https://www.xxzza1.com
Sunday, May 5, 2024
Home देश हलद्वानी फैक्ट फाइंडिंग टीम ने प्रेस क्लब में जारी की रिपोर्ट, पुलिस...

हलद्वानी फैक्ट फाइंडिंग टीम ने प्रेस क्लब में जारी की रिपोर्ट, पुलिस दमन और बर्बरता का किया ज़िक्र

-एस.एम.ए काज़मी

देहरादून | मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने हल्द्वानी दौरे के बाद दिल्ली के प्रेस क्लब में गुरुवार को एक रिपोर्ट जारी की है. अपनी रिपोर्ट में दैनिक आमदनी वालों के साथ छह दिनों तक जारी कर्फ्यू और पुलिस दमन, बर्बरता के कारण लोगों को पेश आरही भारी कठिनाइयों और पीड़ाओं का सामना करने का ज़िक्र किया है.

एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (एपीसीआर) के नदीम खान और मोहम्मद मोबाश्शिर अनीक, कारवां-ए-मोहब्बत के कुमार निखिल, हर्ष मंदर, नवशरण सिंह, अशोक शर्मा और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता ज़ाहिद कादरी की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने 14 फरवरी को हल्द्वानी का दौरा किया और 8 फरवरी, 2024 को हुई हिंसक घटनाओं पर अपनी अंतरिम रिपोर्ट जारी की है, जिसमें छह लोगों की जान चली गई थी.

यह रिपोर्ट गुरुवार, 15 फरवरी, 2024 को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया, नई दिल्ली में जारी की गई.

अपनी अंतरिम रिपोर्ट में टीम के सदस्यों ने कहा कि चूंकि हिंसा से प्रभावित लोग कर्फ्यू में हैं, इसलिए उनके लिए प्रभावित लोगों से सीधे मिलना और बात करना संभव नहीं है. इसलिए, अंतरिम रिपोर्ट बड़ी संख्या में नागरिक समाज के सदस्यों, पत्रकारों, लेखकों और वकीलों के साथ बातचीत पर आधारित थी.

उन्होंने कहा कि, कुछ प्रभावित व्यक्तियों के साथ टेलीफोन पर बातचीत भी की गई जिन्होंने नाम न छापने की शर्त पर उनसे बात की. टीम ने जिला प्रशासन के सदस्यों से भी संपर्क करने की कोशिश की, हालांकि, उन्होंने या तो कोई जवाब नहीं दिया या उन्हें बताया कि वे बहुत व्यस्त हैं और इसलिए टीम से मिलने में असमर्थ हैं.

इन व्यापक चर्चाओं के आधार पर टीम के प्रमुख प्रारंभिक निष्कर्ष निम्नलिखित हैं.

फैक्ट फाइंडिंग टीम ने पाया कि दिनांक 8.02.2024 को बनभूलपुरा, हल्द्वानी में हुई हिंसक घटना अचानक नहीं हुई. यह हाल के वर्षों में उत्तराखंड राज्य में सांप्रदायिक तनाव में हो रही लगातार वृद्धि का परिणाम था.

उन्होंने कहा कि, “मुख्यमंत्री पुष्कर धामी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार और कट्टरपंथी दक्षिणपंथी नागरिक समूहों ने मिलकर कई परेशान करने वाले तत्वों के साथ अत्यधिक ध्रुवीकरण की कहानी में योगदान दिया है. इस चर्चा का एक पहलू उत्तराखंड को हिंदुओं के लिए पवित्र भूमि ‘देवभूमि’ बनाने के बारे में है, जिसमें अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए कोई जगह नहीं होगी.”

रिपोर्ट में कहा गया है कि, “इस विभाजनकारी विमर्श के अन्य पहलुओं में ‘लव जिहाद’, ‘भूमि जिहाद’, ‘व्यापार जिहाद’ और ‘मज़ार जिहाद’ सहित राज्य की मुस्लिम आबादी द्वारा कथित तौर पर छेड़े गए जिहादों की एक श्रृंखला के असाधारण दावे शामिल हैं. इस विमर्श का परिणाम मुसलमानों के आर्थिक और सामाजिक बहिष्कार का आह्वान है.” रिपोर्ट में कहा गया है कि, “घरों और दुकानों से मुस्लिमों को बेदखल करना और उनसे राज्य छोड़ने की मांग और धमकियां दी जा रही हैं.”

रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि, मुख्यमंत्री ने बार-बार घोषणा की है कि उनकी सरकार “लव जिहाद” और जिहाद के अन्य सभी कथित रूपों के खिलाफ सबसे कड़ी कार्रवाई करेगी. मुख्यमंत्री ने भी गर्व से 3000 मज़ारों के तोड़े जाने को अपनी सरकार की उपलब्धि बताया है, जबकि उन्होंने जंगल और नजूल भूमि में अनाधिकृत हिंदू धार्मिक संरचनाओं के बारे में ज्यादातर चुप्पी साध रखी है.

रिपोर्ट में बताया गया है कि, “08.02.2024 की घटना से पहले, अच्छी खासी मुस्लिम आबादी वाले हल्द्वानी में हाल के महीनों में छोटी-छोटी सांप्रदायिक झड़पों और विवादों की एक श्रृंखला देखी गई है. भारतीय रेलवे के दावों को लेकर भी लंबे समय से विवाद चल रहा है कि मुस्लिम निवासियों की बड़ी बस्तियां रेलवे की भूमि पर आबाद है.”

इसके साथ ही रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि, “सुप्रीम कोर्ट के आदेश से प्रस्तावित बेदखली पर रोक लगा दी गई है. हाल ही में हलद्वानी में फिर से मुस्लिम-बहुल क्षेत्रों में शहरी भूमि के कानूनी स्वामित्व को लेकर विवाद उठे हैं. इन ज़मीनों पर कब्ज़ा करने वाले लोग ज़मीन के असली पट्टेदार होने का दावा करते हैं जबकि राज्य सरकार ने यह रुख अपनाया है कि ये नजूल (सरकारी) ज़मीनें हैं.”

फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट ने आगे निष्कर्ष निकाला कि तत्काल विवाद लगभग 6 एकड़ भूमि से संबंधित है, जिसके बारे में सोफिया मलिक द्वारा उचित रूप से पट्टे पर दिए जाने का दावा किया गया है. दूसरी ओर राज्य सरकार का दावा है कि यह नजूल भूमि है. इस ज़मीन के एक हिस्से में 20 साल पुरानी मस्जिद और मदरसा स्थित है. हाल के हफ़्तों में अन्य आवासीय भवनों को बेदखल करने के नोटिस दिए गए हैं और बिना किसी प्रतिरोध के विध्वंस कार्य किए गए हैं.

हालाँकि, जब 30.01.2024 को मस्जिद और मदरसे को खाली करने के लिए दो दिनों की अवधि के भीतर बेदखली का नोटिस दिया गया, तो समिति के सदस्य एकत्र हुए. इसके बाद शहर के उलेमाओं का एक प्रतिनिधिमंडल नगर आयुक्त हल्द्वानी से मिला और प्रस्तावित बेदखली और विध्वंस के खिलाफ गुहार लगाई.

हालाँकि, जब कोई समझौता नहीं हुआ तो 4.02.2024 को नगर निगम कार्यालय ने मस्जिद और मदरसे को सील कर दिया. 6.02.2024 को सोफिया मलिक, विवादित भूमि की असली पट्टेदार होने का दावा करती है और जिस ज़मीन पर मस्जिद और मदरसा स्थित हैं, ने नैनीताल में उच्च न्यायालय का रुख किया. मामले की सुनवाई 8.02.2024 को एकल पीठ द्वारा की गई थी और 14.02.2024 की तारीख तय करते हुए बिना किसी आदेश के इसे स्वीकार कर लिया गया था.

फैक्ट फाइंडिंग टीम ने कहा कि, स्वामित्व के प्रश्न को हल करने के लिए उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से संतुष्ट स्थानीय समुदाय के साथ मामला शांतिपूर्ण रहा, हालांकि 08.02.2024 की शाम को बिना किसी चेतावनी के पुलिस सुरक्षा के साथ नगरपालिका कार्यालय के अधिकारी मामला न्यायालय में विचाराधीन होने के बावजूद सील की गई मस्जिद और मदरसे को ध्वस्त करने के लिए बुलडोज़र और नगरपालिका कर्मचारियों की एक बड़ी टुकड़ी के साथ पहुंचे. स्थानीय लोगों और महिलाओं के एक समूह ने तत्काल नाराजगी जताई, जो विध्वंस को रोकने के लिए बुलडोज़र के सामने खड़े हो गए.”

रिपोर्ट के अनुसार, “हालाँकि, महिला और पुरुष दोनों पुलिसकर्मियों ने कथित तौर पर न केवल उन्हें बलपूर्वक हटाया बल्कि उन्हें पीटा और घसीटा भी. इससे स्थानीय समुदाय की भावनाएँ और भड़क गईं. उनकी पीड़ा तब और बढ़ गई जब उनकी यह दलील कि मस्जिद में कुरान और अन्य पवित्र संपत्तियों को विध्वंस से पहले इमाम को सम्मानपूर्वक सौंप दिया जाना चाहिए, को भी खारिज कर दिया गया. एक बार जब तोड़फोड़ शुरू हुई तो समुदाय के कुछ सदस्यों ने पुलिस पर पथराव किया. कुछ नगर निगम कर्मी और घटना की लाइव रिपोर्टिंग कर रहे प्रेसकर्मी भी कथित तौर पर घायल हुए हैं. इस बात के भी वीडियो सबूत हैं कि पुलिसवालों ने भीड़ पर व्यापक पथराव भी किया.”

जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि, “जैसे-जैसे हिंसा तेजी से बढ़ती गई, भीड़ ने पुलिस स्टेशन के पास खड़े वाहनों में आग लगा दी और पुलिस स्टेशन के कुछ हिस्सों को भी आग के हवाले कर दिया गया. पुलिस ने फायरिंग की. यह ध्यान दिया जा सकता है कि भीड़ नियंत्रण प्रोटोकॉल में गोलीबारी से पहले आंसू गैस के गोले और पानी की बौछार जैसे बल, कम घातक उपयोग का सहारा लेने की आवश्यकता होती है. इसको लेकर भी सवाल हैं कि पुलिस ने कब गोलीबारी शुरू की और कब देखते ही गोली मारने के औपचारिक आदेश दिए गए. पुलिस गोलीबारी के परिणामस्वरूप कई लोग घायल हो गए और कथित तौर पर छह लोग मारे गए.”

कई प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, सैकड़ों राउंड गोलीबारी की गई और स्थानीय लोगों का मानना ​​है कि घायल और मारे गए लोगों की संख्या आधिकारिक दावों से काफी अधिक हो सकती है, हालांकि टीम के सदस्यों ने कहा कि वे इसकी पुष्टि करने में असमर्थ हैं क्योंकि वे अंदर नहीं जा सके थे. प्रभावित क्षेत्रों और संबंधित अधिकारियों से मिलें।

8.02.2024 को 9:00 बजे कर्फ्यू लगाया गया और जब टीम ने 14 फरवरी, 2024 को दौरा किया तो यह छह दिन बाद भी जारी रहा. इस अवधि के कर्फ्यू, विशेष रूप से कम आय वाले दैनिक वेतन भोगियों की एक बड़ी संख्या वाली बस्ती में, भारी कठिनाइयों और कष्टों का कारण बन रहा है.

फैक्ट फाइंडिंग टीम का मानना ​​है कि जिला प्रशासन द्वारा अधिक व्यापक राहत दी जानी चाहिए थी और विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के लिए समय-समय पर छूट की व्यवस्था की जानी चाहिए थी.

अंतरिम रिपोर्ट ने निष्कर्ष निकाला, “नागरिक समाज के वरिष्ठ सदस्य और प्रभावित क्षेत्रों के लोग, जिनसे हम टेलीफोन पर संपर्क करने में सक्षम थे, जिनमें स्थानीय पत्रकार भी शामिल थे, ने बताया कि पुलिस ने तलाशी के लिए बड़े पैमाने पर अनुमानित 300 घरों में प्रवेश किया, लेकिन उन्होंने कथित तौर पर महिलाओं सहित लोगों की पिटाई की और बच्चों तथा घरों के भीतर संपत्तियों और बाहर खड़े वाहनों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुँचाया.”

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि, “कथित तौर पर बड़ी संख्या में युवकों, कुछ महिलाओं और किशोरों को भी हिरासत में लेकर पीटा गया और पूछताछ के लिए अज्ञात स्थानों पर ले जाया गया जिससे पूरा इलाका भय और दहशत में डूबा हुआ है. यह भय इंटरनेट शटडाउन के कारण और भी बढ़ गया है, जो टीम के दौरे के दिन तक भी जारी रहा. निरंतर कर्फ्यू के साथ-साथ निवासियों को अपने डर, चिंताओं, बर्बरता और मारपीट की घटनाएं जैसी शिकायतों को भेजने और रिपोर्ट करने की भी अनुमति नहीं दी है.”

- Advertisement -
- Advertisement -

Stay Connected

16,985FansLike
2,458FollowersFollow
61,453SubscribersSubscribe

Must Read

फिलिस्तीन के समर्थन में पोस्ट लाइक करने पर स्कूल ने मुस्लिम प्रिंसिपल से मांगा इस्तीफ़ा

- अनवारुल हक़ बेग नई दिल्ली | मुंबई के घाटकोपर इलाके में स्थित प्रतिष्ठित सोमैया स्कूल की बेहद...
- Advertisement -

लोकसभा चुनाव-2024 : क्या कांग्रेस के घोषणापत्र से परेशान हैं भाजपा, मोदी और भागवत ?

-सैय्यद ख़लीक अहमद नई दिल्ली | यह पहली बार है जब कांग्रेस ने अपना चुनावी एजेंडा तय किया है...

अगर भाजपा का पिछले दस साल का शासन ट्रेलर था तो अब क्या होगा?

-राम पुनियानी यदि प्रोपेगेंडे की बात की जाए तो हमारे प्रधानमंत्री का मुकाबला कम ही नेता कर सकते हैं।...

ईरानी नेता अयातुल्लाह ख़ुमैनी को सिलेबस में ‘दुनिया के बुरे लोगों’ में शामिल करने पर विवाद

इंडिया टुमारो नई दिल्ली | जम्मू कश्मीर में ईरानी नेता अयातुल्लाह ख़ुमैनी को एक पाठयपुस्तक में दुनिया के सबसे...

Related News

फिलिस्तीन के समर्थन में पोस्ट लाइक करने पर स्कूल ने मुस्लिम प्रिंसिपल से मांगा इस्तीफ़ा

- अनवारुल हक़ बेग नई दिल्ली | मुंबई के घाटकोपर इलाके में स्थित प्रतिष्ठित सोमैया स्कूल की बेहद...

लोकसभा चुनाव-2024 : क्या कांग्रेस के घोषणापत्र से परेशान हैं भाजपा, मोदी और भागवत ?

-सैय्यद ख़लीक अहमद नई दिल्ली | यह पहली बार है जब कांग्रेस ने अपना चुनावी एजेंडा तय किया है...

अगर भाजपा का पिछले दस साल का शासन ट्रेलर था तो अब क्या होगा?

-राम पुनियानी यदि प्रोपेगेंडे की बात की जाए तो हमारे प्रधानमंत्री का मुकाबला कम ही नेता कर सकते हैं।...

ईरानी नेता अयातुल्लाह ख़ुमैनी को सिलेबस में ‘दुनिया के बुरे लोगों’ में शामिल करने पर विवाद

इंडिया टुमारो नई दिल्ली | जम्मू कश्मीर में ईरानी नेता अयातुल्लाह ख़ुमैनी को एक पाठयपुस्तक में दुनिया के सबसे...

राजस्थान: कांग्रेस ने भाजपा के ख़िलाफ चुनाव आयोग में की 21 शिकायतें, नहीं हुई कोई कार्रवाई

-रहीम ख़ान जयपुर | राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते...
- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here