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Saturday, May 4, 2024
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ज्ञानवापी मस्जिद पर योगी आदित्यनाथ का विवादित बयान क्या कोर्ट के फैसले को प्रभावित करेगा?

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ | यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद को मस्जिद मानने से इंकार करते हुए कहा कि, ज्ञानवापी को यदि मस्जिद कहेंगे तो विवाद होगा, उसे ज्ञानवापी ही बोलना चाहिए। सीएम योगी आदित्यनाथ ने यह बात एक न्यूज़ एजेंसी को दिए गए इंटरव्यू में कही।

योगी आदित्यनाथ ने ज्ञानवापी को लेकर कहा है कि, “ज्ञानवापी को ज्ञानवापी ही बोलना चाहिए। यदि वह मस्जिद है, तो वहां त्रिशूल कैसे बने हैं, ज्योतिर्लिंग और देव प्रतिमा क्यों हैं, उसकी दीवारें चिल्ला -चिल्ला कर कह रही हैं यह मस्जिद नहीं है।”

योगी आदित्यनाथ ने अपनी बात रखते हुए कहा है कि, “यह एक ऐतिहासिक गलती है। मुस्लिम समाज को खुद इसके समाधान की पहल करनी चाहिए। ज्ञानवापी में भौतिक साक्ष्य हैं, शास्त्रीय और पुरातात्विक प्रमाण हैं, तो इस पर न्यायालय से निर्णय होना चाहिए।”

उन्होंने आगे कहा है कि, “इतिहास को तोड़ -मरोड़ कर पेश किया जा सकता है, लेकिन साक्ष्य को तोड़-मरोड़ नहीं सकते हैं। भगवान ने जिसे दृष्टि दी है, वह देखे कि मस्जिद के अंदर त्रिशूल हमने तो नहीं रखा है। लोग प्रमाण को भी नकार रहे हैं।”

योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर यह बात ऐसे समय कही है, जब ज्ञानवापी मस्जिद के वैज्ञानिक सर्वेक्षण को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में मामला है। योगी आदित्यनाथ एक संवैधानिक पद पर बैठे हुए हैं और ज्ञानवापी मस्जिद का प्रकरण हाईकोर्ट में है, इसलिए योगी आदित्यनाथ को बतौर मुख्यमंत्री इस पर इस तरह की बात नहीं करनी चाहिए।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा इंटरव्यू में वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर जो बात कही गई है, यह एक तरह से हाईकोर्ट पर दबाव बनाने और मुस्लिम पक्ष पर दबाव बनाए जाने का काम है। क्योंकि जब तक हाईकोर्ट इस मामले पर अपना फैसला नहीं सुनाता है, तब तक संवैधानिक पद पर बैठे हुए व्यक्ति को इस तरह की बात करने से बचना चाहिए। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संवैधानिक पद पर बैठे हुए हैं और वह इस नाते पूरे प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं, न कि भाजपा के मुख्यमंत्री हैं या हिंदू पक्ष के मुख्यमंत्री हैं।

योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद पर विवादित बयान देकर न केवल हाईकोर्ट पर दबाव बनाने का काम किया है बल्कि उन्होंने मुस्लिम पक्ष पर भी दबाव बनाए जाने का प्रयास किया है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विवादित बयान देकर हिंदुओं को भी खुश करते हुए अपने साथ बनाए रखने की बड़ी चाल चली है। आगामी लोकसभा चुनाव करीब है और भाजपा की हालत खराब है। भाजपा के प्रति जनता में गहरी नाराजगी है और भाजपा इसको बखूबी समझ रही है। इसलिए योगी आदित्यनाथ ने हिन्दुओं को खुश करने के लिए सधे कदमों से रणनीति के तहत इस तरह की बात कही है, जिससे हिंदू भाजपा के साथ बने रहें और वह आसानी से लोकसभा चुनाव में हिंदू वोटों का धुर्वीकरण कर उनके वोट हासिल कर सके।

भाजपा आलाकमान के इशारे पर ही योगी आदित्यनाथ ने इस तरह का विवादित बयान दिया है। योगी आदित्यनाथ संवैधानिक पद पर बैठे हुए हैं और हाईकोर्ट में चल रहे मामले पर विवादित बयान देते हैं तो ऐसी स्थिति में हाईकोर्ट उनके खिलाफ एक्शन ले सकता है। इसके बावजूद उन्होंने संवैधानिक पद पर बैठकर विवादित बयान दिया है।

यह तभी संभव है, जब उनको भाजपा आलाकमान का इशारा मिला है। भाजपा के पास इस वक्त कोई चुनावी मुद्दा नहीं है, इसलिए भाजपा ने हिंदू वोटों का धुर्वीकरण करने के लिए योगी आदित्यनाथ के जरिए विवादित बयान दिलवाने का काम किया है।

भाजपा वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद मामले के जरिए हिंदू वोटों का धुर्वीकरण करने का सपना देख रही है जिससे लोकसभा चुनाव में उसे हिंदू वोटों का धुर्वीकरण हो जाए और भाजपा को एक बार फिर से केंद्र सरकार में बैठने का मौका मिल जाए।

योगी आदित्यनाथ के विवादित बयान दिये जाने के बाद इस मामले पर राजनीतिक गहमागहमी मची हुई है। सपा के लोकसभा में नेता व सांसद एसटी हसन ने कहा है कि, मुख्यमंत्री को इस तरह का बयान नहीं देना चाहिए।

एसटी हसन ने कहा है कि, “मस्जिद में 350 साल से नमाज हो रही है। अब उसे मस्जिद न कहें तो क्या कहें? अभी इस मामले की जांच चल रही है, अब इसके बाद ही पता चलेगा कि वो क्या है। अगर संसद में त्रिशूल बना दें तो क्या वह संसद नहीं, मंदिर हो जाएगा?

योगी आदित्यनाथ के विवादित बयान पर कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद प्रमोद तिवारी ने अपनी राय कुछ इस प्रकार से व्यक्त की है।

उन्होंने कहा है कि, “मामला कोर्ट में लंबित है। संवैधानिक पद पर बैठे हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस मामले पर नहीं बोलना चाहिए। अदालत के फैसले का इंतजार करना चाहिए। “

समाजवादी पार्टी ने योगी आदित्यनाथ के विवादित बयान के बाद अपनी पार्टी की लखनऊ में आपात बैठक बुलाई है और भाजपा के ध्रुवीकरण करने की चाल को काटने की चर्चा कर रही है। समाजवादी पार्टी को यह लगता है कि योगी आदित्यनाथ का विवादित बयान लोकसभा चुनाव में भाजपा की हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण करने की सोची -समझी चाल है।

इसी बीच हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने योगी आदित्यनाथ के विवादित बयान के बाद अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। असद्दुदीन ओवैसी ने कहा है कि, “अगर योगी का बस चले तो वह बुलडोजर चलवा दें।”

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के प्रकरण पर विवादित बयान देकर इलाहाबाद हाईकोर्ट पर दबाव बनाने का काम किया है। इसलिए हाईकोर्ट को चाहिए कि वह संवैधानिक पद पर बैठे हुए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ एक्शन ले जिससे हाईकोर्ट जैसे न्यायिक संस्था पर दबाव बनाने की कोई हिम्मत न करे।

न्यायालय पर लोगों की बड़ी आस्था और विश्वास होता है, इसलिए न्यायालय की गरिमा के खिलाफ बात करने वाले के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए, चाहे वह कोई भी हो।

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