मसीहुज़्ज़मा अंसारी | इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | उत्तर प्रदेश के हाथरस जा रहे केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर शुक्रवार को अगली सुनवाई पर पेश होने का निर्देश दिया है.
यह याचिका, केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (KUWJ) द्वारा पत्रकार सिद्दीक कप्पन की रिहाई की मांग के लिए दायर की गई है. केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स ने कप्पन की हिरासत को संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए इसे कोर्ट में चुनौती दी है.
कप्पन, केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्टस यूनियन की दिल्ली इकाई के सचिव हैं.
इंडिया टुमारो से बात करते हुए कप्पन के वकील विल्स मैथ्यूज का कहना है कि उन्हें न्यू मथुरा जेल में अपने क्लाइंट से मिलने की अनुमति नहीं दी गई.
इंडिया टुमारो को सिद्दीक कप्पन के परिवार ने बताया कि उन्हें अब तक सिद्दीक कप्पन से मिलने नहीं दिया गया है. कप्पन के भाई ने बताया कि उनके परिवार के सदस्य भी उनसे मिलने मथुरा नहीं जा सके क्योंकि उन्हें बताया गया है कि प्रशासन द्वारा वकील को भी उनसे मिलने की अनुमति नहीं दी गई.
पत्रकार सिद्दीक कप्पन हाथरस में सामूहिक बलात्कार की शिकार हुई दलित युवती के घर रिपोर्टिंग के लिए जा रहे थे. यूपी पुलिस द्वारा उन्हें 5 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया. कप्पन के साथ 3 अन्य लोग भी गिरफ्तार किए गए हैं जिनपर UAPA और अन्य कई आपराधिक धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
ज्ञात हो कि उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक दलित लड़की से उसके गाँव के ही उच्च जाति के दबंगों द्वारा कथित सामूहिक बलात्कार की घटना सामने आई थी. बलात्कार के बाद आरोपियों द्वारा लड़की की रीढ़ की हड्डी तोड़ दी गई थी जिसके बाद दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी.
इस घटना की रिपोर्टिंग के लिए हाथरस जाते समय पत्रकार सिद्दीक कप्पन को पांच अक्टूबर को रास्ते से उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया था. उनपर जातीय हिंसा की साज़िश के आरोप लगाए गए हैं.
इंडिया टुमारो से बात करते हुए, कप्पन के वकील, मैथ्यूज ने कहा कि 12 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले में संशोधित याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया गया था. उस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने हैबियस कॉर्पस याचिका स्वीकार करने से इंकार किया था और हाईकोर्ट जाने के लिए कहा था.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद कप्पन से मिलने केयूडब्ल्यूजे की ओर से उनके वकील मथुरा गए थे.
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM), मथुरा ने कथित तौर पर कप्पन के साथ बैठक की अनुमति देने से इंकार कर दिया. मैथ्यूज ने शीर्ष अदालत में दायर हलफनामे में इसका उल्लेख किया है.
उन्होंने इंडिया टुमारो से कहा, “मैं मथुरा न्यायालय में गया और एक आवेदन दायर कर अपने मुवक्किल से जेल में मिलने की अनुमति मांगी जिसके बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मुझे जेल अधिकारियों के पास जाने का निर्देश दिया.”
उन्होंने कहा, “जब मैं 16 अक्टूबर को जेल अधिकारियों से मिला, तो उन्होंने मुझे बताया कि CJM के आदेशों के बिना आप अपने क्लाइंट से नहीं मिल सकते. मैं फिर से सीजेएम के पास अनुमति के लिए गया और कहा कि जेल अधिकारियों ने सीजेएम के आदेश के बिना कप्पन से मिलने करने से मना कर दिया.”
कप्पन के वकील ने कहा, “मैंने पूरे दिन CJM के कोर्ट में इंतजार किया. शाम 6.20 बजे, CJM ने मेरे अनुरोध को अस्वीकार कर दिया. मेरी कप्पन से मुलाक़ात नहीं हो सकी.”
मैथ्यूज ने कहा कि, “एक अधिवक्ता को अपने मुवक्किल से मिलने की अनुमति देने से इनकार करना एक गंभीर मुद्दा है.”
उन्होंने कहा, “किसी भी मामले की डिटेल्स के लिए मुवक्किल के साथ अधिवक्ता की बैठक याचिका दाखिल करने के लिए ज़रूरी है. जैसे ज़मानत, एफआईआर को रद्द करना या कोई अन्य कानूनी कदम उठाने के लिए.”
अधिवक्ता ने कहा, “सीजेएम और जेल अधिकारियों द्वारा अनुमति से इंकार करने के कारण मथुरा जेल में अपने क्लाइंट से मैं नहीं मिल सका. इसलिए मैं सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार रिट याचिका में संशोधन करने में विफल रहा.”
पत्रकार कप्पन के वकील ने प्रशासन द्वारा अनुमति देने से इंकार करने पर इसे कानून का उल्लंघन बताया. उन्होंने कहा, “एक वकील के रूप में मुझे अपने मुवक्किल से मिलने का अधिकार है.”
कप्पन की पत्नी रेहाना ने इंडिया टुमारो से कहा, “हमारी अब तक उनसे मुलाक़ात नहीं हो सकी है. हमारे वकील को भी उनसे मिलने नहीं दिया गया है.”
सिद्दीक कप्पन के भाई मुश्ताक ने बताया कि, “सिद्दीक कप्पन से एक बार जेल अधिकारियों ने कुछ मिनट बात कराई थी लेकिन बहुत कम समय होने के कारण उनसे ज़्यादा बात नहीं हो सकी. बात से ठीक प्रकार से उनकी हालत का अंदाज़ा नहीं लग सका.”
केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्टस (KUWJ) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट में सिद्दीक कप्पन का पक्ष रख रहे थे.
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पत्रकार सिद्दीक कप्पन को ज़मानत देने का अनुरोध करते हुए कहा कि उसके खिलाफ किसी तरह के अपराध का आरोप नहीं है और वह पांच अक्टूबर से जेल में हैं.
कोर्ट ने इस मामले में शुक्रवार को अगली सुनवाई करने को कहा है.
सुप्रीम कोर्ट ने कप्पन के वकील से सवाल करते हुए पूछा कि आप हाईकोर्ट क्यों नहीं गए?’
सिब्बल ने जवाब देते हुए कहा कि कप्पन को उनके वकील और परिवार के सदस्यों से मिलने नहीं दिया जा रहा है.
मामले में 12 अक्टूबर की पिछली सुनवाई का ज़िक्र करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि क्या पिछली सुनवाई में दिए गए निर्देश के अनुसार उन्होंने संशोधित याचिका दाखिल की है. सुप्रीम कोर्ट ने उस सुनवाई के दौरान हैबियस कॉर्पस याचिका स्वीकार करने से इंकार करते हुए हाईकोर्ट जाने के लिए कहा था.
सिब्बल ने कहा, ‘हम पत्रकार से मिल नहीं पा रहे हैं. इस संबंध में हमने एक हलफनामा दाखिल किया है.’
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर शुक्रवार को अगली सुनवाई पर पेश होने का निर्देश दिया है.