अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों को गुजरात सरकार द्वारा रिहा करने के खिलाफ चुनौती देने वाली कई याचिकाओं की सुनवाई करते हुए केंद्र और गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया है। इस मामले की सुनवाई 18 अप्रैल को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हत्या के मामले कई दोषी जेलों में सड़ रहे हैं, क्या इस मामले में समान मानक लागू किए गए? इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो के मामले की सुनवाई के लिए 18 अप्रैल की तारीख मुकर्रर करते हुए केंद्र सरकार और गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया है।
गुजरात के गोधरा में 2002 में हुए दंगों के दौरान बिलकिस बानो से सामूहिक दुष्कर्म करने और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या करने वाले 11 दोषियों को गुजरात सरकार द्वारा समय से पूर्व रिहा कर दिए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाओं को दाखिल किया गया था।
इस मामले में दाखिल सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में 27 मार्च 2023 को हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए बिलकिस बानो के मामले को भयावह बताया।
इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस एम जोसेफ और जस्टिस बी वी नागरत्ना की पीठ ने कहा कि, “बिलकिस बानो का मामला भयावह है। हत्या के कई मामलों में दोषी सालों से जेलों में सड़ रहे हैं, क्या इस मामले में समान मानक लागू किए गए?”
जस्टिस एम जोसेफ और जस्टिस बी वी नागरत्ना की पीठ ने गुजरात सरकार द्वारा रिहा किए गए 11 दोषियों को दी गई छूट को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई करते हुए कहा कि, “अदालत भावनाओं से अभिभूत नहीं होगी और केवल कानून के आधार पर मामले का फैसला करेगी।”
इसके साथ ही साथ सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने बिलकिस बानो की ओर से दायर याचिका समेत सभी याचिकाओं की सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर दिया।
इस मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 अप्रैल की तारीख मुकर्रर कर दी। यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार और केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय को दोषियों को छूट देने से जुड़ी प्रासंगिक फाइलों के साथ तैयार रहने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए शुरुआत में कहा कि, “अदालत मुद्दों के पूरे दायरे को जानना चाहेगी, जो उस ढांचे को जानने में मदद करेगा, जिसके भीतर इस पर विचार किया जाना है।”
इस पर बिलकिस बानो के वकील ने पीठ से कहा कि, “महाराष्ट्र को(जहां ट्रायल हुआ था) दोषियों की छूट के बारे में फैसला करना चाहिए, न कि उस राज्य को जहां अपराध किया गया था।”
सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई के दौरान 1 दोषी पर पैरोल के दौरान छेड़छाड़ करने का मामला दर्ज होने की बात भी सामने आई। बिलकिस बानो के मामले से संबंधित याचिकाकर्ताओं में से एक का प्रतिनिधित्व करने वाली वकील वृंदा ग्रोवर ने तर्क देते हुए कहा कि, “ट्रायल जज ने कहा कि कोई छूट नहीं दी जानी चाहिए।”
वृंदा ग्रोवर ने पीठ से कहा कि, “पैरोल पर रहते हुए उनमें से एक के खिलाफ एक महिला के साथ छेड़छाड़ का एक और मामला दर्ज किया गया था और छूट देते समय इसे पूरी तरह से नज़र अंदाज़ कर दिया गया था।”
इस मामले की सुनवाई के समय एक दोषी की ओर से पेश हुए वकील ऋषि मल्होत्रा ने तर्क दिया कि शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि गुजरात सरकार 1992 की नीति के आधार पर छूट याचिकाओं पर फैसला कर सकती है। ऋषि मल्होत्रा के इस तर्क का वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और ए एम सिंघवी ने भारी विरोध किया।
बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों को गुजरात सरकार द्वारा छूट की आड़ लेकर छोड़ दिए जाने के मामले की अब सुप्रीम कोर्ट की पीठ द्वारा सुनवाई किए जाने से अब न्याय की उम्मीद जगी है।
सुप्रीम कोर्ट ने खुद इस मामले को भयावह बताया है। यह न्याय पाने की उम्मीद में आशा की एक नई किरण है, जो बिलकिस बानो के लिए एक उम्मीद लेकर आई है।