अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा ध्रुवीकरण करने के प्रयास में जी-जान से जुटी है। देश के गृह मंत्री अमित शाह से लेकर यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ तक कैराना के पलायन और मुज़फ़्फ़रनगर दंगे की बात कर रहे हैं। यूपी विधानसभा चुनाव जीतने के लिए भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है, जिसको लेकर वह जनता के बीच जा सके और जनता से अपने लिए वोट मांग सके। भाजपा के पास चुनावी मुद्दों का भारी अकाल है। इसका सबसे बड़ा कारण यूपी में योगी आदित्यनाथ का भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री के रूप में 5 साल तक मनमाने तरीके से सरकार का चलाना है।
योगी आदित्यनाथ की सरकार के समय बेरोज़गारों को रोज़गार न मिलने, भ्रष्टाचार, अपराध, महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़ने, कानून -व्यवस्था ध्वस्त होने और एक जाति विशेष ठाकुरों को बढ़ावा देने के कारण आज उत्तर प्रदेश में भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं है। भाजपा मुद्दा विहीन पार्टी बनकर रह गई है। भाजपा इसीलिए विधानसभा चुनाव में अपनी डूबती नैय्या पार लगाने के लिए हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण करने के लिए जी-जान से जुट गई है। भाजपा को अब केवल हिन्दू वोटों के ध्रुविकरण का ही सहारा है। वह इसके ज़रिए जीत हासिल करना चाहती है और उसने इसके लिए काम भी शुरू कर दिया है। भाजपा ने इसकी शुरुआत पश्चिमी उत्तर प्रदेश से कर दी है।
यूपी में विधानसभा चुनाव 7 चरणों में होंगे। इसकी शुरुआत पश्चिमी उत्तर प्रदेश से होगी। पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 10 फरवरी को 58 सीटों के लिए मतदान होगा। 2017 के विधानसभा चुनाव में इन 58 सीटों में से भाजपा को 53, सपा को 2, बसपा को 2 और 1 सीट राष्ट्रीय लोक दल को मिली थी। इस तरह भाजपा ने इस क्षेत्र में यहां पर बढ़त हासिल की थी, जिसके कारण ही भाजपा को यूपी की सत्ता हासिल हुई थी। भाजपा को यहां पर इसलिए इतनी अधिक सीटें मिली थीं, क्योंकि कैराना से कुछ लोग चले गए थे और मुज़फ़्फ़रनगर में दंगा होने के कारण हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण हो गया था। यह ध्रुवीकरण भाजपा के हिन्दू-मुस्लिम का मामला उछालने के कारण हुआ था। लेकिन इस बार भाजपा की दाल गलती हुई नजर नहीं आ रही है।
भाजपा का कोई दांव नहीं चल पा रहा है और न ही मतदाताओं के ऊपर भाजपा का कोई जादू चल रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण दिल्ली में हुए किसान आंदोलन के चलते पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाटों और मुस्लिम समुदाय का एक साथ फिर से आ जाना है। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के दुष्प्रचार के चलते इस क्षेत्र में जाट और मुस्लिम समुदाय की एकता खण्डित हो गई थी, जिसके कारण हिन्दू वोटों का ध्रुवीकरण हो गया था और भाजपा के ज्यादा विधायक जीत गए थे। लेकिन किसान आंदोलन से जाट और मुस्लिम समुदाय के लोग फिर से एक साथ आ गए हैं तथा जाट-मुस्लिम एकता मजबूत हो गई है।
देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व.चौधरी चरण सिंह और उनके पुत्र चौधरी अजित सिंह इसी जाट-मुस्लिम एकता (समीकरण) के कारण लम्बे समय तक राजनीति करते रहे हैं। अब चौधरी अजित सिंह के बेटे के हाथ में राष्ट्रीय लोक दल की बागडोर है और अजित सिंह के बेटे जयंत चौधरी इसके अध्यक्ष हैं। इस क्षेत्र में पिछली बार कैराना की घटना और मुज़फ़्फ़रनगर के दंगे के कारण जाट-मुस्लिम समीकरण बिगड़ गया था तथा भाजपा ध्रुवीकरण करने में सफल हो गई थी। लेकिन इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा की राह आसान नहीं है।
इसीलिए मुद्दा विहीन भाजपा एक बार फिर से इस विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण के लिए जी-जान से जुट गई है। इसके लिए भाजपा कैराना के पलायन और मुज़फ़्फ़रनगर के दंगे के मुद्दे लेकर चुनावी मैदान में कूद पड़ी है। भाजपा के पास चूंकि कोई मुद्दा नहीं है, इसलिए वह फिर एक बार इसी हथियार का प्रयोग कर उत्तर प्रदेश की सत्ता पर काबिज़ होने का ख्वाब देख रही है। भाजपा यह मान कर चल रही है कि इन मुद्दों के ज़रिए वह मतदाताओं को अपने साथ लाने में कामयाब हो जाएगी और आसानी से उसको यूपी विधानसभा चुनाव में भारी जीत हासिल हो जाएगी।
भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में पहले चरण के विधानसभा चुनाव में अधिक सीट हासिल करने के लिए सारी तिकड़मों को लगा रही है। देश के गृह मंत्री अमित शाह ने इस क्षेत्र की अधिक विधानसभा सीटें जीतने के लिए राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी को अपने साथ आने का निमंत्रण भी दिया था। लेकिन जयंत चौधरी ने उनके निमंत्रण को ठुकरा दिया था। जयंत चौधरी द्वारा निमंत्रण ठुकराए जाने से अमित शाह से लेकर भाजपा तक में बड़ी घबराहट और छटपटाहट है। यही कारण है कि देश के गृह मंत्री अमित शाह कैराना और मुज़फ़्फ़रनगर की गलियों में चक्कर काट रहे हैं और मतदाताओं से वोट देने के लिए कह रहे हैं।
अमित शाह हिन्दू वोटों के ध्रुवीकरण करने के लिए ऐड़ी-चोटी का ज़ोर लगाए हुए हैं। अमित शाह वोटरों की भावनाओं को कुरेदने और उनको झकझोरने का काम कर रहे हैं,जिससे किसी तरह हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण हो जाए। अमित शाह ने शनिवार को मुज़फ़्फ़रनगर में मतदाता संवाद कार्यक्रम में मतदाताओं से कहा कि, “मैं पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जनता से यह पूछने आया हूँ कि क्या दंगे भूल गए? अगर वोट देने में गलती कर दी, तो दंगे कराने वाले लखनऊ की गद्दी पर फिर से बैठ जाएंगे।”
इस तरह की बात कहकर अमित शाह ने मतदाताओं को दंगे की याद दिलाने का काम किया और वोटरों को अपने साथ आने के लिए सन्देश दिया। गृह मंत्री अमित शाह इतने पर ही नहीं रुके बल्कि उन्होंने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि, “दंगे में पीड़ितों को आरोपी और आरोपियों को पीड़ित बनाया गया। हज़ारों फर्जी केस दर्ज किए गए। वोट देने में गलती मत करना।मुज़फ़्फ़रनगर से लहर उठती है और काशी तक जाती है। योगी राज में गुंडे यूपी की बाउंड्री से बाहर हो गए हैं।” गृह मंत्री अमित शाह ने इस प्रकार की बात कहकर सीधे-सीधे मतदाताओं की भावनाओं को कुरेदते हुए हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण का प्रयास किया।
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तो बहुत ही ज्यादा बढ़-चढ़ कर बोल रहे हैं। वह बोलते समय यह भी नहीं ध्यान रखते हैं कि किस प्रकार की भाषा का प्रयोग करना चाहिए। योगी आदित्यनाथ ने गाजियाबाद के मुरादनगर में भाजपा के पक्ष में चुनाव प्रचार करते हुए कहा कि, “अब कैराना से कोई पलायन नहीं होगा। पलायन करवाने वाले उत्तर प्रदेश से पलायन कर गए हैं। मुज़फ़्फ़रनगर में दंगा करवाने वाले क्या जनता से वोट मांगने के हकदार हैं? मुज़फ़्फ़रनगर, कैराना, बुलन्दशहर, श्याना और मुरादाबाद के दंगों के जिम्मेदार आरोपियों को सपा ने अपना उम्मीदवार बनाया है। 5 साल तक बिलों में घुसे रहे ऐसे लोग अब नेता बनने का ख्वाब देख रहे हैं। लेकिन इन्हें पता नहीं है कि 10 मार्च के बाद भी प्रदेश में कानून का राज कायम रहेगा।”
योगी आदित्यनाथ ने इस प्रकार की बात कहकर मतदाताओं को कैराना के पलायन और मुज़फ़्फ़रनगर के दंगे की याद दिलवाई। इस तरह की बात कहकर योगी आदित्यनाथ ने हिंदू वोटों के ध्रुवीकरण का पूरा-पूरा प्रयास किया। योगी आदित्यनाथ ने 30 जनवरी को हापुड़ के पिलखुआ में मतदाता संवाद कार्यक्रम में कहा कि, “यह जो दो लड़कों की जोड़ी आ रही है, यह दंगा कराने की साज़िश के लिए आ रही है। पिछले 5 साल से अपने बिलों में घुसे दंगाई अब बाहर आकर गर्मी दिखा रहे हैं। 10 मार्च के बाद सारी गर्मी निकल जाएगी।”
मुख्यमंत्री जैसे बड़े पद पर बैठने वाले व्यक्ति को इस प्रकार की बात करना शोभा नहीं देता है। विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए योगी आदित्यनाथ इतने निम्न स्तर पर उतर कर विपक्षी दलों के नेताओं के बारे में जो बात कह रहे हैं, वह किसी मुख्यमंत्री की भाषा को शोभा नहीं देता है। योगी आदित्यनाथ दो लड़कों की जोड़ी की बात जयंत चौधरी और अखिलेश यादव के लिए कह रहे हैं। योगी आदित्यनाथ की राजनीति का स्तर इतना गिर गया है कि वह अब विपक्षी दलों के नेताओं तक को दंगाई कहने से नहीं चूक रहे हैं। इस प्रकार की बात कहना इनकी हताशा को ज़ाहिर करता है। इनको अब लग रहा है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के चुनावी रण में भाजपा बहुत पिछड़ रही है, इसीलिए हताशा में योगी आदित्यनाथ इस प्रकार की बात कह और कर रहे हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए भाजपा के बड़े-बड़े नेता इस क्षेत्र का बराबर दौरा कर रहे हैं और मतदाताओं को लुभाने का काम कर रहे हैं। लेकिन इसके साथ ही वह पलायन के मुद्दे को नहीं भूलते हैं। वह जब भी जनता से अपनी बात कहते हैं, तो पलायन की बात जरूर करते हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, संजीव बालियान, यूपी के दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और दिनेश शर्मा तथा यूपी भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह जैसे नेता पश्चिमी उत्तर प्रदेश का लगातार दौरा कर रहे हैं और मतदाताओं को रिझाने का काम करते हुए भाजपा के पाले में लाने का जीतोड़ प्रयास कर रहे हैं, लेकिन मतदाताओं ने चुप्पी साध रखी है। मतदाताओं के खुलकर न बोलने से भाजपा नेताओं को जाड़े के मौसम में पसीना आ रहा है। भाजपा नेता पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी जीत के लिए लालायित हैं, लेकिन ऊंट किस करवट बैठेगा यह आने वाले वक्त पर ही निर्भर है।