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Tuesday, May 14, 2024
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UP चीफ सेक्रेटरी ने नई पेंशन को बताया लाभकारी, BJP को फायदा पहुंचाने का लग रहा आरोप

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ | उत्तर प्रदेश में शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों की मांग पर सपा ने पुरानी पेंशन बहाली की उनकी मांग को अपने मेनिफेस्टो में शामिल कर लिया है और राज्य में नई सरकार बनने पर उनकी मांग को पूरा करने का वादा किया है। सपा के इस चुनावी मुद्दे से भाजपा की परेशानी बढ़ गई है। ऐसे समय में यूपी के चीफ सेक्रेटरी भाजपा के बचाव में उतर आए हैं, जो सरासर गलत है।

उत्तर प्रदेश में पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर राज्य के शिक्षक और सरकारी कर्मचारियों द्वारा काफी लम्बे समय से आंदोलन चलाया जा रहा है और अपनी मांग को पूरा करने के लिए सरकार से कहा जा रहा है। लेकिन राज्य सरकार इस मांग से मुंह फेरे हुए है।

यूपी में विधानसभा चुनाव की घोषणा होने के पहले राज्य में शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर जिले से लेकर प्रदेश तक आंदोलन और धरना- प्रदर्शन किया था तथा पुरानी पेंशन बहाली की मांग की थी।

पुरानी पेंशन बहाली न होने की स्थिति में इन्होंने खुलेआम योगी आदित्यनाथ की सरकार को विधानसभा चुनाव में हरा देने की धमकी तक दिया था। लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इनकी मांग को अनसुना कर दिया। इसके बाद इन्होंने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात की और उनके सामने अपनी मांग को रखा।

अखिलेश यादव ने इनसे कुछ समय की मोहलत मांगी। इसके बाद अखिलेश यादव ने कुछ विशषज्ञों से राय-मशविरा किया, विशषज्ञों द्वारा हामी भरे जाने पर अखिलेश यादव ने शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों की मांग को अपने मेनिफेस्टो में शामिल किया और राज्य में सपा की सरकार बनने पर इसको पूरा करने का वादा किया।

इसके बाद शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों ने विधानसभा चुनाव में सपा के पक्ष में मतदान करने का अखिलेश यादव को भरोसा दिया। अखिलेश यादव द्वारा शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली की मांग को सपा के मेनिफेस्टो में शामिल करने की खबर जब भाजपा को मिली, तो उसे तगड़ा झटका लगा।

भाजपा की मुश्किलें बढ़ने की मुख्य वजह शिक्षकों और सरकारी कर्मचारियों का सपा के पाले में चले जाना है। इनके सपा के साथ जाने से भाजपा को विधानसभा चुनाव में अपनी हार नज़र आने लगी, क्योंकि यही शिक्षक और सरकारी कर्मचारी ही सरकारी मशीनरी हैं। यही चुनाव करवाते हैं, चाहे वह लोकसभा का हो या विधानसभा का। यह चुनाव की घोषणा होते ही सरकारी मशीनरी के रूप में कार्य करने लगते हैं।

चुनाव की घोषणा होने के साथ ही यह अपना काम शुरू कर देते हैं और चुनाव सम्पन्न होने के बाद मतगणना करने एवं परिणाम आने तक इनकी बड़ी भूमिका रहती है। चुनाव आयोग के दिशा निर्देश पर यही सरकारी मशीनरी के रूप में काम करते हैं। चुनाव आयोग का अलग से अपना कोई स्टाफ नहीं होता है। ऐसी स्थिति में भाजपा के लिए किसी बड़े झटके और सदमे से कम नहीं है। भाजपा इन परिस्थितियों के कारण काफी डर गई है और उसे इस समस्या का कोई हल नज़र नहीं आ रहा है।

यूपी के चीफ सेक्रेटरी दुर्गा शंकर मिश्र अब भाजपा की मदद करने के लिए सामने आए हैं और उन्होंने सपा के चुनावी मुद्दे पुरानी पेंशन बहाली को कमज़ोर करने के लिए कमर कसकर भाजपा का बचाव करने के लिए मैदान में उतर आए हैं। उन्होंने भाजपा की मदद करने के लिए नई पेंशन को पुरानी पेंशन से ज्यादा लाभकारी बताया है।

चीफ सेक्रेटरी दुर्गा शंकर मिश्र ने पुरानी पेंशन व राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के लाभ की तुलनात्मक समीक्षा करते हुए नई पेंशन को अधिक लाभकारी बताया है। उन्होंने कहा है कि, “रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली धनराशि एनपीएस के अंतर्गत काफी अधिक है। रिटायरमेंट पर मिलने वाली धनराशि को अन्य बचत योजनाओं में निवेश करके और भी अधिक लाभ लिया जा सकता है।”

चीफ सेक्रेटरी ने नई पेंशन के लाभ गिनाए। उन्होंने कहा कि, “एनपीएस के अंतर्गत ग्रेच्युटी, अवकाश नगदीकरण व सामुहिक बीमा योजना पूर्व की भांति अनुमन्य हैं। किसी कार्मिक की मृत्यु सेवाकाल में होने पर आश्रितों को दो विकल्प उपलब्ध हैं। वे चाहें तो पुरानी पेंशन योजना में अनुमन्य पारिवारिक पेंशन चुनें या एनपीएस। एनपीएस में कर्मचारी वेतन का 10 प्रतिशत जबकि राज्य सरकार 14 प्रतिशत अंशदान देती है। कर्मचारी अपना अंशदान बढ़ा भी सकते हैं। रिटायरमेंट कर्मचारियों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति तथा कैशलेस इलाज की सुविधा पूर्ववत मिलती रहेगी।”

इसके अलावा चीफ सेक्रेटरी ने एन पी एस से आच्छादित कर्मचारियों के मृतक आश्रित का सेवायोजन भी संगत नियमों के अधीन अनुमन्य होना बताया है। उन्होंने एन पी एस के अंतर्गत पेंशन खाते के अतिरिक्त जीपीएफ की तरह खाता खोलने का प्रावधान होना भी बताया।

उन्होंने कहा है कि, “एनपीएस में रिस्क को न्यूनतम स्तर पर किया गया है। जमा धनराशि का 85 प्रतिशत गवर्मेन्ट सिक्योरिटी में निवेश किया जाता है, जिसमें कोई रिस्क नहीं है। बाकी 15 प्रतिशत प्रोफेशनल फंड मैनेजर के माध्यम से निवेश किया जाता है। वर्तमान समय में एनपीएस के अंतर्गत जमा धनराशि का ग्रोथ करीब 9.5 प्रतिशत तक है, जबकि जीपीएफ में मात्र 7.1 प्रतिशत का ग्रोथ मिल रहा है।

चीफ सेक्रेटरी दुर्गा शंकर मिश्र यहीं पर नहीं रुके हैं बल्कि उन्होंने अपर मुख्य सचिव कार्मिक देवेश चतुर्वेदी और अपर मुख्य सचिव वित्त एस राधा चौहान से कहा है कि वह पुरानी पेंशन और नई पेंशन का तुलनात्मक चार्ट कर्मचारियों के संगठनों के प्रतिनिधियों को उपलब्ध करवाएं। सभी कर्मचारी संगठनों के अध्यक्ष को पुरानी पेंशन और नई पेंशन का तुलनात्मक चार्ट भेजा जाए, जिससे किसी भी प्रकार के संशय की गुंजाइश न रहे।

चीफ सेक्रेटरी दुर्गा शंकर मिश्र इस तरह की बात करके और कहकर भाजपा एवं यूपी सरकार की खुलकर मदद कर रहे हैं। जबकि उनको इस प्रकार का कोई काम नहीं करना चाहिए। अब जब यूपी में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया शुरू है, तो चीफ सेक्रेटरी दुर्गा शंकर मिश्र को विरोधी दल के मेनिफेस्टो में शामिल किसी चुनावी मुद्दे को कमजोर करने और सत्तारूढ़ दल को फायदा पहुंचाने का काम नहीं करना चाहिए।

सत्तारूढ़ दल को फायदा पहुंचाने के लिए चुनाव प्रक्रिया के दौरान उनके द्वारा पुरानी पेंशन के मुकाबले नई पेंशन को लाभकारी बताया जाना चुनाव आचार संहिता का खुलेआम उल्लंघन करना है। यही नहीं, चीफ सेक्रेटरी ने कर्मचारियों के संगठनों के अध्यक्ष को पुरानी पेंशन और नई पेंशन का तुलनात्मक चार्ट भिजवाने का जो काम किया है, वह भी आदर्श चुनाव आचार संहिता के विरुद्ध है। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।

चीफ सेक्रेटरी दुर्गा शंकर मिश्र को यह नहीं भूलना चाहिए कि विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य सरकार की भूमिका कार्यवाहक सरकार के रूप में होती है और वह कोई जनता को या कर्मचारियों को लाभ पहुंचाने वाला निर्णय नहीं ले सकती है। ऐसी स्थिति में चीफ सेक्रेटरी द्वारा पुरानी पेंशन के मुकाबले नई पेंशन को लाभकारी बताया जाना गलत ही नहीं है बल्कि चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है।

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