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Friday, May 3, 2024
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संसदीय समिति ने कोरोना की दूसरी लहर में हुई मौतों के लिए मोदी सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया

अखिलेश त्रिपाठी | इंडिया टुमारो

नई दिल्ली | संसदीय स्थाई समिति ने राज्यसभा में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, अगर केंद्र सरकार समय पर कदम उठाती, तो कोविड की दूसरी लहर में कई जानें बच जातीं। संसदीय स्थाई समिति ने सोमवार को राज्यसभा में पेश की गई 137 वीं रिपोर्ट में यह महत्वपूर्ण बात कहा है।

संसदीय समिति की रिपोर्ट ने कोविड की दूसरी लहर में हुई मौतों के लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। संसदीय स्थाई समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, “अगर केंद्र सरकार समय पर कदम उठाती, तो कोविड की दूसरी लहर में कई जानें बच जातीं। लेकिन केंद्र सरकार हालात की गम्भीरता को नहीं समझ सकी।”

संसदीय समिति ने राज्यसभा में पेश की गई अपने रिपोर्ट में आगे कहा है कि, “महामारी की दूसरी लहर बड़ी संख्या में मामले, मौतें, अस्पतालों में ऑक्सीजन, बेड और जरूरी दवाओं की कमी, आवश्यक स्वास्थ्य सेवाओं के ध्वस्त होने, ऑक्सीजन सिलेंडरों व दवाओं की कालाबाजारी और जमाखोरी जैसे हालात लेकर आई। इसके बावजूद सरकार कोरोना वायरस के नए स्वरूप की संक्रामकता व घातक असर को नहीं पहचान सकी।

रिपोर्ट में कहा गया हा कि, अगर महामारी को रोकने के उचित रणनीतिक कदम उठाए गए होते, तो परिणाम इतने भयानक नहीं होते। सरकार को पहली लहर के बाद जब मौतों की संख्या घटने लगी थी, तभी से कड़ी निगरानी जारी रखनी चाहिए थी।”

संसदीय समिति इतने पर ही नहीं रुकी है बल्कि उसने अपनी एक पुरानी रिपोर्ट का हवाला देकर केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा किया है। संसदीय समिति ने कहा है कि, “अपनी 123 वीं रिपोर्ट में उसने सरकार को मेडिकल ऑक्सीजन के सिलेंडरों व अस्पतालों में सप्लाई की कमी पर चेताया था। बेहद निराश होकर कहना पड़ रहा है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने ऑक्सीजन सप्लाई व सिलेंडरों के मामले में देश को आत्मनिर्भर बताया। उसके खोखले आश्वासन का खुलासा महामारी की दूसरी लहर में बेहद क्रूरता से हुआ।”

संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में ऑक्सीजन वितरण के मामले में भी सरकार के फेल होने का खुलासा किया है। संसदीय समिति ने कहा है कि, “जिन राज्यों में ऑक्सीजन की मांग बढ़ी, वहां भी सरकार प्रबंध करवाने, जरूरी आपूर्ति व वितरण जारी रखने में फेल रही। मेडिकल ऑक्सीजन उत्पादन, उपलब्धता, अस्पतालों में वेंटिलेटर बेड आदि पर खराब निगरानी ने हालात और बिगाड़े।”

संसदीय समिति ने राज्यसभा में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में राज्यों द्वारा कोरोना से हुई मौतों को स्वीकार नहीं करने पर भी सवाल उठाया है। संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि, “20 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में से किसी ने भी ऑक्सीजन की कमी से मौतें होना नहीं माना है। इस पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का भी ऑक्सीजन की कमी से कोई मौत न मानना दुर्भाग्यपूर्ण है। इससे यह साबित होता है कि सरकार में संवेदना नहीं थी।”

संसदीय समिति ने ऑक्सीजन के मामले में केंद्र सरकार द्वारा राज्यों के लिए कोई गाइडलाइन नहीं बनाए जाने के लिए भी मोदी सरकार पर टिप्पणी की है। संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि, “ऑक्सीजन की कमी पर मौत की पहचान के लिए सरकार ने राज्यों को निश्चित गाइडलाइन नहीं दी। किसी भी चिकित्सा दस्तावेज में मौत की वजह ऑक्सीजन की कमी लिखी ही नहीं गई।”

संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को कड़ी फटकार लगाई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के बारे में संसदीय समिति ने रिपोर्ट में लिखा है कि, “ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा नकारना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह व्यथित करता है।कई मामलों में नागरिक अपने मरते परिजनों के लिए ऑक्सीजन की विनती करते हुए लाइनों में खड़े रह गए।कुछ घण्टों की ऑक्सीजन बची देख मदद की गुहार तक लगाई।कई अस्पतालों में ऑक्सीजन नहीं थी।प्रेस ने भी इनकी खबरें दीं।”

संसदीय समिति ने कोविड के संबंध में केंद्र सरकार से 4 सिफारिशें भी की है। संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में इन सिफारिशों के बारे में लिखा है कि, “स्वास्थ्य मंत्रालय ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का ऑडिट करवाए। इन सभी मामलों का राज्यों के साथ मिलकर मज़बूत दस्तावेजीकरण करे। गहन जांच ज़रूरी है, ताकि मारे गए नागरिकों के परिजनों को मुआवज़ा मिले। सरकारी एजेंसियों की जवाबदेही भी इसी से तय हो सकेगी।”

संसदीय समिति ने राज्यसभा में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में कोरोना को लेकर कहा है कि, “कोरोना के जन्मदाता की पहचान होने के बाद जिम्मेदार को सजा दी जानी चाहिए। केंद्र सरकार को दूसरे देशों से इस तरह की अपील करनी चाहिए। सरकार दुनिया के अन्य देशों से कोरोना की उत्तपत्ति की पहचान करने और इसे लेकर अनुसंधान बढ़ाने पर काम करे।”

संसदीय समिति की इस रिपोर्ट से मोदी सरकार की दिक्कतें बढ़ सकती हैं। अभी तक जो कुछ ढका हुआ या छिपा हुआ सच था, वह संसदीय समिति की रिपोर्ट से बाहर निकल आया है और विपक्ष अब इस मामले पर मोदी सरकार को घेरने का कोई मौका हाथ से नहीं जाने देगा।

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