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Saturday, May 4, 2024
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पुलिस हिरासत में हुई थी अल्ताफ की मौत, हाईकोर्ट का दोबारा पोस्टमार्टम कराने का निर्देश

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ | उत्तर प्रदेश के कासगंज में पुलिस कस्टडी में अल्ताफ की मौत के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने योगी सरकार को तगड़ा झटका दिया है। कासगंज पुलिस हिरासत में अल्ताफ नाम के युवक की मौत हुई थी। इस मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्यायिक जांच जल्द पूरी करने का निर्देश दिया है। साथ ही कोर्ट ने मजिस्ट्रेट की जांच को भी 4 हफ्ते में पूरी करने और मृतक का नए सिरे से पोस्टमार्टम कराने का भी निर्देश दिया है. हाई कोर्ट के फैसले से अल्ताफ के परिवार को न्याय की उम्मीद जगी है।

कासगंज में 9 नवम्बर 2021 को पुलिस कस्टडी में अल्ताफ की हत्या हो गई थी। पुलिस ने अपनी थ्योरी में अल्ताफ की हत्या को अल्ताफ द्वारा आत्महत्या कर लेने की बात कही थी। पुलिस ने अपनी थ्योरी में बताया था कि अल्ताफ ने बाथरूम में लगे 2 फिट ऊंचे नल की टोंटी से अपने जैकेट के फीते को गले में फंसा कर आत्महत्या कर ली थी। पुलिस की इस थ्योरी से पुलिस खुद संदेह के घेरे में आ गई थी, क्योंकि 5 फिट लंबा आदमी 2 फिट ऊंचे नल की टोटी में फंदा लगाकर आत्महत्या कैसे कर सकता है।

पुलिस की इस थ्योरी को सच साबित करने के लिए तत्कालीन पुलिस अधीक्षक ने भी झूठ बोला था और अपनी बात को सही साबित करने के लिए जबरिया पुलिस की गढ़ी गई थ्योरी को दोहराया था। लेकिन कासगंज पुलिस की थ्योरी पर किसी ने भी भरोसा नहीं किया। इस मामले की जानकारी जब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को हुई, तो उन्होंने इस मामले को जोरदार तरीके से उठाया और दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की।

सपा द्वारा अल्ताफ की पुलिस कस्टडी में मौत होने की बात उठाए जाने पर, इस घटना में शामिल पुलिस वालों को निलंबित कर दिया गया था। लेकिन मृतक अल्ताफ के पिता चांद मियां इस कार्यवाही से संतुष्ट नहीं हुए। उन्होंने मृतक अल्ताफ के शव के दोबारा पोस्टमार्टम कराने और पोस्टमार्टम नई दिल्ली एम्स के डॉक्टरों से कराने की मांग की। किंतु चांद मियां की इस मांग को कासगंज के प्रशासन ने नहीं माना। कासगंज के डीएम ने इस घटना की मजिस्ट्रेट जांच बैठा दी और अल्ताफ की पुलिस कस्टडी में हुई मौत के मामले को ठंडा कर दिया गया।

इस मामले में कोई कार्यवाही होती न देखकर अल्ताफ के पिता चांद मियां ने यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर इस पर कार्यवाही करने की उनसे मांग की। चांद मियां ने योगी आदित्यनाथ से तीन मांगें की। पहली मांग कि अल्ताफ का दोबारा पोस्टमार्टम कराया जाए और वह नई दिल्ली एम्स के डॉक्टरों से कराया जाए। दूसरी मांग यह कि इस मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए। तीसरी मांग यह कि उसको 1 करोड़ रुपए का मुआवजा दिया जाए। लेकिन मुस्लिम विरोधी चेहरा होने के कारण योगी आदित्यनाथ ने चांद मियां की किसी भी मांग पर विचार नहीं किया।

योगी आदित्यनाथ ने मृतक के पिता चांद मियां की मांगों को रद्दी की टोकरी में डाल दिया। योगी आदित्यनाथ ने अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं किया और चांद मियां को किसी तरह की न तो मदद की और न ही कोई मुआवजा दिया। जबकि छोटे- छोटे मामले में भी योगी आदित्यनाथ की सरकार प्रभावित लोगों के आश्रितों को मुआवजा देती है। योगी आदित्यनाथ ने मानवता के नाते भी चांद मियां की कोई मदद नहीं की। योगी आदित्यनाथ द्वारा अल्ताफ की मौत के मामले में मांग न माने जाने के बाद चांद मियां ने न्याय के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

इलाहाबाद हाई कोर्ट में चांद मियां की अर्जी/याचिका स्वीकार हुई और इस पर शुक्रवार 11 फरवरी को सुनवाई हुई। जस्टिस अंजनी कुमार मिश्रा और जस्टिस दीपक वर्मा की पीठ में इसकी सुनवाई हुई। जस्टिस द्वय ने इसकी सुनवाई करते हुए चांद मियां के पक्ष में फैसला सुनाया। जस्टिस अंजनी कुमार मिश्र और दीपक वर्मा ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि, “अल्ताफ के शव को कब्र से निकाल कर उसका नई दिल्ली एम्स के डॉक्टरों से पोस्मार्टम कराया जाए। कब्र से शव निकाले जाने के समय डीएम और एसपी मौजूद रहें और वह स्वयं इसकी निगरानी करें। शव के कब्र से निकाले जाने से लेकर पोस्टमार्टम होने तक की वीडियोग्राफी हो।”

इसीके साथ माननीय अदालत ने इसकी सुनवाई कर आदेश पारित कर दिया। माननीय अदालत के इस फैसले से योगी आदित्यनाथ की सरकार को तगड़ा झटका लगा है, क्योंकि योगी आदित्यनाथ की सरकार ने अल्ताफ के मामले की जांच बैठाकर इस मामले को ठंडा कर दिया था। वह नहीं चाहती थी कि इस मामले में किसी भी तरह की कोई कार्यवाही हो। चर्चा है कि अल्ताफ को एक हिंदू लड़की को भगाने में मदद करने के आरोप में पुलिस ने उसको थाने बुलाया था, जिस पर अल्ताफ के पिता चांद मियां पूछताछ के लिए अल्ताफ को थाने पर छोड़ आए। बाद में अल्ताफ के मरने की खबर चांद मियां को मिली थी। इसीलिए योगी आदित्यनाथ की सरकार इस मामले को दफन करना चाहती थी। अब हाई कोर्ट के आदेश से एम्स के डॉक्टरों द्वारा पोस्टमार्टम कराए जाने से इस मामले की रिपोर्ट आने के बाद नए सिरे से जांच होगी और दोषियों के सलाखों के पीछे जाने की नौबत आएगी।

इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले से अल्ताफ के परिवार को न्याय की उम्मीद जगी है। अल्ताफ के प्रकरण पर कासगंज का प्रशासन कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा था और वह इसको दबाने और दफन करने पर तुला हुआ था। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं चाहते थे, इसीलिए वह अल्ताफ के पिता चांद मियां की मांगों पर कोई विचार नहीं कर रहे थे।

हालांकि, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने चांद मियां के पक्ष में फैसला सुना कर मृतक अल्ताफ के साथ न्याय किया है। अल्ताफ के परिवार को यह उम्मीद जगी है कि उसके साथ ऊपरवाले ने बड़ा न्याय किया है। चांद मियां अब यह मानकर चल रहे हैं कि देर से ही सही, लेकिन उन्हें न्याय मिला है और अल्ताफ के पोस्टमार्टम के बाद दोषियों को दंड ज़रूर मिलेगा।

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