अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | यूपी में डेंगू का कहर जारी है। स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल हैं, जिसके कारण डेंगू तेजी के साथ फैलता जा रहा है। डेंगू के मामले सामने आने के बाद अगर राज्य सरकार ने इसके निदान के लिए गम्भीरता के साथ काम किया होता, तो शायद आज राज्य में डेंगू जानलेवा साबित नहीं होता।
यूपी में रायबरेली में डेंगू के 113 मरीज मिले हैं। इसी प्रकार देवरिया जिले में 63 मरीज डेंगू के चिन्हित किये गए हैं, जिनका इलाज देवरिया के मेडिकल कालेज में किया जा रहा है। सुल्तानपुर में 2 लोगों की मौत हो गई है और 72 मरीज मिले हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जिले गोरखपुर में डेंगू रोगियों की संख्या 200 हो गई है। इटावा में 9 मरीज मिले हैं। बाराबंकी में डेंगू से 3 मौतें हो गई हैं।
सबसे शर्मनाक स्थिति अयोध्या की है, जहां पर डेंगू जांच करने वाली मशीन ही खराब पड़ी हुई है। कानपुर और मुरादाबाद जिले में भी डेंगू ने कहर बरपाया हुआ है। मेरठ, अलीगढ़, बरेली, कन्नौज, फतेहपुर, उन्नाव में भी डेंगू का कहर जारी है।
डेंगू मच्छरजनित रोग है और यह गंदगी और मच्छरों से उत्तपन्न होता है। अगर मच्छरों को खत्म करने के लिए सरकार ने सजगता दिखाई होती और मलेरिया विभाग को मच्छरों को खत्म करने के लिए दवा और केरोसिन उपलब्ध कराया होता, तो दवा का छिड़काव हुआ होता एवं मच्छरों का खात्मा हो गया होता।
यदि पूर्व में सावधानी बरती जाती और चिकित्सा विभाग सतर्क रहता तो इस स्थिति में डेंगू रोग पैदा ही नहीं होता। लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार केवल फर्जी वाहवाही लूटने का काम करती रही और डेंगू अपने पैर पसारता रहा तथा लोगों की डेंगू की डेंगू की चपेट में आने से मौतें होती रहीं। जब पानी सिर से ऊपर गुजरने लगा, तो यूपी सरकार नींद से जागी।
यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने अस्पतालों का दौरा करना शुरू किया और डॉक्टरों से डेंगू ग्रस्त रोगियों का इलाज करने का सख्त निर्देश दिया। इसके पहले अस्पतालों से डेंगू रोगियों को वापस लौटाने के समाचार भी सामने आए थे, जिस पर सरकार ने अस्पतालों में तैनात डॉक्टरों को सख्त निर्देश दिया कि डेंगू रोगियों को अस्पतालों से लौटाया नहीं जाए और उनका इलाज किया जाए। अगर अस्पताल में बेड नहीं हैं, तो मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में भर्ती कराया जाए और उनका इलाज किया जाए। इलाज का खर्च सरकार वहन करेगी।
योगी आदित्यनाथ की सरकार केवल हवा-हवाई दिशा निर्देश देती रही। सरकार ने कभी यह जानने का प्रयास नहीं किया कि अस्पतालों में डेंगू की जांच के लिए मेडिकल किट्स हैं कि नहीं। बगैर मेडिकल किट्स की डेंगू की जांच नहीं की जा सकती है और बिना जांच के डेंगू नहीं घोषित किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में रोगियों के ब्लड सैंपल अस्पतालों में पड़े रहे।
अस्पतालों द्वारा जांच के लिए मेडिकल किट्स की मांग की जाती रही, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने मांग के सापेक्ष मेडिकल किट्स नहीं उपलब्ध कराया। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इस पर कभी ध्यान नहीं दिया। परिणाम यह हुआ कि डेंगू तेजी के साथ अपने पैर पसारता रहा और आज भी डेंगू का कहर जारी है।
योगी आदित्यनाथ की सरकार की मशीनरी झूठे दावे कर मच्छरजनित रोगों को नियंत्रण में करने का दावा करती रही। मच्छरों को खत्म करने के लिए दवा और केरोसिन मांग के मुताबिक जिलों को नहीं मुहैया कराया गया, जबकि झूठा दावा किया गया कि दवाओं की फॉगिंग हो गई है। फॉगिंग की ही नहीं गई और फर्जी वाहवाही लूटी गई।
परिणाम यह रहा कि मच्छर नहीं खत्म हुए बल्कि डेंगू ने राज्य को अपने चपेट में ले लिया और लोगों को संक्रमित कर उनको मौत की नींद में सुलाना शुरू कर दिया। योगी आदित्यनाथ की सरकार ने यूपी में डेंगू के बढ़ने और उस पर नियंत्रण नहीं होने के बारे में कभी जमीनी हकीकत जानने की कोशिश नहीं किया।
अगर योगी आदित्यनाथ की सरकार ने जमीनी हकीकत को जानने का काम किया होता, तो डेंगू इतने बड़े पैमाने पर अपने पैर नहीं पसार पाता और न ही लोगों की मौतें होती। यह योगी आदित्यनाथ की सरकार की सबसे बड़ी नाकामी है। अब भी योगी सरकार डेंगू के उपचार का ठोस इलाज नहीं तलाश पाई है। वह सरकारी मशीनरी के झूठे वादे के झांसे में फंसी हुई है और डेंगू अपना डंक मारने में जुटा हुआ है।
यूपी में रायबरेली में डेंगू के 113 मरीज मिले हैं। देवरिया जिले में 63, सुल्तानपुर में 2 लोगों की मौत हो गई है और 72 मरीज मिले हैं। गोरखपुर में डेंगू रोगियों की संख्या 200 हो गई है और इटावा में 9 मरीज मिले हैं। बाराबंकी में डेंगू से 3 मौतें हो गई हैं।
अयोध्या की स्थिति सबसे शर्मनाक है, जहां पर डेंगू जांच करने वाली मशीन ही खराब पड़ी हुई है। कानपुर और मुरादाबाद जिले में भी डेंगू ने कहर बरपाया हुआ है। मेरठ, अलीगढ़, बरेली, कन्नौज, फतेहपुर, उन्नाव में भी डेंगू का कहर जारी है।
यूपी की राजधानी लखनऊ में लखनऊ की कमिश्नर डॉ. रोशन जैकब डेंगू के खिलाफ कमर कस कर मैदान में उतरी हुई हैं और डेंगू ग्रस्त लोगों के जीवन को बचाने का प्रयास कर रही हैं। डेंगू में इस बार एक नई बात देखने को मिल रही है कि मरीजों को पहले दो दिन बुखार रहता है और तीसरे दिन बुखार उतर जाता है। रोगी समझता है कि वह ठीक हो गया है। जबकि इसके बाद प्लेटलेट्स अचानक गिरने लगते हैं और फिर रोगी को संभालना कठिन हो जाता है।