इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | उत्तराखंड वक्फ बोर्ड में पंजीकृत 117 मदरसों के छात्रों को अपग्रेडेशन के नाम पर संस्कृत पढ़ाई जाएगी और वहां एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू किया जाएगा. इसकी घोषणा 11 सितंबर 2023 को उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने की थी.
2011 की जनगणना के अनुसार, उत्तराखंड में मुस्लिम आबादी कुल 1.01 करोड़ में से 14.07 लाख (13.95 प्रतिशत) है.
बोर्ड अध्यक्ष की ओर से इसका कोई कारण तो नहीं बताया गया लेकिन उन्होंने यह घोषणा करते हुए कहा कि उत्तराखंड देवभूमि है. मदरसों में संस्कृत लागू करने का यह एक अजीब कारण बताया गया है.
कई लोग इस फैसले को मदरसा छात्रों पर अतिरिक्त बोझ और संस्कृत भाषा को थोपे जाने के रूप में देख रहे हैं. गौरतलब है कि इससे पहले उत्तराखंड में रेलवे स्टेशन पर उर्दू में लिखे नामों को हटाकर संस्कृत में लिख दिया गया था.
उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शम्स ने दावा किया कि अब मुस्लिम समुदाय के लोग भी बदलाव चाहते हैं.
एक वेबसाइट ने दावा किया है कि एक मुस्लिम लड़की रजिया सुल्ताना ने संस्कृत में पीएचडी की है और वह कुरान का संस्कृत में अनुवाद कर रही है. रजिया को वक्फ बोर्ड की राज्य स्तरीय शिक्षा समिति में सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा.
द इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, शम्स ने कहा कि पाठ्यक्रम वैज्ञानिक शिक्षा और इस्लामी अध्ययन का एक मिश्रण होगा और छात्र अंग्रेजी के साथ-साथ संस्कृत और अरबी दोनों सीख सकेंगे.
अखबार के मुताबिक, शम्स ने पिछले साल घोषणा की थी कि वक्फ बोर्ड के तहत आने वाले सभी मदरसों में अन्य स्कूलों की तरह ही एक समान ड्रेस कोड होगा और कक्षाएं सुबह 8 बजे से दोपहर 2 बजे तक चलेंगी.
उन्होंने यह भी कहा था कि उत्तराखंड सरकार राज्य के सभी मदरसों के सर्वेक्षण के लिए एक समिति बनाएगी.