अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | हिजाब मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले से ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड सहमत नहीं है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड हिजाब मामले पर कर्नाटक हाई कोर्ट के दिये गए फैसले को मजहबी मामले में पक्षपातपूर्ण मानसिकता वाला फैसला मानता है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने हिजाब मामले पर कर्नाटक हाई कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के बाद इस मामले पर ऐतराज जताते हुए इस संबंध में लीगल कमेटी और सचिवों की एक ऑनलाइन बैठक आयोजित किया था। इस बैठक में आपसी बातचीत के बाद यह सहमति बनी कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाए।
ऑनलाइन बैठक में हिजाब मामले पर कर्नाटक हाई कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले से असहमति जताई गई और बैठक में यह माना गया कि कर्नाटक हाई कोर्ट ने अपने निर्णय में व्यक्ति की स्वतंत्रता को पूरी तरह अनदेखा किया। बैठक में यह बात भी उभरकर सामने आई कि कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले में कई खामियां हैं। मसलन सबसे बड़ी खामी यह है कि हाई कोर्ट ने निर्णय देते समय शरियत कानून के संबंध में उलमा की राय को शामिल नहीं किया। जबकि धार्मिक मामलों में किसी कानून पर उलमा की राय महत्वपूर्ण होती है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक के बाद बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने पत्रकारों के सामने अपनी बात रखते हुए कहा कि, “हाई कोर्ट के फैसले से न्याय की मांग पूरी नहीं हो सकी है। इस प्रकार के फैसलों से ऐसा लग रहा है कि अदालतें मजहबी मामले में पक्षपातपूर्ण मानसिकता का शिकार होती जा रही हैं। कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले से ऐसा ही नजर आता है। इसलिए बोर्ड ने कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने और सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को चुनौती देने का निर्णय लिया है।”
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने इस महत्वपूर्ण निर्णय के साथ ही एक अन्य महत्वपूर्ण फैसला भी लिया है। बोर्ड ने मुस्लिम समुदाय के उलेमाओं, बुद्विजीवियों, शिक्षाविदों, पूंजीपतियों और व्यापारियों से लड़कियों की शिक्षा के लिए अधिक से अधिक विद्यालयों को खोलने की अपील की है।
बोर्ड ने कहा है कि, “इन विद्यालयों में इस्लामी माहौल और नैतिक मूल्यों के साथ स्तरीय शिक्षा की व्यवस्था की जाए।” इसके साथ ही बोर्ड ने यह भी कहा है कि, जिन राज्यों में सरकार स्कार्फ पर पाबंदी लगाए, तो वहां सरकार के खिलाफ शांति से प्रदशर्न करें। मुस्लिम समुदाय धैर्य से काम लें और शांति बनाए रखें।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ऑनलाइन जो बैठक हुई और इसमें जिन्होंने हिस्सा लिया, उनमें लीगल कमेटी के संयोजक यूसुफ हातिम मछाला, एडवोकेट एम आर शमसाद, एडवोकेट ताहिर हकीम, एडवोकेट फ़ुजैल अहमद अय्यूबी, नियाज अहमद फारूकी, बोर्ड सचिव मौलाना फजलुर्रहीम मुजदिद्दी, मौलाना उमरैन महफूज रहमानी, डॉ. कासिम रसूल इलियास, कमाल फारूकी, मौलाना सगीर अहमद रशादी, मौलाना अतीक अहमद बस्तवी और रहमान खान प्रमुख रूप से शामिल रहे।