मसीहुज़्ज़मा अंसारी | इंडिया टुमारो
नई दिल्ली | एक तरफ नितीश कुमार की बिहार के मुख्यमंत्री के तौर पर 7वीं बार ताजपोशी हो रही है तो दूसरी तरफ बिहार के वैशाली जिले का एक मुस्लिम परिवार अपनी बेटी को जलाकर मार दिए जाने पर न्याय की मांग कर रहा है.
बिहार के वैशाली में एक 20 वर्षीय अल्पसंख्यक युवती गुलनाज़ को छेड़खानी का विरोध करने पर दबंगों द्वारा जला दिया गया था जिसकी इलाज के दौरान पटना मेडिकल कालेज में रविवार को मौत हो गई.
पीड़िता 75 प्रतिशत तक जल चुकी थी. जल्द ही उसकी सगाई हुई थी और चार महीने बाद उसकी शादी होने वाली थी. यह घटना 15 दिन पहले की है मगर इस मामले में अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हो सकी है.
इंडिया टुमारो को वैशाली जिले के पुलिस अधीक्षक डॉ० गौरव मंगला ने बताया कि, “आरोपी फरार हैं और उन्हें पकड़ने के लिए पुलिस की तीन टीमें बनाई गई हैं. अभियुक्तों की तलाश जारी है.”
पीड़िता के पिता की बहुत पहले मौत हो चुकी है और माँ सिलाई का काम कर घर का ख़र्च चलाती है.
पीड़िता ने इलाज के दौरान बयान दर्ज कराया था जिसमें उसने सतीश और उसके दो साथियों का नाम लिया था जो अभी फरार बताए जा रहे हैं.
मृतका वैशाली के देसरी थाना क्षेत्र के रसूलपुर गांव की रहने वाली थी. छेड़खानी का विरोध करने पर गांव के ही दबंगों ने केरोसिन तेल डालकर आग लगा दी.
घर वालों का आरोप है कि दबंगों द्वारा पहले छेड़खानी की गई, जब उन्होंने आरोपी के घरवालों से इसकी की शिकायत की तो वे अपने दो साथियो के साथ लड़की को घर के पास पकड़ा और तेल डालकर आग लगा दी.
पीड़िता, 30 अक्टूबर की शाम घर से कचरा फेंकने बाहर गई थी जहां उसे तीन युवकों- सतीश राय, विजय राय और चंदन राय ने पकड़ा और सतीश ने पीड़िता पर मिट्टी का तेल डाला और फिर आग लगा दी. वह 75 प्रतिशत तक जल चुकी थी.
लड़की की चीख-पुकार सुनकर ग्रामीणों और उसके परिवार के सदस्य उसके बचाव के लिए पहुंचे. उसे तुरंत पास के हाजीपुर के संप्रभु अस्पताल ले जाया गया जहां हाजीपुर पुलिस ने एक वीडियो बयान लिया और मामला देसरी पुलिस स्टेशन को स्थानांतरित कर दिया.
हालांकि देसरी पुलिस स्टेशन के एसएचओ फिरोज हुसैन ने 2 नवंबर को प्राथमिकी दर्ज की, लेकिन उन्होंने आरोपी व्यक्तियों को गिरफ्तार नहीं किया.
इंडिया टुमारो को वैशाली जिले के पुलिस अधीक्षक डॉ० गौरव मंगला ने बताया कि, “आरोपी फरार हैं और उन्हें पकड़ने के लिए पुलिस की तीन टीमें बनाई गई हैं. उन्होंने कहा कि अगर आरोपी अगले दो दिनों के भीतर आत्मसमर्पण नहीं करते हैं तो पुलिस उनकी संपत्तियों को जब्त करने की कार्यवाही शुरू करेगी.”
इस घटना को लेकर पुलिस की भूमिका पर सवाल उठ रहा है. घटना की सूचना मिलने के तुरंत बाद पुलिस ने पीड़िता का अस्पताल पहुंच कर बयान दर्ज किया था जिसमें पीड़िता ने आरोपियों के नाम बताए थे लेकिन कई दिनों तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी.
इस घटना में पीड़िता मुस्लिम है और ‘गोदी मीडिया’ पूरी तरह से ख़ामोश है. सोशल मीडिया पर पीड़िता को न्याय दिलाने की माग की जा रही है.