इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | जमीयत उलमा-ए-हिंद (अरशद मदनी) ने हल्द्वानी में पुलिस फायरिंग में मारे गए छह परिवारों में से प्रत्येक को 2 लाख रुपये की राशि वितरित की है साथ ही 13 अन्य लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान की है जो 8 फरवरी को शहर के मलिक का बगीचा इलाके में मस्जिद और मदरसे के अवैध विध्वंस के खिलाफ प्रदर्शनकारियों पर पुलिस कार्रवाई में घायल हुए थे.
जमीयत उलमा-ए-हिंद ने 300 परिवारों को राशन किट भी वितरित किया है.
जमीयत ने मृतकों के परिजनों को 2-2 लाख रुपए का चेक प्रदान किया जबकि घायलों को 5-5 हजार रुपए की मदद की.
पुलिस फायरिंग में मारे गए छह लोगों की पहचान मुहम्मद ज़ाहिद पुत्र नूर मुहम्मद, मुहम्मद अनस पुत्र मुहम्मद ज़ाहिद, मुहम्मद फहीम पुत्र मुहम्मद नासिर, मुहम्मद शाबान पुत्र लईक अहमद के रूप में हुई.
मौलाना अरशद मदनी ने हलद्वानी में पुलिस कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि पुलिस की क्रूरता और बर्बरता का एक लंबा इतिहास है, चाहे मलियाना हो या हाशिमपुरा, मुरादाबाद हो या हलद्वानी, हर जगह पुलिस का एक ही चेहरा देखने को मिलता है.
हालाँकि पुलिस की भूमिका कानून और व्यवस्था बनाए रखना और लोगों के जीवन और संपत्ति की रक्षा करना है, दुर्भाग्य से, पुलिस अल्पसंख्यकों और विशेष रूप से मुसलमानों के साथ किसी भी घटना में एक पक्ष की तरह व्यवहार करती है.
मौलाना मदनी ने कहा कि, यह याद रखना चाहिए कि न्याय का दोहरा मापदंड अशांति और विनाश का रास्ता खोलता है. इसलिए कानून का शासन सभी के लिए समान होना चाहिए और किसी भी नागरिक के साथ उसके धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि न तो देश का संविधान और न ही कानून इसकी इजाज़त देता है.