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Sunday, May 5, 2024
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जाति आधारित रैली पर लगाई रोक, राजनीतिक दलों को जारी किया नोटिस

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ | इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जाति आधारित रैलियों पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर 4 राजनीतिक दलों भाजपा, कांग्रेस, सपा और बसपा को नोटिस जारी किया है और इस मामले में केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने का आखिरी मौका दिया है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सोमवार को यह आदेश जाति आधारित रैलियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया.

हाईकोर्ट ने यह आदेश स्थानीय वकील मोतीलाल यादव की जनहित याचिका पर दिया साथ ही उत्तर प्रदेश के चार प्रमुख राजनीतिक दलों को नोटिस भी जारी किया.

ज्ञात हो कि स्थानीय वकील मोतीलाल यादव ने 2013 में एक याचिका दायर की थी, जिसमें कहा था कि यूपी में जातियों पर आधारित राजनीतिक रैलियों की बाढ़ आ गई है. राजनीतिक दल ब्राम्हण रैली, क्षत्रिय रैली, वैश्य सम्मेलन आदि नाम देकर अंधाधुंध रैलियां कर रहे हैं, इन पर रोक लगाई जानी चाहिए.

याचिककर्ता का तर्क था कि इन जातीय रैली और सम्मेलन लोगों के बीच ज़हर घोल रहे हैं, जो संविधान की मंशा के खिलाफ है. इससे सामाजिक एकता और समरसता को नुकसान हो रहा है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में याचिककर्ता वकील मोतीलाल यादव की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई और पीठ ने 11 जुलाई 2013 को इस मामले की सुनवाई करते हुए इस पर आदेश जारी कर प्रदेश भर में जातियों के आधार पर की जा रही रैलियों पर तत्काल रोक लगा दी.

इसी के साथ हाईकोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी कर दिया. पहले इस मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार समेत केंद्रीय निर्वाचन आयोग सहित भाजपा, कांग्रेस, सपा और बसपा से 4 हफ्ते में जवाब मांगा था. लेकिन इस सबके बावजूद इन राजनीतिक दलों ने जातिगत रैलियों और सम्मेलनों को करना जारी रखा.

ज्ञात हो कि साल 2013 में आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए बसपा ने पूरे प्रदेश में लगभग 40 जिलों में ब्राम्हण भाईचारा सम्मेलन आयोजित किया. सपा ने भी लखनऊ में एक ऐसा ही बड़ा सम्मेलन किया. राजनीतिक दल जातिगत रैलियां और सम्मेलन करते रहे.

9 साल से अधिक समय से लंबित यह मामला 11 नवंबर 2022 को कोर्ट के सामने फिर आया तो नोटिस के बावजूद पक्षकारों की ओर से हाईकोर्ट में कोई पेश नहीं हुआ. इस पर कोर्ट ने पक्षकारों को नोटिस जारी कर सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का आदेश दिया.

इस साल 2024 में 18 मार्च को इस मामले की सुनवाई के लिए तारीख निर्धारित हुई. इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस जसप्रीत सिंह की पीठ में हुई. पीठ ने इस पर सुनवाई करते हुए 4 राजनीतिक दलों भाजपा, कांग्रेस, सपा और बसपा को फिर से नोटिस जारी किया है.

इसके साथ ही इस मामले में केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने का आखिरी मौका देते हुए अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 10 अप्रैल की तारीख लगा दी. इस मामले में केंद्रीय निर्वाचन आयोग और राज्य सरकार ने जवाबी हलफनामा दाखिल कर दिया है.

जाति आधारित रैलियों पर रोक हाईकोर्ट ने पहले से ही लगा रखी है, लेकिन इसके बावजूद राजनीतिक दल इसका अनुपालन नहीं कर रहे हैं. ऐसे हालात में हाईकोर्ट द्वारा इस मामले की दोबारा सुनवाई किए जाने से और केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने का आखिरी मौका दिए जाने के आदेश से 4 राजनीतिक दलों भाजपा, कांग्रेस, सपा और बसपा की मुश्किलें बढ़ गई हैं.

लोकसभा चुनाव के दौरान हाईकोर्ट द्वारा इस मामले की सुनवाई किए जाने से इन राजनीतिक दलों की परेशानी बढ़ गई है. इन दलों को लग रहा है कि अब चुनाव के दौरान वो जातिगत रैलियां और सम्मेलन नहीं कर पाएंगे जिससे वह वोटरों तक अपनी बात नहीं पहुंचा पाएंगे.

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