-सैयद ख़लीक अहमद
कलबुर्गी (गुलबर्गा), कर्नाटक | हाल ही में रिफाह चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (आरसीसीआई) द्वारा आयोजित चार दिवसीय ट्रेड फेस्टिवल-2023 में जमाअत इस्लामी हिंद के अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने ट्रेड शो का उद्घाटन करते हुए लोगों से अपील की कि वे ईमानदार और नैतिक माध्यमों पर आधारित व्यापार के इस्लामी मॉडल का पालन करके धन अर्जित करें और इसे गरीब और ज़रूरतमंदो पर भी खर्च करें.
इस शो का आयोजन रिफाह चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (आरसीसीआई) द्वारा किया गया, जो व्यापारियों और उद्योगपतियों का एक संघ है, इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है.
रिफाह को एक आंदोलन बताते हुए जमाअत प्रमुख ने कहा कि इसका मूल उद्देश्य वैध तरीकों से धन अर्जित करने के महत्व को उजागर करना रहा है. उन्होंने आगे कहा कि इस्लाम धर्म के दो महत्वपूर्ण आधार हैं – ज़कात और हज – जिनके पास अधिक धन नहीं होता है ये दोनो चीज़ें उनपर अनिवार्य नहीं हैं. ये दोनों धार्मिक कर्म केवल उन्हीं लोगों के लिए अनिवार्य होते हैं जिनके पास पर्याप्त अतिरिक्त धन होता है.
जेआईएच प्रमुख ने धार्मिक दायित्वों को पूरा करने के लिए धन के महत्व पर ज़ोर देते हुए कहा कि यदि आपके पास पर्याप्त अधिक धन नहीं है तो आप पर ज़कात का भुगतान अनिवार्य नहीं हैं और हज भी अनिवार्य नहीं हैं.
जमाअत अध्यक्ष सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि, दस “अशरा मुबश्शरा” (पैगंबर मोहम्मद के वो साथी जिन्हें स्वर्ग का वादा किया गया है) में से चार – हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ, हज़रत उस्मान बिन अफ्फान, हज़रत तल्हा बिन उबैदुल्लाह और हज़रत ज़ुबैर, ये सब अरबपति थे. हज़रत अब्दुर्रहमान के स्वामित्व वाली संपत्ति की गणना यदि वर्तमान में की जाए तो उनकी संपत्ति 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर या 80,000 करोड़ भारतीय रूपयों के बराबर थी.
जमाअत अध्यक्ष ने कहा कि, हज़रत अब्दुर्रहमान ने जो भी दौलत हासिल की है, वह कारोबार से ही हासिल की है. उन्होंने अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा दान और अल्लाह की राह में खर्च किया. जब उनकी मृत्यू हुई तो वो अथाह संपत्ति छोड़कर गए.
पैगंबर के अरबपति साथियों का उदाहरण देते हुए सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि, रिफाह के मूल उद्देश्यों में से है एक मानवता को फायदा पहुंचाने के लिए पैगंबर के इन चार साथियों की परंपराओं को पुनर्जीवित करना.
यह बताते हुए कि व्यवसाय और उद्योग भी अखिरत के जीवन में सफलता हासिल करने का एक माध्यम है, जमाअत अध्यक्ष ने मुसलमानों से व्यवसायों और उद्यमों में कामयाब होने के लिए प्रयास करने की अपील की.
अपनी दलीलों की पुष्टि के लिए जमात के अध्यक्ष सआदतुल्लाह हुसैनी ने विस्तार से बताया कि कुरान जो पैगंबर मोहम्मद साहब के ज़रिए लाया गया इंसानों के लिए अल्लाह का आखिरी मार्गदर्शन है, खुद लोगों को वैध तरीकों से धन अर्जित करने और दूसरों की मदद के लिए खर्च करने के लिए प्रोत्साहित करता है.
कुरान का पाठ करते हुए, उन्होंने कहा कि एक अमीर व्यक्ति को दूसरों पर अपना धन खर्च करके अल्लाह का एहसान चुकाना चाहिए.
जमाअत अध्यक्ष सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा कि, सांसारिक चीज़ों में अपना हिस्सा अर्जित करना न भूलें, क्योंकि सांसारिक या सांसारिक चीजें केवल उनके लिए ही नहीं हैं जो अल्लाह की नाफरमानी करते हैं. मुस्लिम समाज में बड़े स्तर फैली ये गलतफहमी कि, “अधिक धन कमाना और आराम की ज़िंदगी जीना इस्लाम के उसूलों के खिलाफ है” इसे स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि इस्लाम की शिक्षाओं की इस नकारात्मक समझ ने मुस्लिम समुदाय को धन कमाने और बढ़ाने के प्रति हतोत्साहित किया है.
इस मानसिकता ने मुस्लिम समुदाय को समाज की वृद्धि और विकास में योगदान देने से रोक रखा है, क्योंकि बिना धन के कोई विकास नहीं किया जा सकता है. मुस्लिम समुदाय के एक बड़े वर्ग के इस नकारात्मक रवैये को ध्यान में रखते हुए, जमाअत इस्लामी प्रमुख का भाषण मुस्लिम समुदाय को पैसे कमाने और राष्ट्र और समाज के विकास में भाग लेने के लिए प्रेरित करने के लिए बहुत प्रगतिशील, उत्साहजनक और प्रेरणादायक था. हुसैनी ने जो कहा वह बहुत प्रासंगिक है क्योंकि यदि किसी के पास पैसा नहीं होता है तो वह दूसरों की मदद नहीं कर सकता है.
यह कहते हुए कि व्यापार पर मुट्ठी भर लोगों का एकाधिकार और चंद कुछ हाथों में धन की जमाखोरी या केन्द्रीकरण “फसाद” की जड़ है, उन्होंने रिफाह सदस्यों से प्रशिक्षण और मदद करके नए लोगों को व्यवसाय में लाने के लिए कहा.
हुसैनी ने बताया कि इस्तांबुल, यरुशलम और बगदाद में मध्य काल में कई मुस्लिम व्यापारियों ने अपने शहरों के सौंदर्यीकरण के लिए अपनी संपत्तियों को वक्फ किया था, यह बताता है कि उन दिनों के मुसलमानों ने अपने शहरों की नागरिक सुविधाओं और सौंदर्य की देखभाल की और उन्हें स्वच्छ व साफ रखने के लिए पैसा खर्च किया.
आरसीसीआई के अध्यक्ष एस. अमीनुल हसन ने कहा कि, ट्रेड फेयर या शो अंबिया (अल्लाह के दूत) की “सुन्नत” (परंपरा) रहे हैं, उन्होंने कहा कि, ट्रेड फेयर हज़रत सुलेमान द्वारा शुरू किए गए थे और वह खुले क्षेत्रों में इंटरनेशनल ट्रेड फेयर आयोजित किया करते थे. अमीनुल हसन ने इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि, हज़रत सुलेमान ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेले के लिए दो बंदरगाह स्थापित किए थे.
इस्लामिक विद्वान डॉक्टर हमीदुल्लाह की किताब का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि यहां तक कि पैगंबर होने के साथ-साथ एक बहुत ही सफल व्यवसायी रहे पैगंबर मोहम्मद ने भी यमन और सीरिया में व्यापार मेलों में भाग लिया था.
यहां गुलबर्गा में रिफाह के ट्रेड फेस्टिवल के बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि ऐसे ट्रेड फेयर नेटवर्किंग उपलब्ध करवाते हैं जो व्यवसायों को बढ़ावा देने और बढ़ाने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि, रिफाह मुस्लिम महिलाओं को व्यापार में बढ़ावा देने के लिए भी काम कर रही है, जो यहां ट्रेड शो में कई महिलाओं द्वारा अपने स्टॉल लगाने से भी स्पष्ट था. कुछ महिला व्यवसायी मुंबई से अपने उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए आई थीं.
आरसीसीआई के सचिव अफ़ज़ल बेग ने कहा कि, मुसलमान आम तौर पर देश में प्रचलित व्यापार के तरीकों की आलोचना करते हैं, लेकिन वे खुद व्यापार गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल नहीं होते हैं कि खेल के नियमों को बदला जा सके, यानी निष्पक्ष व्यापार के तरीकों को बढ़ावा दिया जा सके और ग्राहकों के शोषण को रोका जा सके.
उन्होंने कहा कि, आरसीसीआई ईमानदार और निष्पक्ष व्यवसाय माध्यमों को शुरू करके खेल के नियम को बदलने में लगा हुआ है. अफ़ज़ल बेग ने कहा कि आरसीसीआई ने चीन और बांग्लादेश में व्यापार शो में भाग लिया था और अगले महीने दुबई बिजनेस शो में भाग लेने की योजना बनाई है.
जेआईएच कर्नाटक के अध्यक्ष डॉ. मोहम्मद साद बेलगामी ने इस अवसर पर बोलते हुए व्यवसायियों से अपने व्यापारिक सौदों में धोखाधड़ी, झूठ, शोषण और जमाखोरी से बचने की अपील की. उन्होंने उन्हें ब्याज से बचने के लिए भी कहा जो कि एक नैतिक अपराध है और गरीब लोगों के शोषण का एक साधन है.
जमाअत कर्नाटक के सचिव यूसुफ कन्नी ने लोगों से हज़रत अब्दुर्रहमान बिन औफ के व्यवसाय के तरीकों का पालन करने के लिए कहा, जिन्होंने बहुत कम लाभ पर अपना माल बेचा और खरीदारों से अपने उत्पादों की कमी के बारे में पता लगाने के लिए कहते थे.
मुंबई में तुर्की के महावाणिज्य दूतावास में वाणिज्य अधिकारी मुस्तफा कमाल अलबायरक ने बताया कि तुर्की सालाना भारत से लगभग 8 बिलियन अमेरिकी डॉलर का सामान आयात करता है और लगभग 2.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का सामान निर्यात करता है.
कार्यक्रम का संचालन यहां के ट्रेड शो के पीछे मुख्य संचालक असलम जागीरदार ने किया.
विभिन्न राज्यों के व्यवसायियों, व्यापारियों और निर्माताओं द्वारा लगभग 300 स्टॉल लगाए गए थे.
कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए शो के हिस्से के रूप में एक इंडो-रूस पेंटिंग शो भी आयोजित किया गया था. प्रतिभागियों में राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अयाज़ुद्दीन पटेल शामिल थे.