सैयद ख़लीक अहमद
नई दिल्ली | मलयालम टीवी चैनल “मीडिया वन” के प्रसारण पर मोदी सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाये जाने के कुछ घंटों के अंदर ही केरल उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के इस फैसले पर बुधवार तक के लिए रोक लगा दी है जो अगली सुनवाई 2 फरवरी तक जारी रहेगी.
सरकार की कार्रवाई पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष उमाकांत लखेरा ने कहा, “सरकार ने मीडिया वन के साथ जो किया है वह किसी भी लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार के लिए एक अच्छा संकेत नहीं है. मीडिया वन टीवी चैनल जैसे प्रतिष्ठित मीडिया हाउस के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाए जाने से ऐसा प्रतीत कि मानो अन्य टीवी मीडिया हाउसेज़ को भी संदेश दिया जा रहा है कि अपने प्रसारण पर प्रतिबंध के लिए वो भी तैयार रहे.
अदालत ने माध्यमम ब्रॉडकास्टिंग लिमिटेड के स्वामित्व वाले चैनल मीडिया वन द्वारा दायर एक याचिका पर आदेश जारी किया. उच्च न्यायालय ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सरकारी अधिवक्ता को सरकार से विस्तृत निर्देश प्राप्त कर बुधवार को उन्हें जमा करने को कहा है.
हालांकि, केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता एस मनु ने सरकार की कार्रवाई पर अंतरिम रोक का विरोध करते हुए कहा कि समाचारों का प्रसारण एक आवश्यक सेवा नहीं है. इसके अलावा, उन्होंने कहा कि सरकार ने सुरक्षा कारणों से ट्रांसमिशन ऑर्डर वापस ले लिया था.
लेकिन न्यायमूर्ति एन नागरेश ने प्रतिबंध के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी और मामले को बुधवार (2 फरवरी) को सुनवाई के लिए विचाराधीन कर दिया.
चैनल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एस. श्रीकुमार ने अदालत को बताया कि कंपनी को 5 जनवरी, 2022 को एक नोटिस मिला था. केंद्र सरकार द्वारा जारी नोटिस में कंपनी से पूछा गया था कि सुरक्षा कारणों और सार्वजनिक व्यवस्था को देखते हुए उसका लाइसेंस रद्द क्यों नहीं किया जाना चाहिए.
कंपनी के वकील ने तर्क दिया कि टीवी चैनल ने सरकार से अनुरोध किया कि वह अपने प्रतिबंध के आदेश पर आगे नहीं बढ़े क्योंकि सरकार ने सुरक्षा मंजूरी से इनकार के बारे में सूचित नहीं किया था. लेकिन सरकार ने तुरंत चैनल का लाइसेंस रद्द कर दिया. इसलिए मीडिया वन चैनल आज (31 जनवरी, 2022) दोपहर 12.30 बजे ऑफ एयर हो गया.
याचिकाकर्ता चैनल के वकील ने यह भी दलील दी कि ऐसा नोटिस केवल गृह मंत्रालय द्वारा जारी किया जा सकता है, सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा नहीं.
टीवी चैनल ने यह भी कहा कि वह राष्ट्र विरोधी गतिविधि में शामिल नहीं रहा है. कंपनी ने अनुरोध किया कि चैनल को लेकर भारी निवेश को देखते हुए सूचना और प्रसारण मंत्रालय के आदेश को रद्द कर दिया जाए.
ऐसा पहली बार नहीं है कि सरकार ने मीडिया वन के कार्यक्रमों के प्रसारण पर रोक लगाई है. मार्च 2020 में, “सुरक्षा कारणों” के नाम पर मीडिया वन चैनल पर एक अन्य मलयालम भाषा के समाचार चैनल, एशियानेट न्यूज़ चैनल के साथ 48 घंटों के लिए कार्यक्रमों को प्रसारित करने पर प्रतिबंध लगा दिया था. सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने अपने आदेश में आरोप लगाया था कि दोनों चैनलों की समाचार सामग्री भड़काऊ थी और इन्होंने कानून और व्यवस्था एजेंसियों के साथ-साथ नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) का समर्थन करने वालों की आलोचना की. मंत्रालय ने दोनों चैनलों पर अपने समाचार कवरेज के माध्यम से एक विशेष समुदाय का समर्थन करने का भी आरोप लगाया था. हालांकि मंत्रालय ने 48 घंटे बाद दोनों चैनलों पर लगे प्रतिबंध को वापस ले लिया था.
सरकार ने प्रतिबंध का कारण नहीं बताया: प्रमोद रमन, मीडिया वन संपादक
मीडिया वन के संपादक प्रमोद रमन ने इंडिया टुमारो को फोन पर बताया कि, “सरकार ने प्रतिबंध के पीछे का कारण स्पष्ट नहीं किया है.”
उन्होंने बताया कि, “हमें इसके बारे में पूरी तरह से अंधेरे में रखा गया था. ट्रांसमिशन लाइसेंस के नवीनीकरण की सामान्य प्रक्रिया मई 2021 से चल रही थी, लेकिन सरकार ने कभी भी चैनल द्वारा सुरक्षा उल्लंघन किये जाने के बारे में नहीं बताया.”
प्रमोद रमन ने आगे बताया कि, “इस महीने की शुरुआत में ही सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने एक नोटिस जारी कर पूछा था कि सुरक्षा कारणों से चैनल का ट्रांसमिशन लाइसेंस रद्द क्यों नहीं किया जाना चाहिए?”
सुरक्षा भंग का कोई सवाल ही नहीं: मीडिया वन संपादक
रमन ने कहा, “सुरक्षा उल्लंघन किये जाने का कोई सवाल ही नहीं था क्योंकि हमने सभी सुरक्षा मानकों का पालन किया था. लेकिन सरकार आश्वस्त नहीं थी, और आज सरकार ने प्रसारण पर प्रतिबंध लगाने का आदेश जारी कर दिया. हमें लगता है कि हमारे मामले में न्याय नहीं किया गया.”
रमन ने कहा कि जब सरकार ने मार्च 2020 में प्रतिबंध आदेश जारी किया था, तो कंपनी ने सरकार द्वारा उठाई गई चिंताओं का जवाब दिया था और लाइसेंस का नवीनीकरण भी किया गया था.
अन्य टीवी चैनलों को धमकाने की साज़िश: प्रेस क्लब ऑफ इंडिया अध्यक्ष, उमाकांत लखेरा
प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष उमाकांत लखेरा ने कहा कि सरकार ने मीडिया वन के साथ जो किया है वह लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार के लिए एक अच्छा संकेत नहीं है. मीडिया वन टीवी चैनल जैसे मीडिया हाउस के प्रसारण पर प्रतिबंध लगाए जाने से ऐसा प्रतीत कि मानो अन्य टीवी मीडिया हाउसेज़ को भी संदेश दिया जा रहा है कि वो भी अपने प्रसारण पर प्रतिबंध के लिए वो भी तैयार रहे.
लखेरा ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 तहत भारत के नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और सूचना के मुक्त प्रवाह की गारंटी दी गई है. उन्होंने कहा, “हम भारत के संविधान से अपनी ताकत हासिल करते हैं.”
लखेरा ने कहा, “हालांकि, अगर राष्ट्र के लिए खतरा है या किसी की गतिविधियों से राष्ट्रीय हित को नुकसान पहुंचता है, तो ऐसे मामलों से निपटने के लिए पर्याप्त कानून हैं.”
उन्होंने सुझाव दिया कि, “सरकार को ठोस सबूतों के आधार पर खतरे के बारे में अवगत करना चाहिए, न कि कमज़ोर आधार पर.”