अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | भाजपा ने यूपी की सभी 80 लोकसभा सीटें जीतने की योजना बनाई है और इसके लिए वह लोकसभा चुनाव में बूथों पर 50 लाख कार्यकर्ताओं को तैनात करेगी।
देश में बदलते हुए राजनीतिक परिदृश्य में आज भाजपा केंद्र सरकार में अपनी पुनर्वापसी को लेकर आश्वस्त नहीं है। इसलिए उसने अब यूपी पर सारा ध्यान लगाने का फैसला लिया है। यूपी में 80 लोकसभा सीटें हैं। भाजपा यह मानकर चल रही है कि यदि यूपी में उसे सर्वाधिक लोकसभा सीटें मिल जाएं तो वह एक बार फिर से केंद्र की सत्ता हासिल कर सकती है। इसलिए उसने यूपी की सभी 80 लोकसभा सीटें जीतने का मंसूबा बनाया है।
भाजपा यह सोचकर सारा तानाबाना बुन रही है कि यदि वह सभी 80 लोकसभा सीटें जीतने का लक्ष्य बनाकर 2024 के लोकसभा चुनाव में चुनावी मैदान में उतरेगी तभी उसे 60 से 70 लोकसभा सीटें जीतने में कामयाबी हासिल होगी। इसीलिए उसने यूपी की सभी 80 लोकसभा सीटें जीतने की योजना बनाई है और इसके लिए वह बूथों पर 50 लाख कार्यकर्ताओं को तैनात करेगी।
आज यूपी में जहां विपक्षी दल अभी तक लोकसभा चुनाव में उतरने के लिए आपस में राजनीतिक दलों का कोई गठबंधन नहीं बना पाए हैं वहीं दूसरी ओर भाजपा ने लोकसभा चुनाव जीतने के लिए रणनीति बनाकर काम शुरू कर दिया है। इसी रणनीति/योजना के तहत भाजपा ने बूथ स्तर पर काम करने और अपने कार्यकर्ताओं को तैनात करने का फैसला लिया है। इसी फैसले के तहत भाजपा ने लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर काम शुरू कर दिया है।
इसके लिए भाजपा ने अभी से अपनी बूथ टीमों का गठन शुरू कर दिया है। भाजपा की प्रत्येक बूथ टीम में 11 सदस्य होंगे और यह सभी मतदान के दिन बूथों पर तैनात होंगे और भाजपा के पक्ष में अधिकाधिक मतदान कराने का काम करेंगे। बूथ टीम के प्रत्येक सदस्य को पार्टी के अलग-अलग कार्यक्रमों की भी बूथ स्तर की जिम्मेदारी दी जाएगी।
भाजपा के यह कार्यकर्ता भाजपा उम्मीदवार के पक्ष में अधिकतम मतदान कराने का काम करेंगे जिससे प्रत्येक बूथ पर अन्य राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों के मुकाबले भाजपा उम्मीदवार को अधिक वोट मिलें और भाजपा उम्मीदवार बूथ स्तर से लेकर अंतिम परिणाम तक जीतता रहे।
भाजपा यह मानकर चल रही है कि यदि उसका उम्मीदवार बूथ से जीत हासिल करना शुरू करेगा तो अंतिम चुनावी परिणाम तक वह हर हाल में चुनाव जीत जाएगा। इसीलिए भाजपा ने बूथ स्तर पर अपने कार्यकर्ताओं को तैनात करने का फैसला लिया है, जिससे भाजपा उम्मीदवार चुनाव जीतने में कामयाब हो जाएं।
मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान के बाद 5 जनवरी को प्रकाशित मतदाता सूची के अनुसार यूपी में 15,04,67,489 मतदाता हो गए हैं। यूपी में पहले एक मतदान केंद्र पर लगभग 1400 मतदाता मतदान करते थे। चुनाव आयोग ने अब प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या बढ़ाकर1500 कर दिया है। राज्य में पहले मतदान केंद्रों की संख्या 1.63 लाख से अधिक थी। कोरोना कॉल में एक मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या 1200 निर्धारित कर दी गई थी जिससे मतदान केंद्रों की संख्या बढ़कर 1.72 लाख हो गई थी।
अब प्रत्येक मतदान केंद्र पर मतदाताओं की संख्या 1500 कर दिए जाने से मतदान केंद्रों की संख्या 1,61,203 रह गई है। भाजपा ने मतदान केंद्रों की संख्या को ध्यान में रखते हुए 80 लोकसभा क्षेत्रों के 1,61,203 लाख बूथों पर 17,73,233 बूथ कमेटी के सदस्यों यानी भाजपा कार्यकर्ताओं को तैनात करेगी।
इसके अलावा भाजपा प्रत्येक बूथ पर 25 पन्ना प्रमुख भी तैनात करेगी यह सभी भी भाजपा कार्यकर्ता होंगे। मतदाता सूची के एक पन्ना में करीब 60 मतदाताओं के नाम होते हैं, इस लिहाज से प्रत्येक बूथ के लिए 20-25 पन्ना प्रमुख भी नियुक्त किए जाएंगे। यूपी में लगभग 32 लाख से अधिक पन्ना प्रमुख भाजपा तैनात करेगी।
पन्ना प्रमुख का काम यह होगा कि वह अपने पन्ने में शामिल मतदाताओं से बराबर संपर्क करेंगे, उनको संगठन की गतिविधियों की जानकारी देंगे और सरकार की उपलब्धियों की जानकारी देंगे। इसके साथ ही वह मतदाताओं के फीडबैक की जानकारी भाजपा को उपलब्ध कराएंगे। भाजपा जल्द से जल्द यूपी में बूथ स्तर पर कार्यकर्ताओं की बूथ टीमों और पन्ना प्रमुखों की तैनाती कर देना चाहती है इसलिए भाजपा में राज्य स्तर पर इस समय भाजपा बूथ कार्यकर्ताओं और पन्ना प्रमुखों का डाटा तैयार किया जा रहा है।
भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव में 80 में से 64 सीटें जीती थीं। 10 बसपा ,5 सपा और 1 सीट कांग्रेस को मिली थी। बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में राज्य में बसपा की स्थिति बहुत ही कमजोर है। पिछला 2019 का लोकसभा चुनाव बसपा सपा के साथ चुनावी तालमेल बिठा कर लड़ी थी और उसको 10 लोकसभा सीटें मिली थीं। अब बसपा का सपा से कोई तालमेल नहीं है।बसपा का राजनैतिक प्रभाव बसपा सुप्रीमो मायावती के भाजपा प्रेम के कारण हुआ है।
ऐसी स्थिति में भाजपा इसीका फायदा उठाना चाहती है। भाजपा बसपा की जीती हुई लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करना चाहती है और वह इसके लिए जीतोड़ कसरत कर रही है। अगर बसपा लोकसभा चुनाव में फिर से सपा के साथ चुनावी तालमेल बिठा कर चुनाव लड़ती है या कांग्रेस के साथ तालमेल कर लोकसभा चुनाव लड़ती है तो ही वह अपनी लोकसभा सीटें बचाने में कामयाब हो सकती है। अन्यथा भाजपा उसकी लोकसभा सीटें छीनने की योजना बना रही है।
बदली हुई राजनीतिक परिस्थितियों में सपा भाजपा को तगड़ी टक्कर देने की स्थिति में पहुंच गई है और वह भाजपा की मौजूदा लोकसभा सीटें छीन सकती है। भाजपा इसीलिए सारी योजनाएं बना रही है, जिससे उसकी कम से कम पुरानी लोकसभा सीटों की संख्या बरकरार रहे। लेकिन वह इसमें कितना कामयाब हो सकेगी यह देखना बाकी है।