-काविश अज़ीज़ | इंडिया टुमारो
लखनऊ | लखनऊ के मोहम्मद रियाज़ ने 2003 में एक 5 वर्षीय मासूम बच्ची को ट्रेन के आगे आने से बचाने की कोशिश में अपना दोनों हाथ और एक पैर गंवा दिया. बच्ची तो बच गई लेकिन रियाज़ हमेशा के लिए अपंग हो गए. घटना के 20 साल बाद रियाज़ आर्थिक तंगी से परेशान हैं. तमाम वादों के बाद भी इन 20 वर्षों में उन्हें कोई आर्थिक मदद नहीं मिली.
मोहम्मद रियाज़ के जिस्म के तीन हिस्से एक मासूम की जान बचाने में कट गए, उनका दुनियाभर में सम्मान हुआ, बहादुरी का पुरस्कार मिला लेकिन इन सब के बीच रियाज़ की आर्थिक मदद के लिए कोई आगे नहीं आया.
घटना साल 2003 की है, 9 वर्षीय रियाज़ लखनऊ के डालीगंज के करीब हाथी पार्क के पास खेल रहे थे, तभी उनकी नज़र रेल की पटरी पर खड़ी एक 5 साल की मासूम बच्ची पर पड़ी. सामने से ट्रेन आ रही थी, रियाज़ ने बच्ची को आवाज़ लगाई लेकिन वो सुन नहीं सकी, वहीं पास में बच्ची के पिता को भी आवाज़ लगाकर आगाह किया लेकिन वह भी नहीं सुन सके.
रियाज़ ने आगे बढ़कर ट्रेन की चपेट में आने से बच्ची को बचाया, अपनी जान जोखिम में डालकर रेल की पटरी पर दौड़ते हुए बच्ची को एक तरफ कर दिया और बच्ची की जान तो बच गई लेकिन उसे बचाने की कोशिश में पटरी की कैची में रियाज़ का पैर फंस गया और ट्रेन से रियाज़ का दो हाथ एक पैर कट गया.
रियाज़ को सम्मानित करने के लिए सिंगापुर और मॉरीशस बुलाया गया
रियाज़ को सम्मानित करने के लिए सिंगापुर और मॉरीशस बुलाया गया. इस हादसे की खबर फैलते ही हर तरफ 9 साल के मासूम रियाज़ की बहादुरी के चर्चे होने लगे, लोगों ने रियाज़ को हीरो बना दिया, खबर इंटरनेशनल मीडिया तक पहुंची और ब्रेवरी अवार्ड देने के लिए रियाज़ को सिंगापुर और मॉरीशस बुलाया गया.
तत्कालीन राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मुलाक़ात की
रियाज़ की बहादुरी की ख़बर तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम और प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तक पहुंची. रियाज़ को संजय चोपड़ा वीरता अवार्ड से सम्मानित किया गया. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने रियाज़ से मिलकर उसकी बहादुरी की सराहना की.
बालीवुड की कई नामी हस्तियों ने रियाज़ से मुलाक़ात की
रियाज़ की बहादुरी से प्रभावित होकर बालीवुड की कई नामी हस्तियों ने रियाज़ से मुलाक़ात की. सारेगामापा में रियाज़ को बुलाया गया, जहाँ हिमेश रेशमिया, नेहा कक्कड़ और जॉन अब्राहम ने रियाज़ से मुलाकात की.
रियाज़ को सम्मान तो मिला लेकिन आर्थिक मदद नहीं मिली
रियाज़ की बहादुरी की चर्चा दुनिया भर में हुई, रियाज़ को सम्मानित किया गया, तारीफें हुईं लेकिन किसी ने भी उसकी और उसके परिवार की कोई आर्थिक सहायता नहीं की. एक बहादुर 9 वर्ष की आयु में बच्ची को ट्रेन की चपेट में आने से बचाने की कोशिश में 2003 अपंग हो गया, 20 साल में उत्तर प्रदेश में तीन सरकारें आई लेकिन इन वर्षों में किसी ने भी रियाज़ की आर्थिक मदद, नौकरी आदि नहीं दी.
रियाज़ 6000 महीने में 8 लोगों का परिवार चलाते हैं
रियाज़ ने सीएमएस स्कूल से इंटर किया, अपंग होने के कारण रोज़गार के अवसर नहीं थे. अपनी टूटी ट्राई साइकिल से रियाज़ हर रोज़ तेलीबाग में अपनी छोटी सी गुमटी पर जाते हैं और सुबह से शाम तक दुकान चलाते हैं. दुकान में टॉफ़ी, बिस्किट और मसाले वगैरह बिकते हैं.
अपनी गुमटी से रियाज़ महीना मुश्किल से 6 हज़ार रुपय कमा पाते हैं. परिवार में तीन छोटी बहन इक़रा, अज़रा, रूबी और एक भाई अमन है. साल 2020 में रियाज़ की शादी भी हुई और एक बेटा भी है. रियाज़ कहते हैं बचपन से शादी लगी थी, अपंग होने के बाद भी शादी हो गई लेकिन घर की ज़िम्मेदारी बढ़ गई.
पिता की मौत हो गई, आर्थिक तंगी से हैं परेशान
रियाज के पिता मोहम्मद अहमद मानसिक बीमारी के कारण घर पर ही रहते थे जो नबम्बर 2022 में चल बसे. पिता की मौत ने रियाज़ को तोड़ कर रख दिया. रियाज़ ने 3 लाख रुपये का लोन लेकर एक दुकान खोला. 11 नवंबर की रात रियाज़ की दुकान से डेढ़ लाख रुपए की चोरी हो गई.
रियाज़ ने लोगों से 20 हज़ार उधार मांग कर फिर से उन्होंने अपनी दुकान में माल भरा. दिव्यांग होने के बाद भी रियाज़ मेहनत मजदूरी से अपना घर चला रहे हैं. कोई सहायता उन्हें नहीं मिली
मुख्यमंत्री के जनता दरबार में भी रियाज ने लगाईं गुहार
रियाज़ ने अपनी तंगी को दूर करने के लिए हरसंभव प्रयास किया है. मुख्यमंत्री के जनता दरबार में भी रियाज़ गए थे और नौकरी की मांग किया है. हालांकि उन्हें अब तक किसी भी प्रकार की कोई सहायता नहीं मिली है. वह संघर्ष करते हुए अपना परिवार चला रहे.
हैरत की बात है कि जिस बच्चे ने 5 साल की मासूम बच्ची को बचाने की कोशिश में अपने हाथ पैर गंवा दिए और हमेशा के लिए अपंग हो गया उसे दो दशक में भी कोई सरकारी आर्थिक सहायता नहीं मिली.