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Saturday, May 4, 2024
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हाथरस रेप-हत्या केस: एक को उम्रकैद, 3 आरोपी बरी, फैसले से असंतुष्ट पीड़ित पक्ष जाएगा हाईकोर्ट

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ | बहुचर्चित हाथरस मामले में विशेष न्यायालय ने 4 आरोपियों में से एक संदीप सिंह को दोषी ठहराया है और उसको आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई है। जबकि आरोपी लवकुश, रामू और रवि को बरी कर दिया है। अदालत के फैसले से पीड़ित पक्ष संतुष्ट नहीं है और उसने हाईकोर्ट जाने की बात कही है।

सीबीआई ने इस मामले की जांच की थी। सीबीआई ने जांच कर इस मामले की 2000 पन्नों की चार्जशीट अदालत में दाखिल की थी। सीबीआई ने इस मामले में 104 गवाह बनाए थे। लेकिन इस सबके बावजूद संदीप सिंह को उम्रकैद की सजा हुई और 3 अन्य आरोपी बरी हो गए।

2 मार्च 2023 को विशेष न्यायालय एससी /एसटी कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुनाया और इस मामले में आरोपी संदीप सिंह को दोषी पाया। अदालत ने संदीप सिंह को धारा 3/110 और 304 का दोषी करार दिया और उसको उम्रकैद (आजीवन कारावास) तथा 50 हज़ार रुपए जुर्माना की सजा सुनाई। अन्य 3 आरोपी लवकुश, रामू और रवि को बरी कर दिया।

अदालत ने इस मामले में मुख्य आरोपी संदीप सिंह को गैर इरादतन हत्या का दोषी माना। लेकिन इसी के साथ अदालत ने इस मामले में आरोपियों के ऊपर लगे गैंगरेप के चार्ज को हटा दिया। अदालत ने इस तरह आरोपियों को गैंगरेप के चार्ज से मुक्त कर दिया।

इस मामले में मृतक पीड़िता ने ख़ुद इन 4 आरोपियों पर गैंगरेप का आरोप लगाया था और यह मामला भी मृतक पीड़िता के बयान के आधार पर दर्ज हुआ था लेकिन अदालत ने अपने फैसले में गैंगरेप के मामले को खत्म कर दिया।

हाथरस में क्या हुआ था?

हाथरस में 14 सितंबर 2020 को एक दलित लड़की के साथ कुछ युवकों ने गैंगरेप किया था। इसके बाद उस लड़की की खराब हालत को देखते हुए उसके परिवार वालों ने उसको दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया था। इस घटना के करीब 15 दिन बाद 29 सितंबर को पीड़िता की मौत हो गई थी। इसके बाद पीड़ित परिवार की इच्छा के विरुद्ध पुलिस और प्रशासन ने 29 सितंबर 2020 की रात में ही लड़की का अंतिम संस्कार कर दिया था।

इसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ा था, क्योंकि पुलिस और प्रशासन ने रात में हिंदू धर्म के रीति-रिवाजों और मान्यताओं के विरुद्ध जाकर लड़की का अंतिम संस्कार कर उसके शव को जला दिया था। जबकि लड़की के परिवार वाले रीति-रिवाज से मृतक लड़की का अंतिम संस्कार करना चाहते थे, लेकिन पुलिस और प्रशासन ने उनकी एक भी नहीं सुनी।

इस घटना के बाद हाथरस के प्रशासन और पुलिस पर आरोपियों को बचाने का आरोप लगाया गया था। विपक्षी पार्टियों के नेताओं और मीडिया को हाथरस जाने से रोक दिया गया था। इस मामले को लेकर यूपी की योगी आदित्यनाथ की सरकार पर आरोपियों को बचाने का आरोप भी लगाया गया था।

इस घटना के मामले में योगी आदित्यनाथ की सरकार की काफी फजीहत हुई थी। तब कहीं जाकर योगी सरकार ने इसकी जांच के लिए एसआईटी गठित की थी और इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में किए जाने की बात कही थी। यही नहीं, बाद में इस मामले की जांच सीबीआई द्वारा करवाई गई थी।

इस मामले में पीड़ित परिवार से कोई मिलने न पाए, इसके लिए योगी आदित्यनाथ की सरकार ने ऐड़ी-चोटी का ज़ोर लगाया था। हाथरस के जिला प्रशासन और पुलिस ने विपक्षी पार्टियों के नेताओं और पत्रकारों को खास तौर पर हाथरस आने से रोकने का काफी प्रयास किया था। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को पीड़ित परिवार से पहली बार मिलने जाने नहीं दिया गया था। पुलिस ने उनके साथ धक्का मुक्की की थी।

प्रियंका गांधी के पीड़ितों के घर जाने पर पुलिस ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर लाठियां बरसाई थीं। यहां तक कि प्रियंका गांधी ने पुलिस की लाठियां अपने हाथ पर ले लिया था। रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी को पुलिस ने घेर कर मारा था। हाथरस मामले की रिपोर्टिंग करने गए पत्रकार सिद्दीक कप्पन को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया था और उनके ऊपर तमाम तरह के आरोप लगा कर उनको लंबे वक्त तक जेल में बंद कर रखा गया था। सिद्दीक कप्पन अभी कुछ समय पूर्व ही जेल से रिहा हुए हैं।

इस मामले में मृतक पीड़िता ने ख़ुद इन 4 आरोपियों के ऊपर गैंगरेप का आरोप लगाया था। यह केस भी मृतक पीड़िता के बयान के आधार पर दर्ज हुआ था, लेकिन अदालत ने अपने फैसले में गैंगरेप के मामले को एक झटके में खत्म कर दिया। अदालत द्वारा गैंगरेप के मामले को खत्म करने से अदालत के फैसले पर सवालिया निशान लगा है?

अदालत ने फैसले में क्या कहा ?

अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि, “जब 14 सितंबर को पीड़िता को अस्पताल में भर्ती कराया गया तो न तो उसने और न ही उसकी मां ने यौन उत्पीड़न की बात बताई थी। सेक्सुअल असॉल्ट की चर्चा पहली बार अस्पताल में एडमिट करने के एक सप्ताह बाद 22 सितंबर को हुई। मेडिकल साक्ष्यों से भी सेक्सुअल असॉल्ट साबित नहीं हो पाया है। मेडिकल साक्ष्यों में खून और वीर्य के सैंपल नहीं पाए गए।”

अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि, “मेडिकल साक्ष्य इशारा करते हैं कि पीड़िता को जब अस्पताल ले जाया गया था तो उस वक्त उसकी रीढ़ की हड्डी गर्दन के पास से चोटिल थी। गर्दन पर लिगेचर मार्क लगातार दिख रहा है, जिससे पता चलता है कि पीड़िता का गला दबाने की कोशिश की गई है, लेकिन इसी वजह से मौत नहीं हुई है। पीड़िता के शरीर पर मिले जख्म के निशान एक ही व्यक्ति द्वारा किए गए हैं। जख्मों से यह पता नहीं चलता है कि पीड़िता पर कई लोगों ने हमला किया है।”

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि, “पीड़िता के बयान में बदलाव दिखा है। पीड़िता ने जो बयान डॉक्टर को दिया है और जो स्टेटमेंट महिला कांस्टेबल को दिया है उसमें भिन्नता है। पीड़िता ने 14 सितंबर को मीडियाकर्मियों के सामने बयान दिया था और वीडियो रिकार्ड किया था, उसमें यौन उत्पीड़न का खुलासा नहीं किया गया था। 22 सितंबर को पुलिस द्वारा बयान दर्ज किए जाने तक पीड़िता द्वारा दूसरे सह आरोपियों का नाम नहीं लिया गया।”

अदालत ने यह सब बातें कहकर अपना फैसला सुनाया और संदीप सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई और 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। तथा अन्य 3 आरोपियों को बरी कर दिया।

फैसले से पीड़ित पक्ष असंतुष्ट

अदालत के फैसले से पीड़ित पक्ष संतुष्ट नहीं है और उसने इस फैसले के विरुद्ध हाईकोर्ट जाने की बात कही है। मृतक पीड़िता की भाभी ने कहा है कि, “हम इस फैसले से सहमत नहीं हैं। हम तब तक चुप नहीं बैठेंगे, जब तक सभी चारों आरोपियों को सज़ा नहीं मिलेगी। हमको चाहे हाईकोर्ट जाना पड़े या सुप्रीम कोर्ट, हम जाएंगे और दोषियों को सज़ा दिलवा कर रहेंगे। बिटिया की अस्थियां अभी रखी हुई हैं, जब दोषियों को सज़ा मिल जाएगी, तभी अस्थियों को विसर्जित किया जाएगा।”

मृतक पीड़िता के वकील महिपाल सिंह का कहना है कि, “हम अदालत के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं। हमारे साथ न्याय नहीं किया गया है। हम इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएंगे और हमको उम्मीद है कि हमें न्याय मिलेगा।”

हाथरस के बहुचर्चित मामले में फैसला आ गया, लेकिन न्याय आधा-अधूरा है। मृतक पीड़िता बेटी को न्याय नहीं मिला है। हाथरस मामले की खबर करने जाने वाले केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन के जेल में कटे ढाई साल वापस आएंगे? अगर मृतका बेटी के साथ गैंगरेप नहीं किया गया है, तो हाथरस का प्रशासन और पुलिस घटना के बाद हाथरस जाने वालों को क्यों रोंक रही थी?

मृतका बेटी का रात में हिंदू धर्म की परंपरा और मान्यता के खिलाफ दाह संस्कार क्यों किया गया और उसको रात में ही क्यों जलाया गया? यह ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब अदालती फैसले में छिप नहीं सकता है, यह एक न एक दिन सामने आएगा।

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