुसार चर्चा, संवाद एवं सलाह व मशविरा करने से वास्तविक स्थितियां व लोगों की समस्याएं सामने आती हैं. प्रधानमंत्री की यह पहल स्वागत योग्य है. इसे जारी रखना देश के लिए आवश्यक है और उपयोगी भी.