इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | अरुण गोयल की चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अटॉर्नी जनरल से पूछा कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति इतनी तेजी से और एक दिन में कैसे हुई.
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी से कोर्ट ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर सवाल किया जो सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे थे.
रिपोर्ट एक अनुसार, जस्टिस के.एम. जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच-जजों की संविधान पीठ ने गोयल की नियुक्ति पर फाइल की जांच करने के बाद कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) डेटाबेस से चार नामों को शॉर्टलिस्ट करने में कानून मंत्री द्वारा अपनाए गए मानदंडों पर भी सवाल उठाया.
अटॉर्नी जनरल ने बेंच द्वारा पूछे गए सवालों पर तर्क देते हुए कहा कि अदालत को नियुक्ति पर मिनी-ट्रायल नहीं करना चाहिए, हालांकि बेंच ने उनसे यह बताने के लिए कहा कि इतनी जल्दबाजी में नियुक्ति क्यों की गई.
बेंच ने सवाल किया कि, उसी दिन प्रक्रिया शुरु हुई, उसी दिन क्लीयरेंस हुआ, उसी दिन नियुक्ति कर डाली.
न्यायमूर्ति जोसेफ ने डीओपीटी के डेटाबेस से चार नामों को चुनने में कानून मंत्री द्वारा अपनाए गए मानदंडों पर विशेष रूप से सवाल किया.
पीठ ने कहा कि 18 नवंबर को मंत्री ने नामों को चुना और फाइल भी उसी दिन पेश की गई, यहां तक कि प्रधानमंत्री ने भी उसी दिन नाम की सिफारिश की. हम कोई टकराव नहीं चाहते हैं.
कोर्ट ने कहा कि यह पद 15 मई से खाली था, और अब इस पर बिजली की रफ्तार से काम किया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति की फाइल देख केंद्र से सवाल पूछा कि, “15 मई से पद खाली था. अचानक 24 घंटे से भी कम समय में नाम भेजे जाने से लेकर उसे मंजूरी देने की सारी प्रक्रिया पूरी कर दी गई. 15 मई से 18 नवंबर के बीच क्या हुआ?”
कोर्ट ने सवाल करते हुए पूछा, “कानून मंत्री ने 4 नाम भेजे… सवाल यह भी है कि यही 4 नाम क्यों भेजे गए. फिर उसमें से सबसे जूनियर अधिकारी को कैसे चुना गया. रिटायर होने जा रहे अधिकारी ने इस पद पर आने से पहले VRS लिया.”
सरकार का पक्ष रख रहे अटॉर्नी जनरल ने कहा कि नियुक्ति की प्रक्रिया में कुछ गलत नहीं हुआ है.
जस्टिस जोसेफ ने कहा कि अदालत एक ‘यस मैन’ (हां में हां मिलाने वाला व्यक्ति) की नियुक्ति को लेकर चिंतित है.
जस्टिस जोसेफ ने पूछा कि कानून मंत्री द्वारा आयु मानदंड के आधार पर सैकड़ों लोगों के डेटा से चार नामों को शॉर्टलिस्ट करने का क्या आधार है?
सुपर फास्ट तरीके से गोयल की नियुक्ति पर सवाल उठाते हुए पीठ ने टिप्पणी की कि 24 घंटे से भी कम समय में प्रक्रिया पूरी और अधिसूचित नहीं की गई.
सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम जैसी व्यवस्था की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है.