अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | उत्तर प्रदेश में 10 सीटों के लिए हुए राज्यसभा चुनाव में विधायकों के क्रास वोटिंग करने से भाजपा 8 वीं सीट जीत गई है, जबकि सपा को 2 सीट मिलीं हैं।
यूपी में राज्यसभा की 10 सीटों के लिए चुनाव होने की जिस दिन से अधिसूचना जारी हुई थी, उसी दिन से भाजपा ने इन सीटों में से
अधिकतम सीटें जीतने के लिए जोड़तोड़ शुरु कर दिया था। अगर सामान्य तौर पर देखा जाए तो विधायकों के संख्या बल के हिसाब से भाजपा 7 और सपा 3 सीटें जीत सकती थी।
सपा ने इसी हिसाब से अपने 3 उम्मीदवारों के रूप में पूर्व केंद्रीय मंत्री रामजी लाल सुमन, जया बच्चन, और पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन को चुनावी मैदान में उतारा था। भाजपा को भी 7 उम्मीदवार चुनावी समर में उतारना था, लेकिन भाजपा ने 7 के बजाए 8 उम्मीदवार चुनाव में उतार दिया।
भाजपा ने आर पी एन सिंह, अमर पाल मौर्य, तेजवीर सिंह, नवीन जैन, साधना सिंह, डा.सुधांशु त्रिवेदी, डा.संगीता बलवंत और संजय सेठ को उम्मीदवार बनाया। इस तरह से 10 सीटों के लिए 11 उम्मीदवार चुनावी मैदान में आ गए, जिसके कारण 27 फ़रवरी 2024 को चुनाव कराया गया।
राज्यसभा के चुनाव में 399 विधायकों को मतदान करना था, लेकिन 395 विधायकों ने ही मतदान किया। सपा के इरफ़ान सोलंकी और रमाकांत यादव जेल में बंद हैं, इसलिए वह मतदान नहीं कर सके। सुभासपा के अब्बास अंसारी भी जेल में बंद हैं, इसलिए वह भी मतदान नहीं कर सके। सपा की अमेठी सदर की विधायक महराजी देवी ने भी मतदान नहीं किया।
राज्यसभा चुनाव में भाजपा के 252 विधायकों ने अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान किया। अपना दल (सुप्रिया पटेल) के 13, निषाद पार्टी के 6, रालोद के 9, जनसत्ता दल लोकतान्त्रिक के 2 विधायकों ने भाजपा को वोट दिया। सुभासपा के 1 विधायक अब्बास अंसारी जेल में बंद हैं, इसलिए वह मतदान करने नहीं आए।
सुभासपा के एक विधायक जगदीश नारायण राय ने सपा को वोट दिया। इस तरह से सुभासपा के 6 में से 4 बचे विधायकों ने भाजपा को वोट दिया। बसपा के अकेले विधायक उमाशंकर सिंह ने भी भाजपा को वोट दिया। सपा के 7 विधायकों ने क्रास वोटिंग करके भाजपा के पक्ष में मतदान किया।
सपा के जिन 7 विधायकों ने क्रास वोटिंग करके भाजपा के पक्ष में मतदान किया, उनमें सपा के मुख्य सचेतक मनोज पाण्डेय, राकेश प्रताप सिंह, अभय सिंह, राकेश पाण्डेय, विनोद चतुर्वेदी, पूजा पाल और आशुतोष मौर्य हैं।
इस प्रकार से भाजपा को कुल 294 वोट मिले और उसके 8 उम्मीदवार राज्यसभा के लिए चुने गए। इस तरह से भाजपा के अमर पाल मौर्य- 38, तेजवीर सिंह- 38, नवीन जैन – 38, आर पी एन सिंह – 37, साधना सिंह – 38, डा. सुधांशु त्रिवेदी – 38, डा.संगीता बलवंत – 38 और संजय सेठ -29 वोट पाकर विजयी हुए।
इसी प्रकार सपा की जया बच्चन -41 और रामजी लाल सुमन – 40 वोट पाकर जीत गए। सपा के तीसरे उम्मीदवार आलोक रंजन
प्रथम वरीयता के 19 वोट पाकर हार गए।
सपा के 108 विधायक हैं। इनमें इरफ़ान सोलंकी और रमाकांत यादव जेल में बंद हैं। सपा के 7 विधायकों ने क्रास वोटिंग की। 1 विधायक महराजी देवी ने वोट नहीं डाला। इस प्रकार से सपा के 98 विधायकों ने मतदान किया। सपा के पक्ष में कांग्रस के 2 और
सुभासपा के 1 विधायक ने वोट डाला। इस तरह से उसके 101 वोट थे।
सपा विधायक शहजिल इस्लाम ने मतपत्र में निशान लगाने के बजाए “पी पी” लिखा। इसलिए उनका मत ख़ारिज कर दिया गया। इस तरह से सपा के खाते में प्रथम वरीयता के 100 वैध मत आए।
सपा विधायक महराजी देवी ने राज्यसभा चुनाव में मतदान नहीं किया। चर्चा है कि भाजपा से इनकी डील हो गई थी, इसलिए इन्होंने मतदान नहीं किया और वोट न देकर भाजपा को फायदा पहुंचाया। इनके पति गायत्री प्रसाद प्रजापति जेल में बंद हैं और यह भाजपा की मदद से उनको जेल के बाहर लाना चाहती हैं। इसलिए इन्होंने सपा को वोट नहीं दिया।
दरअसल सपा के जिन 7 विधायकों ने क्रास वोटिंग करके भाजपा को जिताया है, भाजपा उनको अपने साथ लेकर सपा को मानसिक रूप से कमजोर कर उस पर दबाव बनाना चाहती है। क्योंकि रायबरेली, अमेठी, बदायूं, अम्बेडकर नगर, कौशाम्बी लोकसभा सीटों पर सपा -कांग्रेस गठबंधन बजबूत और दमदार उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतार दिया है और उतारने वाला है, इससे भाजपा घबराई हुई है।
भाजपा सपा के इन विधायकों को तोड़ कर जनता को यह संदेश देना चाहती है कि सपा – और कांग्रस गठबंधन अब कमजोर हो गया है, जबकि असलियत इससे कोसों दूर है।
राज्यसभा चुनाव से एक बात यह भी साफ हो गई है कि पिछड़े और दलित सपा के साथ हैं, क्योंकि इस चुनाव में इन जातियों के विधायक सपा के साथ मजबूती के साथ खड़े रहे हैं। यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को 2022 के विधानसभा चुनाव में पटखनी देकर विधायक बनीं पल्लवी पटेल ने कहा है कि, “मैंने डंके की चोट पर सपा को वोट दिया है। मैं पीडीए के साथ हूँ और हमेशा रहूंगी। मैं खुद पीडीए हूं। मेरे खून में धोखा देना नहीं है।”
उधर दूसरी ओर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सपा विधायकों के द्वारा भाजपा का राज्यसभा चुनाव में समर्थन करने पर कहा है कि, “हमारी राज्यसभा की तीसरी सीट दरअसल सच्चे साथियों की पहचान करने की परीक्षा थी और ये जानने की कि कौन – कौन दिल से पीडीए के साथ और कौन – कौन अंतरात्मा से पिछड़े दलित और अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। अब सब कुछ साफ है यही तीसरी सीट की जीत है।”