इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | गुरुवार को उच्चतम न्यायालय ने फरवरी 2020 में दिल्ली दंगों के पीछे एक कथित “बड़ी साजिश” से जुड़े मामले में जेएनयू के पूर्व छात्र और सामाजिक कार्यकर्ता उमर खालिद द्वारा दायर ज़मानत याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा है.
इससे पहले पिछले साल अक्टूबर में दिल्ली हाई कोर्ट ने उमर की ज़मानत याचिका ख़ारिज कर दी थी.
ग़ौरतलब है कि 23 फरवरी से 26 फरवरी 2020 के बीच नागरिकता संशोधन अधिनियम के समर्थकों और उत्तर पूर्वी दिल्ली में इसका विरोध करने वालों के बीच हुई झड़पें हुई थीं. इसके बाद दंगे भड़क गए जिसमें 53 लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हुए थे. मारे गए लोगों में ज्यादातर मुसलमान थे.
दिल्ली पुलिस का दावा है कि हिंसा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को बदनाम करने की एक बड़ी साजिश का हिस्सा थी और नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित करने वालों द्वारा रची गई थी.
उमर ख़ालिद को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम ( UAPA) शस्त्र अधिनियम और संपत्ति क्षति की रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया था.
उमर पिछले ढाई साल से ज़्यादा समय से जेल में बंद हैं.
न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और हिमा कोहली की खंडपीठ ने दिल्ली पुलिस से ज़मानत याचिका पर जवाब मांगा और मामले को सुप्रीम कोर्ट की गर्मियों की छुट्टी के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है.
अदालती मामलों की कवरेज करने वाली वेबसाइट बार एंड बेंच के अनुसार, अदालत ने खालिद को तत्काल सुनवाई के लिए “अवकाश पीठ” के पास जाने की अनुमति दी है.
हालांकि, उनके वकील वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि इस मामले की सुनवाई गर्मियों की छुट्टी के बाद की जा सकती है, सुप्रीम कोर्ट में गर्मीयों की छुट्टी 22 मई से शुरू होगी और 2 जुलाई को खत्म होगी.