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Sunday, May 5, 2024
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UP: जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में BJP का 17 सीटों पर कब्जा, चुनाव की निष्पक्षता पर उठे सवाल

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

लखनऊ | उत्तर प्रदेश में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा ने 75 में से 17 जिला पंचायत अध्यक्ष के पदों पर कब्जा कर लिया है। राज्य में चुनावी धांधली को लेकर सपा ने राज्य चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की, लेकिन राज्य चुनाव आयोग मूक दर्शक बना रहा। चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर उंगलियां उठी हैं और उसकी भूमिका संदिग्ध हो गई है। यही नहीं मुख्य विपक्षी पार्टी सपा ने पार्टी में अनुशासन बनाए रखने के लिए अपने 12 पार्टी जिला अध्यक्षों को बर्खास्त कर दिया है।

उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा ने अपनी खराब हुई छवि को ठीक करने के लिए एक योजना बनाई थी। इस योजना को सफल बना कर भाजपा देश और प्रदेश के लोगों को यह संदेश देने का प्रयास कर रही थी कि पार्टी मजबूत है तथा जनता उसके साथ है।इसीलिए इस योजना के तहत भाजपा राज्य में अधिकतर जिलों में अपना जिला पंचायत अध्यक्ष बनाना चाहती थी। राज्य में अपने अधिक जिला पंचायत अध्यक्ष बनाकर भाजपा लोगों को यह संदेश देना चाहती थी कि राज्य में वह अभी भी मजबूत है और लोगों का समर्थन उसको प्राप्त है।

भाजपा ने पिछले दिनों राजधानी लखनऊ में पार्टी की और आरएसएस की बड़ी बैठक के बाद इस तरह का संकेत देते हुए कहा था कि उत्तर प्रदेश में 75 में से 60 उसके जिला पंचायत अध्यक्ष चुने जाएंगे। भाजपा के द्वारा इस प्रकार की बात कहने पर तुरंत यह चर्चा आम हुई थी कि जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में कुछ न कुछ गड़बड़ी अवश्य होगी। इसका कारण यह था कि राज्य में हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में भाजपा के पर्याप्त जिला पंचायत सदस्य नहीं चुने गए थे और सबसे अधिक जिला पंचायत सदस्य सपा के चुने गए थे। इसलिए उत्तर प्रदेश में लोगों को भाजपा द्वारा गड़बड़ी किए जाने की आशंका लग रही थी।

हालांकि, ठीक वैसा ही हुआ जैसी लोगों को आशंका थी। राज्य में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में 26 जून को हुए नामांकन में भाजपा द्वारा जिलों में प्रशासन से सांठगांठ कर 17 जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर कब्जा कर लिया गया। विपक्षी पार्टियों के उम्मीदवारों को नामांकन पत्र दाखिल करने नहीं दिया गया। इस प्रकार इन 17 जिलों में भाजपा के निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हो गए हैं और इनकी नियमानुसार घोषणा किया जाना बाकी है। इन्हें 29 जून को विधिवत निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया जाएगा, क्योंकि 29 जून नामांकन पत्र वापस लिए जाने की तारीख निर्धारित है। शेष जिलों में 3 जुलाई को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए मतदान होगा और इसी दिन परिणाम घोषित कर दिया जाएगा।

उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए 26 जून को चुनावी प्रक्रिया शुरू हुई। चुनाव के लिए राजनीतिक दलों ने अपने -अपने उम्मीदवार घोषित किया और उनके नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए तैयारी आरम्भ की।नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए उम्मीदवार अपने- अपने जिलों में निर्वाचन अधिकारी के सामने जाने की तैयारी करने लगे कि इसी बीच यह खबरें आनी शुरू हो गईं कि विपक्षी पार्टियों के उम्मीदवारों को नामांकन पत्र दाखिल करने से रोका जा रहा है। इस तरह की खबरें पूरे प्रदेश में चर्चा में आईं।

इसी बीच सत्तारूढ़ भाजपा के इशारे पर प्रशासनिक अधिकारियों ने भाजपा उम्मीदवारों का नामांकन पत्र तो दाखिल करवा दिया, लेकिन विपक्षी पार्टियों के उम्मीदवारों को नामांकन पत्र दाखिल करने में कोई सहयोग नहीं किया। सत्तारूढ़ भाजपा के कार्यकताओं ने दबंगई के बल पर सपा उम्मीदवारों को 12 जिलों में नामांकन दाखिल नहीं करने दिया। भाजपा उम्मीदवार नामांकन के अंतिम समय तक नामांकन कक्ष में नामांकन अधिकारी के साथ बैठे रहे, जिससे विरोधी पार्टी के उम्मीदवार नामांकन पत्र न दाखिल करने पाएं।

गोरखपुर में तो भाजपा उम्मीदवार साधना सिंह ने 11 बजकर 45 मिनट पर अपना नामांकन पत्र दाखिल कर दिया, लेकिन निर्वाचन अधिकारी के पास नामांकन दाखिल करने के अंतिम समय तक बैठी रहीं। साधना सिंह उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह की पुत्रवधू हैं और यह पहले भी बसपा के शासन कॉल में गोरखपुर से जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं। इनके पति फतेह बहादुर सिंह पूर्व मंत्री हैं और वर्तमान समय में भाजपा के विधायक हैं। इस तरह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने घर गोरखपुर को बचाया है और अपना जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया है।

इसी प्रकार देवीपाटन मंडल के 4 जिलों में से 3 में भाजपा ने दबंगई करके अपने जिला पंचायत अध्यक्ष बनाया है। गोंडा में घनश्याम मिश्र, बलरामपुर में आरती तिवारी और श्रावस्ती में दद्दन मिश्रा भाजपा सांसद जिला पंचायत अध्यक्ष बने हैं। आगरा में मंजू भदौरिया, गाजियाबाद में ममता त्यागी, मुरादाबाद में डॉ शेफाली, बुलन्दशहर में डॉ अंतुल तेवतिया, झांसी में पवन कुमार गौतम, ललितपुर में कैलाश निरंजन, मऊ में मनोज राय, चित्रकूट में अशोक जाटव गौतमबुद्धनगर में अमित चौधरी निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हो गए हैं।

इन पंक्तियों के लिखे जाने तक मेरठ से भाजपा के गौरव चौधरी और अमरोहा से ललित तंवर भी निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष चुने गए हैं। मेरठ से चुने गए गौरव चौधरी व्यापारी हैं, जबकि ललित तंवर अमरोहा के सांसद कंवर सिंह तंवर के पुत्र हैं। भाजपा की ओर से यह दावा किया जा रहा था कि उसके 25 जिला पंचायत अध्यक्ष निर्विरोध जीतेंगे। बागपत में भी भाजपा ने जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर कब्जा करने के लिए बड़े तिकड़म किया, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली। बागपत से राष्ट्रीय लोक दल और सपा के संयुक्त उम्मीदवार ममता किशोर को बागपत के भाजपा सांसद सतपाल सिंह ने जबरन भाजपा की सदस्यता ग्रहण करवा कर दी।

इस मामले की जानकारी होने पर राष्ट्रीय लोक दल और सपा ने ममता किशोर को सतपाल सिंह के कब्जे से मुक्त कराया। ममता किशोर ने सतपाल सिंह के ऊपर आरोप लगाया है और कहा है कि सतपाल सिंह ने उसका अपहरण कर लिया था और जबरन भाजपा में शामिल किया था। वह राष्ट्रीय लोक दल की सच्ची सिपाही है। इस तरह भाजपा बैकफुट पर आ गई है। ममता त्यागी गाजियाबाद में निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हुई हैं। ममता त्यागी भाजपा के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष बसंत त्यागी की पत्नी हैं।

यहां यह बात गौर करने लायक है कि भाजपा ने सबसे अधिक निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बनाए हैं। भाजपा ने इसलिए यह सब काम किया है, जिससे लोगों के बीच यह संदेश जाए कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा बड़ी मजबूत पार्टी है और इसी कारण इतनी अधिक सीटें जीती हैं। लोगों के बीच भाजपा इस प्रकार भृम फैलाने का काम कर रही है। जबकि सच्चाई इसके ठीक विपरीत है।

आज पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा सबसे कमजोर पार्टी के रूप में खड़ी है। जब पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के अधिक जिला पंचायत सदस्य चुने ही नहीं गए हैं तो उसके जिला पंचायत अध्यक्ष कैसे ज्यादा चुने गए हैं, इसे जनता अच्छी तरह जानती है। जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर जबरन कब्जा जमा कर भाजपा खुशफहमी में जी रही है यानी भाजपा खुशफहमी का शिकार हो गई है। जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर कब्जा करने से विधान सभा चुनाव नहीं जीता जा सकता है। असली चुनाव तो विधान सभा का होगा, जिसमें भाजपा को उसकी असलियत का पता चलेगा। जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर कब्जा करने से कुछ नहीं होता है, क्योंकि जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर कब्जा कैसे किया जाता है इसे सभी जानते हैं।

राज्य में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में भाजपा ने अपनी सत्ता का जमकर दुरुपयोग किया है, यह किसी से छिपा हुआ नहीं है। सरकारी मशीनरी का जमकर दुरुपयोग किया गया है और सरकारी मशीनरी ने सत्ता का साथ दिया है। चुनाव में गड़बड़ी की खबर राज्य चुनाव आयोग को मिलने के बाद भी उसकी तरफ से कोई कार्यवाही नहीं करने से यानी चुनाव आयोग के मूक दर्शक बने रहने से उसकी भूमिका पर भी उंगलियां उठी हैं। चुनाव आयोग संदेह के घेरे में है।

जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में गड़बड़ी की शिकायत समाजवादी पार्टी ने राज्य चुनाव आयोग से समय पर की। सपा ने अपने दो सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल को राज्य चुनाव आयोग के पास तुरंत भेजा और चुनाव में की जा रही गड़बड़ी की शिकायत दर्ज कराई। सपा प्रतिनिधि मंडल के सदस्य विधान परिषद सदस्य उदय वीर सिंह और राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव राय ने राज्य चुनाव आयोग से गोरखपुर, झांसी, मुरादाबाद, चित्रकूट, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, ललितपुर, गाजियाबाद, भदोही, हमीरपुर और मऊ में सपा उम्मीदवारों को नामांकन पत्र न दाखिल करने देने की शिकायत दर्ज कराई और तुरंत कार्यवाही करने के लिए कहा। किंतु राज्य चुनाव आयोग ने कोई कार्यवाही नहीं की बल्कि इनमें से भदोही और हमीरपुर को छोंड़कर बाकी सभी जिलों में भाजपा के निर्विरोध जिला पंचायत अध्यक्ष निर्वाचित हो गए। इस प्रकार राज्य चुनाव आयोग की निष्पक्षता भी संदेह के घेरे में आ गई है। राज्य चुनाव आयोग अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में असफल रहा है।

अब उत्तर प्रदेश में 75 जिला पंचायत अध्यक्ष पद में से 57 जिलों में ही जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव होगा। कुछ जिलों में यह चुनाव बड़ा ही रोचक होने का अनुमान लगाया जा रहा है। मसलन रायबरेली, अमेठी, आजमगढ़, इटावा, बलिया ,अयोध्या, वाराणसी मथुरा, अलीगढ़ और बागपत के चुनाव परिणाम पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं।

समाजवादी पार्टी ने इसी बीच कड़े कदम उठाते हुए पार्टी में अनुशासन को बरकरार रखने के लिए पार्टी के 11 जिलाध्यक्ष को उनके पद से बर्खास्त कर दिया है। सपा के इस कदम से भितरघात करने वाले पार्टी नेताओं को तगड़ा झटका लगा है और उन्हें यह महसूस हो गया है कि अगर कोई गड़बड़ी की गई तो पार्टी से बाहर जाने में देर नहीं लगेगी।

सपा ने अपने जिन 11 जिला अध्यक्ष को उनके पद से बर्खास्त किया है, वे जिले गोरखपुर, मुरादाबाद, झांसी, आगरा, गौतमबुद्धनगर, मऊ, बलरामपुर, श्रावस्ती, भदोही और गोंडा एवं ललितपुर हैं। सपा के यूपी अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल का इस संबंध में कहना है कि, सपा में पार्टी के विरुद्ध काम करने वाले लोगों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। पार्टी की सर्वोच्च प्राथमिकता पार्टी में अनुशासन को बनाए रखना है।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस चुनाव को लेकर कहा है कि, जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर कब्जा करने का भाजपा का यह एक नया तरीका है। वे कहते हैं कि, बेजेपी का चुनाव जीतने का यह नया प्रशासनिक हथकंडा है। भाजपा जितने जिला पंचायत अध्यक्ष इस तरह से बनाएगी, जनता विधानसभा चुनाव में उन्हें इतनी सीट नहीं देगी।

इस चुनाव में बसपा ने भाजपा को वॉकओवर दे दिया है। बसपा ने इस मुद्दे पर चुप्पी लगा रखी है। बसपा की चुप्पी साधे रहने से यह अब साफ हो गया है कि बसपा सुप्रीमो मायावती की भाजपा से सांठगांठ है। अब बसपा का भाजपा प्रेम जग जाहिर हो गया है। भाजपा को इसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा।

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