–समी अहमद
नई दिल्ली | देश के सबसे छोटे केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप को एक और नए विवाद का सामना करना पड़ रहा है.
इससे पहले, खबरें चर्चा में थी कि लक्षद्वीप के प्रशासक और गुजराती राजनेता प्रफुल्ल खोदाभाई पटेल द्वारा बैल, बछड़ों और गायों के वध पर प्रतिबंध लगाने और “विकास” के लिए भूमि अधिग्रहण करने के आदेश जारी किए गए हैं.
लक्षद्वीप निवासियों ने इसका विरोध किया था क्योंकि उन्हें लगा कि यह आदेश सरकारी ज़मीन कॉर्पोरेट घरानों को आवंटित करने के लिए दिया जा रहा है.
द्वीप की 90 प्रतिशत से अधिक आबादी मुसलमानों की है.
अब यह द्वीप एक और नए विवाद में फंस गया है. इस बार विवाद सरकारी स्कूलों में यूनिफॉर्म लागू करने को लेकर है.
यहां के स्थानीय निवासियों ने 11 अगस्त को स्कूल यूनिफॉर्म के नए आदेश के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया क्योंकि उन्हें संदेह है कि यूनिफार्म लागू करने का यह आदेश ‘हिजाब’ पर प्रतिबंध लगाने के लिए दिया गया है. जैसा कि कर्नाटक में पिछली भाजपा सरकार द्वारा किया गया था.
कांग्रेस और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी जैसे राजनीतिक दल इसके खिलाफ लोकतांत्रिक आंदोलन आयोजित करने की योजना बना रहे हैं. स्कूली छात्र कक्षाओं का बहिष्कार भी कर सकते हैं.
10 अगस्त को जारी स्कूल यूनिफॉर्म से संबंधित सर्कुलर में स्कूल अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि छात्र निर्धारित यूनिफॉर्म के अलावा अन्य कपड़े न पहनें. इसका सीधा सीधा मतलब होता है कि अगर यूनिफॉर्म में हिजाब शामिल नहीं हैं तो छात्राएं इसे नहीं पहन सकेंगी. यह आदेश प्रभावी रूप से हिजाब पहनने पर प्रतिबंध लगाता है.
यह आदेश केंद्र शासित प्रदेश के शिक्षा निदेशक राकेश दहिया द्वारा जारी किया गया है.
आदेश में कहा गया है कि, “सभी प्रधानाचार्यों और स्कूलों के प्रमुखों को निर्देश दिया जाता है कि प्रत्येक छात्र निर्धारित ड्रेस में ही स्कूल में उपस्थित हो, जिससे न केवल एकरूपता, एकता और भाईचारे की भावना सुनिश्चित होगी बल्कि छात्रों में अनुशासन भी पैदा होगा. इसलिए प्रधानाचार्यों और स्कूलों के प्रमुखों को निर्देश दिया जाता है कि वे सभी कार्य दिवसों पर अनुमोदित समान पैटर्न का सख्ती से पालन करें. आदेश का अनुपालन न करने को गंभीरता से लिया जाएगा.”
शिक्षा विभाग द्वारा सभी विद्यार्थियों के लिए निर्धारित यूनिफार्म में टाई, बेल्ट, मोजे एवं जूते हैं शामिल हैं.
कक्षा पांच तक के लड़कों को हाफ-पैंट (चेक डिज़ाइन) और आधी आस्तीन वाली आसमानी नीली रंग की शर्ट पहननी होगी, जबकि कक्षा छः से कक्षा 12 तक के वरिष्ठों छात्रों को नेवी ब्लू फुल पैंट और आसमानी नीली हाफ आस्तीन की शर्ट पहनकर स्कूल आने के लिए कहा गया है.
कक्षा 5 वीं तक की लड़कियों को चेक डिज़ाइन स्कर्ट और आधी आस्तीन वाली आसमानी शर्ट पहननी होगी और छठी से बारहवीं कक्षा तक की छात्राओं को नेवी ब्लू स्कर्ट और आसमानी नीली आधी आस्तीन की शर्ट पहननी होगी.
कांग्रेस और नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी ने इस यूनिफार्म का विरोध करते हुए कहा है कि यह लक्षद्वीप की संस्कृति पर हमला है.
लक्षद्वीप से एनसीपी सांसद मोहम्मद फैज़ल ने एक फेसबुक पोस्ट में द्वीप के लोगों, विशेषकर अभिभावक समुदाय से स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के प्रशासन के किसी भी कदम का विरोध करने का आग्रह किया.
सांसद फैज़ल ने कहा कि आधिकारिक पत्र में हिजाब के बारे में कुछ नहीं कहा गया है, लेकिन इसमें प्रिंसिपल और स्कूलों के प्रमुखों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि छात्र निर्धारित ड्रेस के अलावा अन्य चीज़ें न पहनें.
फैज़ल ने कहा कि, “हमें संदेह है कि यह लड़कियों को हिजाब पहनने से रोकने के लिए उठाया गया एक कदम है. ताकि, छात्राएं डर के कारण हिजाब नहीं पहनें. इसलिए, हम मांग करते हैं कि प्रशासन को आदेश वापस लेना चाहिए.”
उन्होंने आरोप लगाया कि प्रत्येक कानून इस तरह से लागू किया जा रहा है कि इस से उन रीति-रिवाजों, धार्मिक विश्वासों, खान-पान की आदतों और पहनावे के पैटर्न जड़ से खत्म हो जाए जिनका पालन द्वीपवासी सदियों से करते आ रहे हैं.
सर्कुलर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित करने वाली कांग्रेस पार्टी के युवा नेता अली अकबर ने कहा कि हालांकि स्कूल अधिकारियों ने शुक्रवार को हिजाब पहनने को लेकर छात्राओं से सवाल नहीं किया, लेकिन यह आदेश अगले सप्ताह से लागू किया जा सकता है.
उन्होंने कहा कि “हम बुधवार को खंड विकास कार्यालयों और शिक्षा विभाग कार्यालयों तक एक मार्च का आयोजन करेंगे.”
कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद मुहम्मद हमदुल्ला सईद ने आरोप लगाया कि नया सर्कुलर क्षेत्र की आंतरिक संस्कृति और जीवनशैली पर हमला है. उन्होंने आरोप लगाया, “केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार और लक्षद्वीप प्रशासन लगातार जनविरोधी नीतियों को लागू करने का प्रयास कर रहा था जो द्वीपों की संस्कृति और लोकाचार के पूरी तरह से खिलाफ थे.”
श्री सईद ने कहा, “हम ऐसे किसी भी निर्देश की अनुमति नहीं देंगे जो लक्षद्वीप की संस्कृति और मौजूदा जीवनशैली को नष्ट कर दे. इस तरह के आरोप लोकतांत्रिक व्यवस्था में अवांछित तनाव और मुद्दे पैदा करने के प्रयासों का हिस्सा हैं.
द्वीप के निवासी उस परिपत्र का भी विरोध कर रहे हैं जो द्वीप पर शराब की बिक्री और खपत की अनुमति देने की मांग करता है.
गौरतलब है कि 2021 में सीएमपी सांसद इलामारम करीम ने तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को प्रशासक पद से हटाने के लिए पत्र लिखा था. श्री पटेल पर द्वीप की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान को नष्ट करने का आरोप लगाया गया था.
पटेल पर पशुधन संरक्षण के नाम पर गोमांस पर प्रतिबंध लगाने का आरोप लगाया गया था.
श्री करीम नई शराब नीति का भी विरोध करते रहे हैं. उनका कहना है कि, पांच सितारा होटलों और कुछ पर्यटक स्थलों में शराब बेचने की अनुमति दी जा सकती है लेकिन पूरे लक्षद्वीप में शराब की बिक्री की अनुमति देना लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करना है.