अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में बताया है कि वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिली संरचना की कार्बन डेटिंग करने पर वह छतिग्रस्त हो सकती है और उसको नुकसान हो सकता है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने यह बात 21 नवम्बर 2022 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिली संरचना के कार्बन डेंटिंग के मामले की सुनवाई के दौरान कहा।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में मिली संरचना के कार्बन डेटिंग कराए जाने को लेकर मामला चल रहा है।हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिली संरचना वाली जगह की खुदाई या सर्वे कराने के मामले को लेकर एक याचिका दायर की है।
इसी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिली संरचना की सही उम्र के आंकलन के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के महानिदेशक से कार्बन डेटिंग के मामले में राय मांगी थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई 21 नवम्बर 2022 को हुई। जस्टिस जे जे मुनीर की अदालत में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की ओर से अदालत को बताया गया कि ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में मिली संरचना की कार्बन डेटिंग कराए जाने पर संरचना छतिग्रस्त हो सकती है और संरचना को नुकसान हो सकता है।
अदालत को यह बताया गया कि संरचना की सही उम्र पता करने के लिए अन्य आधुनिक वैज्ञानिक तरीके का वह उपयोग कर सकता है।
जस्टिस जे जे मुनीर ने एएसआई की इस बात को सुना और उन्होंने कहा कि, “संबंधित संरचना को किसी भी तरह के नुकसान की आशंका खत्म की जाए। कार्बन डेटिंग न करने की बात किन आधार पर कही जा रही है?
इस पर एएसआई के वकील मनोज सिंह ने अदालत से कहा कि, “संरचना को नुकसान पर यह शुरुआती अनुमान है। एएसआई विचार कर रहा है कि उम्र पता लगाने के लिए सही तकनीक क्या हो सकती है? इसके लिए एक विस्तृत रिपोर्ट हाईकोर्ट को दी जाएगी। इसी आधार पर निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि कौन सी तकनीक उपयोग हो।”
एएसआई के वकील की बातों को सुनने के बाद हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि, “संरचना की उम्र तय करना जरुरी है, लेकिन इसे किसी प्रकार की छति न पहुंचाई जाए। एएसआई कोई उचित वैज्ञानिक तकनीक उपयोग करे।”
जस्टिस जे जे मुनीर ने एएसआई से पूंछा कि, “क्या शिवलिंगनुमा संरचना को क्षति पहुंचाए बिना कार्बन डेटिंग की जा सकती है?
हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते यह भी कहा कि, “आशंका यह भी है कि कार्बन डेटिंग से संरचना को क्षति हो सकती है।संरचना कितनी पुरानी है, इसे गवाही के आधार पर तय नहीं किया जा सकता। लिहाजा, बिना नुकसान पहुंचाए उसकी आयु निर्धारण किया जाना ज़रूरी है।”
एएसआई के वकील ने इस पर कहा कि, “आजकल कई ऐसी तकनीक आ गई हैं, जिनसे संरचना को बिना कोई नुकसान पहुंचाए कार्बन डेटिंग कर सकते हैं। इसके लिए उन्होंने अधीनस्थ एजेंसियों से संपर्क किया है। इसके लिए 3 महीने का समय दिया जाए।”
इस पर हाईकोर्ट ने 3 महीने का समय देने से इंकार कर दिया और 30 नवम्बर तक इस मामले में जवाब देने को कहा। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के मुख्य स्थाई अधिवक्ता (पंचम) बिपिन बिहारी पांडेय को राज्य धर्मार्थ कार्य विभाग के प्रमुख सचिव का हलफनामा भी दाखिल करने का निर्देश दिया है।
यहां पर यह ज्ञात हो कि इस मामले में वाराणसी के जिला जज ने पहले ही 14 अक्टूबर को अपने सुनाए गए फैसले में संरचना की कार्बन डेटिंग की मांग को ठुकरा दिया था। इसी के साथ जिला जज ने अपने फैसले में कहा था कि, “संरचना को अगर नुकसान हुआ, तो यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना होगी।”