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Sunday, May 5, 2024
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CAA विरोधी प्रदर्शन में बिहार के शहीद आमिर हंज़ला को एक साल बाद भी नहीं मिला इंसाफ


शाहिद सुमन | इंडिया टुमारो

नई दिल्ली | नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) के विरोध में दिसंबर 2019 में बिहार के फुलवारीशरीफ में राजद के भारत बंद के आह्वान पर निकली रैली में हाथ में तिरंगा थामे एक 19 वर्षीय युवा आमिर हंज़ला भी शामिल था मगर उस रैली के बाद वह कभी घर नहीं लौटा. 11 दिन बाद उसकी लाश मिली, जिसे पहचानना मुश्किल था. इस घटना के एक वर्ष बाद भी आरोपियों को सज़ा नहीं मिल सकी है.

आमिर हंज़ला की मौत बिहार में CAA विरोधी प्रदर्शन में किसी प्रोटेस्टर की इस प्रकार की गयी हत्या का यह एकलौता मामला था. इस घटना को एक साल बीत चुका है. इस मामले में 12 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है जो अभी जेल में हैं.

मृतक आमिर हंजला बैग बनाने की कंपनी में काम करता था. वह पहली बार किसी प्रदर्शन में शामिल हुआ था.

आमिर के छह भाई बहन हैं. पैसों की कमी के कारण 18 साल की उम्र में आमिर ने पढ़ाई छोड़ दी और बैग बनाने वाली एक कंपनी में काम करने लगा था. उनसे छोटे तीन भाई हैं सभी पढ़ाई कर रहे हैं.

पुलिस के अधिकारियों के अनुसार हंज़ला को मारने वालों में हिन्दू पुत्र संगठन और हिन्दू समाज संगठन के कार्यकर्ता शामिल थे.

जांच में हिन्दू पुत्र संगठन के कार्यकर्ता नागेश सम्राट (23 वर्ष) और हिन्दू समाज संगठन के कार्यकर्ता विकास कुमार (21 वर्ष) हत्या में शामिल पाए गए. इनके अलावा दीपक महतो, छोटू महतो, सनोज महतो उर्फ धेलवा और रईस पासवान को भी पुलिस ने हत्या के मामले में गिरफ्तार किया है.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, ईंटों और नुकीली चीजों से वार कर आमिर की हत्या की गई थी. आमिर के सिर में चोट के निशान मिले थे. उसके शरीर कटे के निशान पाए गए थे. पेट में भी काफी रक्त इकट्ठा पाया गया था जिससे जिससे अंदाज़ा लगाया गया था कि उसे काफी चोट लगी और ब्लीडिंग हुई थी.

आमिर को आखरी बार हाथ में तिरंगा थामे रैली में देखा गया था. भगदड़ में उसे पकड़ कर मार दिया गया. लाश मिलने के बाद पिता ने कहा था कि तिरंगा लिए 18-19 साल के बच्चे से भला किसी को क्या दुश्मनी हो सकती है.

इंडिया टुमारो से बात करते हुए पीड़ित पक्ष के वकील दीपक कुमार सिंह कहते हैं कि सभी आरोपी इस समय जेल में है.

ज्ञात हो कि 21 दिसंबर 2019 को नागरिकता संशोधन क़ानून (CAA) के विरोध के दौरान रैली और चक्का जाम किया जा रहा था. भारत बन्द के दौरान राजद ने बिहार बन्द का एलान किया था.

फुलवारीशरीफ में भी राजद कार्यकर्ताओं एवं नेताओं द्वारा एक रैली निकाली गई थी. यह रैली जब एक मंदिर के सामने से गुज़र रही थी तो अचानक भीड़ पर पथराव किया गया जिससे हिंसा भड़क उठी. पुलिस द्वारा रैली को तीतर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया गया.

भगदड़ में आमिर हंज़ला लापता हो गए जिनके गुमशुदगी की रिपोर्ट परिवार ने दर्ज कराई थी. 11 दिन बाद संगत गली के नाली से आमिर हंज़ला की लाश सड़ी-गली अवस्था में पाई गई.

हिंसा जिस जगह पर भड़की, वहां पर सरस्वती शिशु मंदिर स्कुल और आरएसएस, बजरंग दल एवं उसके सहयोगी संगठनों का कार्यालय है.

इस मामले में शुरू में अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराया गया था इसलिए पुलिस ने 363/365 की धारा के तहत अपहरण का मामला दर्ज किया था हालांकि जब आमिर हन्ज़ला की लाश बरामद हुई तो पुलिस ने नए सिरे से कार्यवाही शुरू की.

पीड़ित पक्ष के वकील दीपक कुमार सिंह ने बताया कि, “पुलिस द्वारा बाद में अपहरण की धारा के अलावा 3 जनवरी 2020 को IPC की धारा 302, 201, 147, 149 हत्या, साक्ष्य को छुपाना, दंगा-फसाद फैलाने आदि की धाराओं को जोड़ दिया गया.

इस घटना के एक वर्ष बाद इंडिया टुमारो ने आमिर हंज़ला के परिवार से बात कर दर्ज मामले की अपडेट जानने की कोशिश की है.

इंडिया टुमारो से बात करते हुए आमिर के पिता सोहैल अहमद ने कहा कि मदद के नाम पर सरकार से निराशा ही हाथ लगी है. सरकार ने कोई आर्थिक मदद नहीं की.

हालांकि, राजद नेताओं द्वारा आर्थिक मदद की बात स्वीकार करते हुए उन्हें शुक्रिया अदा किया.

आमिर हंज़ला के पिता ने कहा कि यह बड़ा ही दुखद है कि मेरे बेटे के इंसाफ के लिए बिहार के नेताओं ने आवाज़ नहीं उठाई. उन्होंने साफ़ तौर पर कहा कि, किसी नेता ने मिडिया तक में बात करना उचित नहीं समझा.

एक अन्य मामले का उदाहरण देते हुए आमिर के पिता कहते हैं कि अभी हल ही में जब यादव समुदाय के लोगों की हत्या हुई तो राजद के बड़े नेताओं ने उसके इंसाफ की लड़ाई लड़ी. उसके लिए विधानसभा में आवाज उठाई गई, सड़क पर निकले लेकिन मेरे बच्चे के लिए किसी ने कुछ नहीं किया.

इंडिया टुमारो से बात करते हुए आमिर के पिता सोहैल अहमद नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहते हैं कि, “हमारे लिए किसी ने कुछ नहीं किया. मदद के नाम पर सरकार से निराशा ही हाथ लगी है.”

उन्होंने कहा, “कुछ निजी संस्थाओं ने आर्थिक मदद का वादा किया था लेकिन उन संस्थाओं से हमें कोई आर्थिक सहयोग नहीं मिल पाया.”

इस सवाल पर कि सरकार ने जो 5 लाख रुपये के आर्थिक सहयोग का वादा किया था वह राशि मिली या नहीं, आमिर के पिता कहते हैं, सरकार ने 5 लाख का 3 वर्ष के लिए फ़िक्सड डिपॉजिट चेक दिया है जो 3 साल पूरा होने के बाद मिलने की बात कही गई है.

उन्होंने बताया कि, “11 दिनों के बाद पुलिस द्वारा लगातार कोशिशों के बाद संगत गली के नाली से पुलिस ने मेरे बेटे की लाश को सड़े-गले अवस्था में बरामद किया. इसके बाद पुलिस ने उस गली में पकड़-धकड़ शुरू की. कुल 12 आरोपी को इस केस में आरोपित किया है.”

पीड़ित पक्ष के वकील ने बताया कि, “आरोपी की तरफ से दो बार लोअर कोर्ट में जमानत के लिए अप्लाई किया गया था, मगर कोर्ट ने ज़मानत नहीं दी.”

दीपक कुमार सिंह ने कहा कि आरोपियों में से कई ऐसे हैं जिनपर पूर्व में आपराधिक मामले दर्ज हैं.

हंज़ला के पिता ने कहा कि हमें इस मामले में इंसाफ चाहिए. मेरे बेटे को निर्दयतापूर्वक मारा गया है. वह सिर्फ रैली में शामिल हुआ था मगर आरोपियों ने उसकी जान ले ली.

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