इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | जमाअत इस्लामी हिन्द ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीन विवादित कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा को लोकतंत्र और किसानों की जीत बताया है. उन्होंने कहा है कि सरकार को CAA -NRC जैसे जनविरोधी क़ानून को भी वापस लेने पर विचार करना चाहिए.
मीडिया को दिए एक बयान में जमाअत इस्लामी हिन्द के अध्यक्ष सय्यद सआदतुल्लाह हुसैनी ने कहा है कि “कृषि कानूनों का निरस्त होना तय था और यह लोकतंत्र और हमारे देश के किसानों के लिए एक बड़ी जीत है. यह भारत के लोगों और उन सभी लोगों की भी जीत है जिन्होंने जन-विरोधी और किसान-विरोधी कानूनों के विरोध में किसानों का समर्थन किया.”
ज्ञात हो कि देशभर के किसान पिछले एक वर्ष से तीन विवादित कृषि क़ानूनों का विरोध कर रहे थे जिसने सरकार को बैकफुट पर ला दिया था. एक साल से चल रहे इस प्रदर्शन में 600 से अधिक किसानों ने शहादत दी है.
जमाअत इस्लामी हिन्द के अध्यक्ष ने कहा कि, “हमें इस बात का अफसोस है कि इन अन्यायपूर्ण कानूनों के खिलाफ लड़ने के लिए किसानों को इतनी भारी कीमत चुकानी पड़ी, हम उन सैकड़ों किसानों को श्रद्धांजलि देते हैं जिन्होंने इस आंदोलन में अपनी जानें क़ुर्बान की.”
जमाअत अध्यक्ष ने कहा कि, “किसानों के आंदोलन ने यह संदेश दिया है कि लोकतांत्रिक तरीके से शांतिपूर्ण विरोध कैसे किया जा सकता है और कैसे नागरिक समाज राष्ट्र और समाज के हितों के खिलाफ बने कानूनों और नीतियों को हटाने के लिए राष्ट्र की मदद करने में सकारात्मक भूमिका निभाते हैं.”
उन्होंने कहा कि, “हम अपने किसान भाइयों और बहनों के धैर्य और तपस्या को सलाम करते हैं जिन्होंने अपने उद्देश्य को जीवित रखने के लिए बलिदान दिया. अपमानित करने वाले शब्दों और बल प्रयोग के माध्यम से आंदोलन को कुचलने की कोशिश करने वाली सरकार कीबअसंवेदनशीलता को भी इस आंदोलन ने उजागर किया है.”
सआदतुल्लाह हसैनी ने कहा कि, “हम सरकार से आग्रह करते हैं कि सीएए-एनआरसी जैसे अन्य जनविरोधी और संविधान विरोधी कानूनों पर भी विचार करे और यह सुनिश्चित करे कि उन्हें भी जल्द से जल्द वापस ले लिया जाए.”
उन्होंने कहा कि, “हम खुश हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नें अंततः किसानों की मांगो को स्वीकार कर लिया. अगर इसको पहले ही कर लिया जाता तो जो नुकसान हुआ है उससे बचा जा सकता था.”