–मसीहुज़्ज़मा अंसारी
नई दिल्ली | कर्नाटक के भटकल के रहने वाले इब्राहिम फहीम ने सऊदी अरब के मक्का में आयोजित हुए अन्तर्राष्ट्रीय क़ुरान प्रतियोगिता में दूसरा स्थान प्राप्त किया है और भटकल, कर्नाटक सहित देशभर को गौरवान्वित किया है.
पवित्र कुरान को याद करने, पढ़ने और व्याख्या करने के 43वीं किंग अब्दुलअज़ीज़ अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता की पांचवीं श्रेणी में इब्राहीम ने दूसरा स्थान हासिल किया.
इंडिया टुमारो से बात करते हुए इब्राहीम फहीम ने कहा, “मैं इस पुरस्कार से बहुत उत्साहित हूं, इस कामयाबी के लिए अल्लाह का शुक्र अदा करता हूं और अगली प्रतियोगिता की तैयारी कर रहा हूँ.”
यह अंतर्राष्ट्रीय क़ुरान प्रतियोगिता 25 अगस्त से 6 सितम्बर तक मक्का में चली जिसमें 117 देशों से कुल 166 प्रतिभागी शामिल हुए थे. यह प्रतियोगिता सऊदी अरब के मक्का में आयोजित हुई थी, इब्राहीम ने इस प्रतियोगिता में दूसरा स्थान प्राप्त किया है.
17 वर्षीय इब्राहीम फहीम अरबी के कुशल वक्ता हैं और क़ुरान के हाफ़िज़ (कुरआन कंठस्त है) हैं. चूंकि वह अरबी समझते हैं, उन्होंने कहा कि, कुरान शांति और मानवता का संदेश देता है और समाज के सभी लोगों को मिलकर रहने की शिक्षा देता है.
उन्होंने कहा कि, यदि कुरआन को समझा जाए तो हमें पता चलता है कि यह सभी मानवजाति के उपकार के लिए है और यह किसी मज़हब की किताब मात्र नहीं है बल्कि यह सभी इंसानों के लिए मार्गदर्शन है.
इब्राहीम इस से पहले भी दुबई के राष्ट्रीय क़ुरान प्रतियोगिता में भाग ले चुके हैं और उन्होंने इसमें टॉप किया और प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया था. दुबई के एक और भाषण प्रतियोगिता में भाग लेकर इब्राहीम पहला स्थान प्राप्त कर चुके हैं.
इंडिया टुमारो को फोन पर बात करते हुए इब्राहीम ने बताया, “मैं कर्नाटक के भटकल का रहने वाला हूं, मेरा जन्म दुबई में हुआ, पिता की वहीं नौकरी थी इसलिए मेरा परिवार वहीं रहता था. मेरी प्रारंभिक शिक्षा दुबई में ही हुई है.”
इब्राहीम ने बताया, “मैं क्लास 6 तक दुबई में पढ़ा, फिर कर्नाटक के भटकल में 2018 में परिवार के साथ शिफ्ट हुआ, क्लास 6 से 10 तक भटकल के नवरोज़ इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ाई की. भटकल में क़ुरान हिफ्ज़ किया. हाईस्कूल पास करने के बाद 2020 में बनारस के मदरसा जामिया सल्फिया में प्रवेश लिया और वहां आलिमियत पूरी कर फ़ज़ीलत प्रथम वर्ष में हैं.”
इब्राहीम फहीम भटकल के रहने वाले हैं, उनके 2 भाई और 3 बहन हैं. इब्राहीम अपने भाई बहनों में सबसे बड़े हैं. इब्राहीम के पिता दुबई में वाटर प्योरीफायर कंपनी में काम करते हैं.
इस सवाल पर कि भविष्य में क्या बनना चाहेंगे, इब्राहीम ने कहा, “मैं भविष्य में एक इस्लामी विद्वान बनना चाहता हूं. इस्लामी विचारों, इस्लामी शिक्षाओं के द्वारा प्रेम, मानवता और शांति के लिए काम करना चाहता हूं, जिसका कुरान में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया और ऐसा करने का हमें आदेश दिया गया है.”
मदरसा जामिया सल्फिया, बनारस के टीचर मौलाना असद आज़मी जो तफ़सीर और साहित्य पढ़ाते हैं, ने इंडिया टुमारो को बताया कि सऊदी अरब के मक्का की ग्रैंड मस्जिद में आयोजित इस क़ुरान प्रतियोगिता में सभी पांच श्रेणियों में 117 देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले 166 प्रतियोगी शामिल हुए, जिनकी कुल पुरस्कार राशि SAR4,000,000 थी.
उन्होंने बताया कि, “इब्राहीम बहुत ज़हीन छात्र है, कर्नाटक के भटकल के रहने वाले हैं और पिछले 3 साल से जामिया सल्फ़िया, बनारस में पढ़ रहे हैं. वह बीए (कुल्लिय-तुश्शरिया) प्रथम वर्ष के छात्र हैं.”
43वीं किंग अब्दुलअज़ीज़ अंतर्राष्ट्रीय क़ुरान प्रतियोगिता में पुरस्कार पाने से पहले इब्राहिम ने जुलाई 2016 में वैश्विक मंच पर अपनी उल्लेखनीय प्रतिभा का प्रदर्शन किया.
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में आयोजित प्रतियोगिता में इब्राहिम को “राष्ट्र के उपदेशक” की प्रतिष्ठित उपाधि से भी सम्मानित किया गया था.