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Saturday, May 4, 2024
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पंजाब की एक मस्जिद में 74 साल बाद हुई नमाज़, सिख महिला अमरीक कौर करती थीं देखभाल

इंडिया टुमारो को पंजाब के नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी ने बताया कि, “यह मस्जिद तकरीबन तीन सौ साल पुरानी है जो की 1947 के बाद से बंद पड़ी थी. मस्जिद की देख रेख पिछले चालीस वर्षों से गाँव की 81 वर्षीय सिख महिला अमरीक कौर कर रही हैं.” उन्होंने बताया कि, “अब अमरीक कौर की ही देख रेख में मस्जिद की मरम्मत का काम शुरू किया गया है. जल्दी ही औपचारिक रूप से इस एतिहासिक मस्जिद का उद्घाटन किया जायेगा.”

मसीहुज़्ज़मा अंसारी | इंडिया टुमारो

नई दिल्ली | पंजाब के पटियाला में देश की आज़ादी के बाद से बंद पड़ी एक मस्जिद में 23 जून को 74 साल बाद नमाज़ पढ़ी गई. इस मस्जिद की देखभाल 81 वर्षीय सिख महिला अमरीक कौर कर रही थीं. सिख आबादी वाले गाँव में स्थित इस मस्जिद को अब गाँव में रह रहे चंद मुस्लिम परिवारों के हवाले कर दिया गया है.

आज़ादी के बाद गाँव के लोगों के पाकिस्तान चले जाने के बाद से इस मस्जिद में नमाज़ पढ़ने वाला कोई नहीं था. अब गांव में 6 मुस्लिम परिवार रहते हैं.

मस्जिद की मरम्मत का काम 81 वर्षीय अमरीक कौर की ही देख रेख में शुरू किया गया है. लुधियाना के नायब शाही इमाम ने इंडिया टुमारो को बताया कि जल्दी ही औपचारिक रूप से इस मस्जिद का उद्घाटन किया जायेगा.

इस मस्जिद का अपना ऐतिहासिक महत्त्व भी है. 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में मौलाना शाह अब्दुल कादिर लुधियानवी ने न केवल अंग्रेजों के ख़िलाफ़ जंग का फ़तवा दिया था बल्कि उनसे जंग भी की थी. वह इस गाँव में दो साल रहे.

यह मस्जिद लगभग 300 साल पुरानी बताई जा रही है. पंजाब के जिला पटियाला की तहसील पातड़ा के गांव शुतराणा की इस ऐतिहासिक मस्जिद में 74 वर्षों के बाद पंजाब के नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी लुधियानवी ने नमाज़ अदा करवाई.

पंजाब की एक संस्था मजलिस अहरार इस्लाम हिंद के प्रयासों से इस मस्जिद की मरम्मत का काम शुरू किया गया है.

मस्जिद की मरम्मत कराकर नमाज़ पढ़ने के बाद मस्जिद में गाँव वालों के साथ एक सभा भी रखी गई जिसमें गाँव के सिख बुजुर्गों, हिन्दूओं और मुस्लिम परिवारों ने हिस्सा लिया. मस्जिद आबाद होने से गाँव के सभी सिख परिवारों ने ख़ुशी का इज़हार किया.

इंडिया टुमारो को पंजाब के नायब शाही इमाम मौलाना मुहम्मद उस्मान रहमानी ने बताया कि, “यह मस्जिद तकरीबन तीन सौ साल पुरानी है जो की 1947 के बाद से बंद पड़ी थी. मस्जिद की देख रेख पिछले चालीस वर्षों से गाँव की 81 वर्षीय सिख महिला अमरीक कौर कर रही हैं.”

उन्होंने बताया कि, “अब अमरीक कौर की ही देख रेख में मस्जिद की मरम्मत का काम शुरू किया गया है. जल्दी ही औपचारिक रूप से इस एतिहासिक मस्जिद का उद्घाटन किया जायेगा.”

इंडिया टुमारो को नायब शाही इमाम ने बताया कि, “1857 में पंजाब के महान क्रांतिकारी मौलाना शाह अब्दुल कादिर लुधियानवी यहां पहुंचे थे और इस गांव के राजपूतों ने अपनी जान पर खेल कर उनके साथ अंग्रेजों की फौज का मुकाबला किया था.”

शाही इमाम ने कहा कि, “गांव के लोगों ने जिस मुहब्बत और जोश के साथ मस्जिद के निर्माण में हमारा साथ दिया है और दे रहे हैं उसे देख कर 1857 का समय याद आ गया जब सभी मिलकर एक साथ अंग्रेजों के ख़िलाफ़ लड़े थे जिसकी गवाह यह ऐतिहासिक मस्जिद है.”

मस्जिद में नमाज़ अदा करने के बाद हुई सभा में गाँव के सभी लोग शामिल हुए जिसमें प्रमुख रूप से डॉक्टर नरेश सिंह, सरपंच गुरमुख सिंह, सरदार करनैल सिंह, श्री मोहन लाल, लाली राम, अमरीक कौर और कारी मुहम्मद याकूब मंसूरपुरी थे.

सभा को संबोधित करते हे नायब इमाम ने कहा कि, “इस ऐतिहासिक मस्जिद में गांव के हिंदू सिख भाई बहन भी एकत्रित हुए हैं. आज का दिन बरकत और रहमत वाला है क्योंकि मुद्दतों बाद खुदा के इस घर के दरवाज़े एक बार फिर से हर एक के लिए खुल गए हैं.”

इंडिया टुमारो को कारी मुहम्मद याकूब मंसूरपुरी ने बताया कि मस्जिद की देखभाल करने वाली अमरीक कौर पिछले 40 सालों यहीं रह रही हैं. इससे पहले अमरीक कौर के माता पिता इसकी देखभाल करते थे जिनका अब देहांत हो गया.

उन्होंने बताया कि अमरीक कौर के लिए मस्जिद की ज़मीन पर ही एक घर बनाया जा रहा है. जल्द ही उनका घर बनकर तैयार हो जायेगा. वह आजीवन यहां रह सकती हैं.

अमरीक कौर

इससे पहले भी पंजाब में कई मस्जिदों को सिखों ने मुसलमानों के हवाले किया है:

हाल के कुछ वर्षों में सिखों ने पंजाब में कई बंद पड़ी मस्जिदों को मुसलमानों के सुपुर्द कर दिया है. साथ ही उन मस्जिदों का या तो पुनर्निर्माण कराया या निर्माण कार्य में पूरा सहयोग किया है.

मोगा (पंजाब)

पंजाब के मोगा ज़िले के भलूर गांव में पिछले दिनों एक मस्जिद की नींव रखे जाने के कार्यकम में अचानक तेज़ बारिश होने लगी जिसके बाद गांव के सिखों ने कार्यक्रम को गुरुद्वारे में आयोजित कराया.

सिखों ने मस्जिद की नींव रखे जाने के अवसर पर बाहर से आये मुस्लिम मेहमानों को लंगर में खाना भी खिलाया. सिख- मुस्लिम भाईचारे की इस मिसाल को काफी सराहा गया.

मस्जिद की नींव रखने के समय बारिश होने के कारण सिखों ने गुरुद्वारे में इस कार्यक्रम को आयोजित तो कराया ही, साथ ही बाहर से आए मुसलमानों को खाना भी खिलाया और मस्जिद निर्माण के लिए हर प्रकार का सहयोग किया और आगे भी सहयोग करने का वादा किया.

कपूरथला (पंजाब)

पिछले वर्ष नवंबर में पंजाब के कपूरथला ज़िले के सुलतानपुर लोधी में 550 साल पुरानी बंद पड़ी मस्जिद को सिखों ने मुसलमानों के हवाले किया.

पंजाब के कपूरथला ज़िले के सुलतानपुर लोधी में बंद पड़ी एक मस्जिद की मरम्मत कराकर सिख समुदाय के लोगों और संतों ने मुसलमानों को आमंत्रित कर ‘नमाज़े शुक्राना’ का आयोजन कराया. ये मस्जिद लगभग 550 साल से भी पुरानी है. विभाजन के बाद ये मस्जिद बंद पड़ी थी जिसे फिर से खोला गया है. इस मस्जिद से गुरुनानक देव की बहुत सी कहानियां जुड़ी हुई हैं.

सिख धर्म के प्रथम गुरु, गुरुनानक देव की अनगिनत यादें इस मस्जिद से जुड़ी हुई हैं. इस मस्जिद के बारे में ये कहा जाता है कि गुरुनानक ने इस मस्जिद में नमाज़ भी पढ़ी थी.

गुरुनानक देव की 550वीं जयंती पर सिख समुदाय ने बंद पड़ी इस मस्जिद को नमाज़ के लिए खोलने का निर्णय लिया और यहाँ सिख और मुस्लिम धर्मगुरुओं की मौजूदगी में कार्यक्रम हुआ. इस कार्यक्रम में धर्मगुरुओं ने अपने विचार साझा किए और फिर मुसलमानों ने नमाज़ अदा की. यहाँ हुई नमाज़ को ‘शुक्राना नमाज़’ का नाम दिया गया था.

ज्ञात हो कि पिछले कुछ वर्षों में सिखों ने पंजाब में बंद पड़ी कई मस्जिदों का पुनर्निर्माण कराकर उसे मुसलमानों के हवाले किया है. सिखों और मुसलमानों की साझा संस्कृति और साझा विरासत पंजाब में अकसर अलग-अलग रूप में दिखाई देती है.

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