अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो
लखनऊ | यूपी विधानसभा चुनाव में भाजपा को तगड़ी टक्कर देने के लिए सपा ने व्यूह रचना की है। सपा ने कई बड़े ब्राह्मण नेताओं को पार्टी में शामिल कर भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। चुनावी मैदान में भाजपा को शिकस्त देने के लिए सपा काफी समय से ताना बाना बुन रही थी। भाजपा जिस तरह पूर्वांचल में अधिकांश विधानसभा सीटों पर कब्जा करने की कवायद कर रही थी, उससे सपा अपने को असहज महसूस कर रही थी।
भाजपा का पूरा ध्यान पूर्वांचल में लगा हुआ है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद भाजपा की नैय्या पार लगाने के लिए लगातार पूर्वांचल का दौरा कर रहे हैं और पूर्वांचल में तमाम योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण कर रहे हैं। वे पूर्वांचल में विभिन्न योजनाओं की सौगात बांटकर मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहे हैं। वह लगातार पूर्वांचल का दौरा कर भाजपा के पक्ष में राजनीतिक समीकरण बिठाने का काम कर रहे हैं। साथ ही भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान, यूपी भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पूर्वांचल के हर जिले में जा रहे हैं और मतदाताओं को भाजपा के साथ लाने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं।
सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर और उनके भागीदारी मोर्चा के सपा के साथ आने से भाजपा की आंखों की नींद गायब हो गई है। इनके सपा के साथ आने से भाजपा की हार पूर्वांचल में लगभग तय मानी जा रही है। इसलिए भाजपा पूर्वांचल में पूरी ताकत लगा रही है। भाजपा का मानना है कि पूर्वांचल में योजनाओं का पिटारा खोल देने से जनता उसके साथ आ जायेगी और वह पूर्वांचल में अधिक विधानसभा सीटें जीतकर यूपी की सत्ता हासिल कर लेगी। भाजपा इसीलिए पूर्वांचल में सारी कवायद कर रही है।
सपा के साथ ओम प्रकाश राजभर और उनके भागीदारी मोर्चा के साथ आने से सपा की ताकत बढ़ गई थी। लेकिन सपा को पूर्वांचल में बड़े ब्राह्मण नेताओं की तलाश थी, जो भाजपा को हराने में उसके लिए कारगर साबित हों। क्योंकि भाजपा के साथ क्षत्रिय समाज के मतदाता खड़े हैं और योगी आदित्यनाथ का चेहरा ठाकुर बिरादरी समर्थक और अन्य जातियों का विरोधी है।
पूर्वांचल में ब्राह्मण वर्ग के मतदाताओं की तादाद काफी है। योगी राज में ब्राह्मणों की काफी हत्यायें हुई हैं और ब्राम्हणों का काफी अपमान किया गया है। ब्राह्मण भाजपा से नाराज़ हैं। केवल पिछड़ों के दम पर राज्य में सरकार नहीं बनाई जा सकती है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इस बात को बखूबी जानते हैं, इसीलिए वह काफी समय से पूर्वांचल में बड़े-बड़े ब्राम्हण नेताओं को सपा में लाने की व्यूह रचना कर रहे थे। इस व्यूह रचना के जरिए अखिलेश यादव सपा में बड़े ब्राह्मण नेताओं को शामिल कर भाजपा को विधानसभा चुनाव में तगड़ी टक्कर देने का इरादा बनाए हुए थे। अखिलेश यादव ब्राह्मण नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल कर भाजपा को विधानसभा चुनाव में तगड़ी पटकनी देना चाहते हैं, इसीलिए वह सधे कदमों को आगे बढ़ाते हुए व्यूह रचना कर रहे थे। अखिलेश यादव की यह व्यूह रचना सफल हो गई है।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की व्यूह रचना सफल हो गई है और पूर्वांचल के बड़े ब्राह्मण नेता हरिशंकर तिवारी का परिवार सपा में शामिल हो गया है। हरिशंकर तिवारी पूर्वांचल के बड़े ब्राम्हण चेहरा हैं। इनका प्रभाव गोरखपुर, महराजगंज, बलिया, बस्ती, सन्तकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, देवरिया, कुशीनगर, मऊ, आज़मगढ़, जौनपुर, मछलीशहर, भदोही, बनारस तक है। ब्राह्मण इनकी बात को तवज्जो देते हैं। इनके योगी आदित्यनाथ से अच्छे रिश्ते नहीं हैं।
गोरखपुर में दो ही जगह सबकी जुबान पर रहती हैं। इनमें एक गोरखनाथ पीठ और दूसरा हाता है। गोरखनाथ पीठ में योगी आदित्यनाथ रहते हैं और हाता में हरिशंकर तिवारी। यूपी में सरकार किसी की भी रही हो, लेकिन गोरखपुर में हरिशंकर तिवारी की ही चलती रही है। लेकिन2017 में योगी आदित्यनाथ ने यूपी का सीएम बनकर हरिशंकर तिवारी के हाता स्थिति आवास पर पुलिस का छापा डलवाया और उनको अपमानित करवाया। इसको लेकर पूर्वांचल का ब्राम्हण योगी आदित्यनाथ से बहुत नाराज़ हो गया और आज भी ब्राह्मण योगी आदित्यनाथ से नाराज़ है।
हरिशंकर तिवारी पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक हैं। इनके एक पुत्र कुशल तिवारी पूर्व सांसद हैं और दूसरे पुत्र विनय शंकर तिवारी चिल्लूपार से विधायक हैं। यह दोनों बसपा में हैं। मायावती चूंकि अंदरखाने भाजपा और योगी आदित्यनाथ से मिली हुई हैं, इसलिए ब्राम्हण बसपा पर विश्वास नहीं कर पा रहा है। हरिशंकर तिवारी के बेटे कुशल तिवारी और विनय शंकर तिवारी सपा में शामिल हो गए हैं। इनके साथ ही उत्तर प्रदेश विधान परिषद के पूर्व सभापति और हरिशंकर तिवारी के भांजे गणेश शंकर पांडेय भी सपा में शामिल हो गए हैं। इनके साथ ही संतकबीरनगर जिले की खलीलाबाद सीट से भाजपा विधायक दिग्विजय नारायण चौबे उर्फ जय चौबे ने भी सपा का दामन थाम लिया है। गोंडा जिले की करनैलगंज सीट से बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके संतोष तिवारी भी सपा में शामिल हो गए हैं।
सपा में हरिशंकर तिवारी के बेटों के शामिल होने से पूर्वांचल में सपा बड़ी ताकत के रूप में उभर कर सामने आएगी। सपा को पूर्वांचल में ब्राम्हण वर्ग का बहुत बड़ा साथ मिलेगा और सपा भाजपा को तगड़ी टक्कर देने में ही समर्थ नहीं होगी बल्कि चुनावी मैदान में वह भाजपा को तगड़ी पटकनी भी देगी। पूर्वांचल के ब्राह्मणों से हरिशंकर तिवारी ने सलाह-मशविरा करके अपने बेटों और भांजे को सपा में शामिल करवाया है। पूर्वांचल में सपा के साथ पिछड़े वर्ग और अति पिछड़े वर्ग के मतदाता पहले से ही साथ हैं और अब ब्राह्मण नेताओं के साथ आने से भाजपा को लोहे के चने चबाने होंगे।
योगी आदित्यनाथ को सपा गोरखपुर में ही घेरने में कामयाब हो गई है और योगी आदित्यनाथ की इज्ज़त दांव पर लग गई है। हरिशंकर तिवारी पूर्वांचल में ब्राह्मणों में अपनी मज़बूत पकड़ रखते हैं, इनके सपा के साथ आने से पूर्वांचल में ब्राम्हण सपा के साथ खड़ा होगा और भाजपा को अपना वजूद बचाने के लिए मुश्किलों से जूझना होगा। संतोष तिवारी के सपा के साथ आने से गोंडा और बलरामपुर में भी सपा को बड़ी सफलता मिलेगी, क्योंकि संतोष तिवारी की भी जनता के बीच अच्छी पकड़ है।
हरिशंकर तिवारी और उनके बेटों को भाजपा में शामिल करवाने के लिए भाजपा के एक बड़े नेता ने पिछले दिनों काफी मशक्कत की, लेकिन ब्राम्हणों के सम्मान के लिए इन्होंने भाजपा को ज्वाईन करने से साफ इंकार कर दिया। हरिशंकर तिवारी की नाते -रिश्तेदारी गोरखपुर से लेकर बनारस तक हैं। हरिशंकर तिवारी सपा के लिए बड़े ही कारगर सिद्ध होंगे और भाजपा को हराने में कोई कोर -कसर नहीं छोंड़ेंगे। सूत्र बताते हैं कि अभी और ब्राम्हण नेता सपा में शामिल होंगे। हरिशंकर तिवारी के सपा के साथ आने से भाजपा को पूर्वांचल के जरिए यूपी की सत्ता को हासिल करने का सपना कभी नहीं पूरा होगा।
यहां यह ज्ञात हो कि हरिशंकर तिवारी पूर्वांचल में दबंग छवि के एक व्यक्ति रहे हैं। 1980 के दशक में हरिशंकर तिवारी और वीरेंद्र प्रताप शाही का नाम गोरखपुर में माफिया डॉन के रूप में उभरा था। एक तरह से इन्होंने ही पूर्वांचल में माफिया राज की शुरूआत की थी। वीरेंद्र प्रताप शाही के पीछे ठाकुर और हरिशंकर तिवारी के पीछे ब्राम्हण खड़े हुए थे। इन्होंने ठेकेदारी और टेंडर हासिल करके अपने को अपराध और राजनीतिक में स्थापित किया। इसके बाद हरिशंकर तिवारी और वीरेंद्र प्रताप शाही राजनीति में आ गए। दोनों अलग-अलग क्षेत्र से गोरखपुर जिले से विधायक चुने जाने लगे। बाद में वीरेंद्र प्रताप शाही की लखनऊ में हत्या कर दी गई। ऐसी चर्चा है कि वीरेंद्र प्रताप शाही की हत्या में हरिशंकर तिवारी की भूमिका है।
बीच में गोरखपुर में श्रीप्रकाश शुक्ला नाम का एक माफिया उभरा, जिसने गोरखपुर से लेकर यूपी की राजधानी लखनऊ तक को अपनी गुंडई और माफियागिरी से हिला दिया। लेकिन बाद में वह भी मारा गया। इसके बावजूद गोरखपुर में हरिशंकर तिवारी का डंका बजता रहा। हरिशंकर तिवारी विधायक से लेकर मंत्री तक बने। इसके पश्चात इनके बड़े लड़के कुशल तिवारी और विनय शंकर तिवारी राजनीति में कूद पड़े। कुशल तिवारी सांसद बने और विनय तिवारी हरिशंकर तिवारी की सीट चिल्लूपार से विधायक चुने जाने लगे। हरिशंकर तिवारी पर्दे के पीछे से राजनीति करने लगे।
हरिशंकर तिवारी पूर्वांचल के दबंग एवं माफिया डॉन राजनेता रहे हैं। पूर्वांचल में आज यह ब्राह्मणों के बड़े राजनेता हैं। इनकी जनता के बीच अच्छी पकड़ है। यह आमजनता के लिए सुलभ रहते हैं और आमजनता की मदद करते हैं। इसी कारण ब्राम्हणों के साथ ही अन्य वर्ग के मतदाताओं में भी इनकी पकड़ और पैठ है। यही वजह है कि इनके सपा में आने से सपा पूर्वांचल में मजबूत होकर विधानसभा चुनाव में भाजपा को तगड़ी टक्कर देगी।
सपा के साथ पूर्वांचल में अंसारी बन्धु सिबगतुल्लाह अंसारी, अफजाल अंसारी और मुख्तार अंसारी पहले से ही साथ हैं। इनका भी पूर्वांचल में एक दर्जन विधानसभा क्षेत्र में प्रभाव है। इनके प्रभाव क्षेत्र में वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर, चंदौली, मऊ, आज़मगढ़ और बलिया जिले की दर्जनों विधानसभा क्षेत्र हैं, जिनमें जनता के बीच इनकी मज़बूत पकड़ है। इन सभी समीकरण के चलते आज पूर्वांचल में विधानसभा चुनाव में सपा भाजपा को तगड़ी टक्कर देने की स्थिति में खड़ी हुई है।