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Monday, May 6, 2024
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मनरेगा बजट कम करने से ग्रामीण मज़दूरों में रोष, राजस्थान के 30 जिलों में 88 स्थानों पर धरना

-रहीम ख़ान

जयपुर | नरेगा संघर्ष मोर्चा और सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान राजस्थान के आह्वान पर राजस्थान के 30 जिलों में 88 स्थानों पर धरना/ रैली निकालकर तहसीलदार, विकास अधिकारी, उपखंड अधिकारी एवं जिला कलेक्टर्स को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम ज्ञापन दिए गए.

साथ ही विभिन्न स्थानों पर आयोजित किये गए धरने/ रैली और ज्ञापन के दौरान मनरेगा मजदूरों में भयंकर रोष भी देखने को मिला.

केंद्र सरकार ने पिछले बजट की अपेक्षा मनरेगा के बजट में इस बार 30% की कटौती कर दी है जबकि कोरोना काल में ग्रामीण मजदूरों को सबसे ज्यादा फायदा इसी योजना से हुआ था. इस बार 2023-24 के केंद्रीय बजट में मनरेगा को 61,032.65 करोड़ रूपए दिए गए हैं जबकि 2022-23 के बजट में 89,154.65 करोड़ रूपए दिए गए थे.

ज्ञापन में कहा गया है कि केंद्र की मोदी सरकार में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा दिनांक 1 फरवरी 2023 को आगामी वर्ष के लिए पेश किये गए बजट में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के लिए केवल 60 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया है जो बहुत ही कम है.

पश्चिमी बंगाल में मजदूरों को दिसंबर 2021 से भुगतान नहीं किया गया है. झारखण्ड और अन्य कई राज्यों में भी कई महीने से भुगतान नहीं किया गया है उनका पिछला बकाया भी हजारों करोड़ है और आगे 2 महीने और काम चलने वाला है उसका भी भुगतान अभी किया जाना है.

सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता मुकेश निर्वासित ने इंडिया टुमारो को बताया कि इससे ऐसा प्रतीत होता है कि मोदी सरकार मनरेगा को ख़त्म करना चाहती है जो पूरे देश के लिए बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है.

उन्होंने कहा कि, मनरेगा मांग आधारित कानून है जिसमें बजट की रूकावट नहीं लगाई जा सकती है लेकिन हर वर्ष केंद्र सरकार द्वारा कम बजट आवंटित करके इसे धीरे धीरे ख़त्म किया जा रहा है.

नरेगा में दिन और मजदूरी बढ़ाने की मांग

मुकेश ने बताया कि आज के ज्ञापन में महात्मा गाँधी नरेगा की मज़दूरी बढ़ाकर 800 रुपये प्रतिदिन किये जाने की भी मांग की है क्योंकि आज मंहगाई के दौर में 231 रुपये बहुत ही कम मजदूरी है. सरकारी कर्मचारियों और अधिकारीयों की तनख्वाहें तो समय समय पर बढ़ा दी जाती है लेकिन मजदूरों की मजदूरी में कोई बढ़ोतरी नहीं की जाती है.

उन्होंने बताया कि हमारी यह भी मांग है कि मनरेगा में दिनों की संख्या बढाकर 200 दिन की जाये क्योंकि आज बेरोज़गारी चरम पर है इसलिए इसे बढाया जाये.

सामाजिक अंकेक्षण की व्यवस्था मज़बूत की जाए

सूचना एवं रोज़गार अधिकार अभियान की ओर से यह मांग भी की गई है कि राज्य में नियमित सामाजिक अंकेक्षण हो जिससे कानून के क्रियान्वयन में सुधार हो. अभियान का मानना है कि यदि वास्तव में सुधार लाना है तो सामाजिक अंकेक्षण को और अधिक मज़बूत किया जाये.

मुकेश निर्वासित ने बताया कि, NMMS (National Mobile Monitoring System) एप्प जो 1 जनवरी 2023 से महात्मा गाँधी नरेगा में उपस्थिति हेतु पूरी तरह लागू कर दिया गया है. यदि इन्टरनेट या अन्य किसी कारण से एप्प में हाजिरी नहीं होती है तो उन्हें मजदूरी नहीं मिलती है. अभियान की और से भेजे गए ज्ञापन में कहा गया है कि इस प्रकार नरेगा मजदूरों से काम करवा लेना और उन्हें मजदूरी नहीं देना केंद्र सरकार द्वारा मजदूरों से बंधुआ मजदूरी कराना है.

उन्होंने बताया कि यह देखने में आया है कि मजदूरों ने 13 दिन काम किया है लेकिन एप्प में उनकी केवल 10 या 7 दिन की ही ऑनलाइन हाजिरी हो सकी है जिससे उनका भुगतान भी 10 या 7 दिन का ही केंद्र सरकार द्वारा किया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि NMMS एप्प से ग्रामीण विकास विभाग भ्रष्टाचार रोकने का दावा कर रहा है लेकिन उस दावे में कोई सच्चाई नहीं है बल्कि यह एप्प मज़दूरों को मज़दूरी से वंचित कर रहा है.

उन्होंने कहा कि कई जगहों पर आज भी इन्टरनेट की कनेक्टिविटी नहीं है. इसी के साथ मोबाइल भी एक विशेष स्पेसिफिकेशन का होना चाहिए होता है जो गरीब परिवारों के पास नहीं होता है.

साथ ही कई स्थानों पर मजदूरों की हाजिरी नहीं होने पर उन्हें कार्यस्थल से वापस लौटा दिया जाता है जिससे उनके कई घंटे ख़राब हो जाते हैं.

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